पौड़ी: आपदा व भूकम्प के लिहाज से 4 व 5 जोन में शुमार उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मौसम का कहर किस कदर बसरेगा, ये किसी को पता नहीं. लेकिन पौड़ी जिला प्रशासन आपदा व राहत कार्यों में कोई भी कोरकसर छोड़ने के मूड में नहीं है. प्रशासन कुदरत के कहर से निपटने को हर प्रकार की तैयारियों में जुटा हुआ है. इस बार जिले में दो बाढ़ चौकियां और दो एसडीआरएफ की अतिरिक्त टीमें भी तैनात की जाएंगी.
आपदा की हर संभावित घटना से निपटने के लिए जिला प्रशासन ने सभी तैयारियों को अमलीजामा पहना दिया है, जिले में पहली बार बाढ़ चौकियां भी स्थापित होने जा रही हैं. पौड़ी जिले में श्रीनगर और कोटद्वार को बाढ़ के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है. हर साल बरसात में इन क्षेत्रों में बरसाती नाले रौद्र रूप धारण कर जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं, जिसमें मानव प्रकृति के सामने बौना नजर आता है.
साथ ही प्रशासन की कई कमियां भी उजागर होती हैं लेकिन इस बार बाढ़ की समस्या उत्पन्न होने से पहले ही प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को समय रहते ही सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने की रणनीति बना ली है. इस कार्य के लिए श्रीनगर और कोटद्वार में एक-एक बाढ़ चौकियां बनाई जा रही हैं.
इस कार्य की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के सौंपी गई है. शहर में बाढ़ के हालात उत्पन्न होने पर बाढ़ चौकियां राहत और बचाव कार्य करेंगी. यही नहीं, चौकियां आगामी एक जुलाई से पहले ही शहर के प्रमुख चौराहों पर नदी के खतरे को निशान तक पहुंचने पर क्या करें और क्या ना करें का साइन बोर्ड लगाएंगी.
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प्रदेश के सबसे अधिक 15 विकासखंडों वाले पौड़ी जनपद में हर मॉनसून आपदा में एक्सपर्ट मैनपॉवर की कमी खलती है. इस बार डीएम डॉ विजय कुमार जोगदंडे (DM Dr Vijay Kumar Jogdande) ने जिले में एसडीआरएफ की दो अतिरिक्त टीमें मंगवाई हैं, जिसमें से एक टीम दूरस्थ ब्लाक द्वारीखाल व दूसरी टीम बीरोंखाल के पास तैनात की जाएगी. हालांकि, जिले में अभी एसडीआरएफ की 3 व जलपुलिस की एक टीम मौजूद है. डीएम ने बताया कि कोटद्वार, सतपुली, श्रीनगर में एसडीआरएफ की एक-एक जबकि श्रीनगर में ही जल पुलिस की एक अतिरिक्त टीम उपलब्ध है.