श्रीनगर: एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) प्रशिक्षण अकादमी के मामले में प्रदेश सरकार की बुरी तरह किरकिरी हुई है. कांग्रेस सरकार के वक्त टिहरी जिले में स्वीकृत अकादमी को भाजपा सरकार द्वारा पौड़ी में स्थानांतरित करने का मामला उच्च अदालत ने नामंजूर कर दिया है. इसे फैसले के बाद एक तरफ जिले के लोगों में खुशी का माहौल है तो दूसरी तरफ भाजपा सरकार बैकफुल में है. अदालत के इस फैसले से न सिर्फ सरकार की किरकीरी हुई है बल्कि संगठन को राजनैतिक नुकसान भी झेलना पड़ा. सरकार के इस फैसले से पार्टी से जुड़े कई लोगों ने पार्टी से ही किनारा कर लिया था. पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रसाद नैथानी ने तो हिंडोलाखाल से देहरादून तक सरकार की अर्थी यात्रा निकाली. मुख्यमंत्री और विधायक के पुतले फूंके गए.
टिहरी जिले के विकासखंड देवप्रयाग स्थित श्रीकोट माल्डा गांव में साल 2014 से एनसीसी अकादमी खोलने की कवायद शुरू हुई थी. 5 दिसंबर 2016 को तत्कालीन सीएम हरीश रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी व एनसीसी के मेजर जरनल एस मणि ने उत्तराखंड की पहली और देश की छठवीं एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के बाद सिविल वन भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव तैयार किया गया था. रोजगार की आस में वर्ष 2017 में लगभग 60 ग्रामीणों ने लगभग 200 नाली जमीन दान करने के लिए एनओसी भी दे दी.
पढ़े: हल्द्वानी: शहरवासियों को जल्द दूषित पेयजल से मिलेगी निजात, जल संस्थान ने की बजट की मांग
लेकिन उसी साल सरकार बदलने के बाद परिस्थितियां यकायक बदल गई. मौजूदा भाजपा सरकार ने गंगा नदी पार पौड़ी जिले के कोट ब्लॉक स्थित देवार गांव में अकादमी निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी. 7 जनवरी 2019 को पौड़ी पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अकादमी की घोषणा कर इस पर मुहर लगा दी थी. इसके बाद 29 जून 2019 को पौड़ी कमिश्नरी के 50 साल पूरा होने पर कैबिनेट में देवार गांव में अकादमी स्थापना के लिए 3.66 हेक्टेअर भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव पारित किया गया. सितंबर 2019 में हिंडोलाखाल क्षेत्र के पूर्व सैनिक एनएस बंगारी इस प्रकरण को नैनीताल हाईकोर्ट ले गए. जहां अब सरकार ने साफ कर दिया है कि एनसीसी प्रशिक्षण अकादमी अब पौड़ी में नहीं बल्कि टिहरी जिले में ही बनेगी.
बहरहाल, इस प्रकरण में देवप्रयाग विधानसभा क्षेत्र मेंं भाजपा के खिलाफ माहौल बना हुआ है. लोगों का कहना है कि आंदोलन और हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल होने के बाद सरकार को यूटर्न लेना पड़ा. यदि सरकार पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को ही आगे बढ़ाती, तो भाजपा को ही इसका लाभ मिलता.
वहीं, इस पूरे मामले में देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी का कहना है कि यदि सरकार ने देवप्रयाग में अकादमी निर्माण का निर्णय लिया है, तो मेरे लिए रामजन्मभूमि के शिलापूजन के बाद यह दूसरी बड़ी खुशी है. मैंने यह मामला विधान सभा में भी उठाया था. मैं इसका पक्षधर रहा हूं. वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना है कि सरकार श्रीकोट माल्डा में अकादमी स्थापना के लिए तैयार नहीं थी. हमने आंदोलन, अर्थी यात्रा और देवयाचना के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया. यह जनता की जीत है और निरकुंश सरकार की हार.