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पनियाली नाले का अतिक्रमण हर साल छीन लेता है जिंदगी, तब जागती है सरकार - irrigation department

पनियाली नाले से मंगलवार को कौडिय़ा क्षेत्र के एक घर में पानी के साथ मलबा घुस गया. इस दौरान तीन युवक घर से सामान बाहर निकाल रहे थे. तभी घर में करंट फैल गया. जिसकी चपेट में आने से तीनों युवकों की मौत हो गई. बारिश के दौरान गधेरा पिछले 2 सालों से स्थानीय लोगों के लिए तबाही का सबब बनता जा रहा है. इसके बावजूद जिम्मेदार तंत्र अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इससे नाराज क्षेत्रवासियों ने मंगलवार को सिंचाई विभाग के कार्यालय में तालाबंदी की.

पनियाली नाले की तबाही पर जिम्मेदार तंत्र नहीं ले रहा सुध.
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Published : Jul 3, 2019, 12:11 AM IST

कोटद्वार: पनियाली नाले में बारिश के दौरान आए उफान से मंगलवार को कौडिय़ा क्षेत्र के एक घर में पानी के साथ मलबा घुस गया. इस दौरान तीन युवक घर से सामान बाहर निकाल रहे थे. तभी घर में करंट फैल गया. जिसकी चपेट में आने से तीनों युवकों की मौत हो गई. बारिश के दौरान गधेरा पिछले 2 सालों से स्थानीय लोगों के लिए तबाही का सबब बनता जा रहा है. इसके बावजूद जिम्मेदार तंत्र अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इससे नाराज क्षेत्रवासियों ने मंगलवार को सिंचाई विभाग के कार्यालय में तालाबंदी की.

पनियाली नाले का अतिक्रमण बन रहा लोगों का जान का दुशमन.

कोटद्वार में मंगलवार सुबह से बारिश हो रही थी. जिससे क्षेत्र के नदी-नाले उफान पर बहने लगे. पनियाली नाले के पानी के साथ काफी मात्रा में मलबा आम पड़ाव और कौडिय़ा स्थित कुछ घरों में घुस गया. तेज हवाएं चलने और बारिश होने के चलते पूरे इलाके में बिजली भी गुल हो गई. अफरा-तफरी में लोग घरों से बाहर निकल गए. इसी दौरान कौडिय़ा निवासी रणजीत सिंह पुत्र बलवीर सिंह अपने मित्र अरुण पुत्र कमल और शाकुन (23) पुत्र गुलशन के साथ मिलकर घर से सामान बाहर निकालने लगे.

इसी दौरान इलाके में बिजली की आपूर्ति चालू हो गई. घर में पानी के साथ मलबा भर जाने से करंट फैल गया और तीनों युवक इसकी चपेट में आ गए. आनन-फानन में परिजन घायलों को बेस चिकित्सालय कोटद्वार ले गए. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
बता दें कि पनियाली नाले में दिन-प्रतिदिन हो रहे अतिक्रमण के चलते गधेरा काफी संकीर्ण होता जा रहा है. गधेरे के दोनों छोरों पर बनाई गई सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम होने और मलबा भरा होने के चलते बारिश में नाला उफान में बहते हुए आस-पास के क्षेत्र में तबाही मचाता है.

ये भी पढ़े: खुशखबरीः उत्तराखंड पुलिस में होना चाहते हैं भर्ती तो ये खबर जरूर पढ़ें

वहीं सरकारी मशीनरी पिछले 2 सालों की गलतियों से भी सबक नहीं लिया और आज फिर एक बार तीन लोगों ने सरकार की लापरवाही के चलते अपनी जांन गंवाई.
जानकारी के अनुसार पनियाली नाले के उफान पर बहने के चलते पिछले 2 सालों में करीब 10-12 लोग अपनी जान गवां चुके हैं.

कोटद्वार: पनियाली नाले में बारिश के दौरान आए उफान से मंगलवार को कौडिय़ा क्षेत्र के एक घर में पानी के साथ मलबा घुस गया. इस दौरान तीन युवक घर से सामान बाहर निकाल रहे थे. तभी घर में करंट फैल गया. जिसकी चपेट में आने से तीनों युवकों की मौत हो गई. बारिश के दौरान गधेरा पिछले 2 सालों से स्थानीय लोगों के लिए तबाही का सबब बनता जा रहा है. इसके बावजूद जिम्मेदार तंत्र अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इससे नाराज क्षेत्रवासियों ने मंगलवार को सिंचाई विभाग के कार्यालय में तालाबंदी की.

पनियाली नाले का अतिक्रमण बन रहा लोगों का जान का दुशमन.

कोटद्वार में मंगलवार सुबह से बारिश हो रही थी. जिससे क्षेत्र के नदी-नाले उफान पर बहने लगे. पनियाली नाले के पानी के साथ काफी मात्रा में मलबा आम पड़ाव और कौडिय़ा स्थित कुछ घरों में घुस गया. तेज हवाएं चलने और बारिश होने के चलते पूरे इलाके में बिजली भी गुल हो गई. अफरा-तफरी में लोग घरों से बाहर निकल गए. इसी दौरान कौडिय़ा निवासी रणजीत सिंह पुत्र बलवीर सिंह अपने मित्र अरुण पुत्र कमल और शाकुन (23) पुत्र गुलशन के साथ मिलकर घर से सामान बाहर निकालने लगे.

इसी दौरान इलाके में बिजली की आपूर्ति चालू हो गई. घर में पानी के साथ मलबा भर जाने से करंट फैल गया और तीनों युवक इसकी चपेट में आ गए. आनन-फानन में परिजन घायलों को बेस चिकित्सालय कोटद्वार ले गए. जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.
बता दें कि पनियाली नाले में दिन-प्रतिदिन हो रहे अतिक्रमण के चलते गधेरा काफी संकीर्ण होता जा रहा है. गधेरे के दोनों छोरों पर बनाई गई सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम होने और मलबा भरा होने के चलते बारिश में नाला उफान में बहते हुए आस-पास के क्षेत्र में तबाही मचाता है.

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वहीं सरकारी मशीनरी पिछले 2 सालों की गलतियों से भी सबक नहीं लिया और आज फिर एक बार तीन लोगों ने सरकार की लापरवाही के चलते अपनी जांन गंवाई.
जानकारी के अनुसार पनियाली नाले के उफान पर बहने के चलते पिछले 2 सालों में करीब 10-12 लोग अपनी जान गवां चुके हैं.

Intro:summary नदी नालों में अतिक्रमण होने के कारण बन रही बाढ़ जैसी स्थिति है, स्थानीय प्रशासन अतिक्रमण हटाने के चैन की नींद सो रहा। प्रशासन की लापरवाही से हर साल कई लोग काल का ग्रास बन चुके है।

intro कोटद्वार में 2 घंटे की बारिश से प्रशासन के हाथ पांव फूल गए, लेकिन प्रशासन उसके बाद भी सबक नहीं ले रहा है हम बात कर रहे हैं पनियाली गधे रे कि जिसमें दिन-प्रतिदिन हो रहे अतिक्रमण के कारण गधेरा अत्यंत संकीर्ण होता जा रहा है दोनों छोरों पर पूर्व बनाई गई सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम होने और भरे मलबे के कारण गजरा पिछले 2 सालों में तबाही का सबब बनता जा रहा है यह सब जानते हुए भी जिम्मेदार तंत्र अतिक्रमण के कार्यों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय चैन की नींद सो रहा है, त्रासदी के बाद प्रशासनिक अमला जेसीबी मशीनों को लेकर इस गधे रे में पहुंच जाते हैं।


Body:वीओ1- कई दिनों से चिलचिलाती गर्मी और उमस भरी गर्मी से राहत पाने के लिए कोटद्वार वासी भी मानसून की बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वही कोटद्वार के आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोग भगवान से दुआ मांग रहे थे कि इस शहर में कभी बारिश ना हो दर्शल पिछले 2 सालों से कोटद्वार क्षेत्र में बहने वाली नदी नाले उफान पर होने के कारण क्षेत्र में बाढ़ जैसी स्थिति पिछले 2 वर्षों में हो गई थी, कई जगह जलभराव तो कहीं घरों के अंदर मलवा पानी घुस गया था जिससे कि भारी तबाही कोटद्वार में देखने को मिली थी जिसकी की आकलन लगाना भी मुश्किल हो गया था सरकारी मशीनरी ने पिछले 2 सालों की गलतियों से भी सबक नहीं सीखा, और बरसात आने से पहले कोई बाढ़ से निबटने के लिए ठोस रणनीति नहीं बनाई, जिसका जीता जागता उदाहरण आज पनियाली गधेरे में सुबह आए पानी से देखने को मिली जब गब्बर सिंह कैंप के समीप नाले का पानी घरों में घुसा और घर के सामान को बचाने के लिए जब तीन युवक घर के अंदर गए तो घर में करंट फैलने से तीनों युवकों की मौके पर मौत हो गई थी, सिर्फ 2 घंटे की बारिश ने कोटद्वार और आसपास के क्षेत्रों में मलबा और गंदगी घरों में घुस गई जगह-जगह नाले चोक होने के कारण सड़कों पर जलभराव जैसी स्थिति पैदा हो गई।

वीओ2- सुभाष चंद ने बताया कि सबसे बड़ी कमी है कि कहीं गदेरा चौड़ा है तो कहीं पर शंकरा है गदेरा का निचला हिस्सा कम होता जा रहा है गदेरे के ऊपर बने पुल बहुत नीचे बने हुए जिस कारण पुलों पर पेड़ फस जाते हैं और गदेरा ब्लॉक हो जाता है और पानी घरों के अंदर घुस जाता हैं सुबह भी पुल पर एक टैंकर और मिक्सर मशीन फस गई थी जिसके कारण पानी घरों के अंदर घुस गया

बाइट सुभाष चन्द्र


वीओ3- स्थानीय निवासी अरुण चार्ल्स का कहना है कि पहले गदेरे की जगह ज्यादा थी इस गदेरा का पानी पहले दूसरी तरफ डायवर्ट किया हुआ था, 2 साल से जब इस तरह की त्रासदी गदेरे में आ रही है तो सरकार को इस पर कड़े रुख अपनाने चाहिए थे कहा कि सरकार के अधिकारी बरसात के समय मौका मुआयना करने आते हैं लेकिन अपना कार्य पूरा नहीं करते सिर्फ बरसात के मौसम में ही एक्टिव होते हैं उसके बाद सब भूल जाते हैं इस गधे रे में पिछले 2 वर्षों से लगातार त्रासदी होती आ रही है 2 साल से कोई ना कोई किसी तरह से जान और माल दोनों तरफ नुकसान हो जाता है माल की तो भरपाई हो जाएगी लेकिन जिन परिवारों के सदस्य संसार छोड़ कर चले गए उनकी भरपाई कैसे होगी जब सरकार के अधिकारी देख रहे हैं कि इस गदेरे पर बने पुलों पर पेड़ फस रहे और इन तो इन पुलों को क्यों नहीं तोड़ा जाता क्यों अतिक्रमण नहीं हटाया जाता।

बाइट अरुण चाल्स


वीओ4- स्थानीय निवासी सौरभ नौटियाल का कहना है कि पनियाली गधेरा विगत 2 वर्षों में 10 से 12 लोग को काल के मुंह में धकेल चुका है इसका मुख्य कारण है कि इस नाले पर अवैध कब्जा अतिक्रमण लोगों के द्वारा किया जा रहा है जो गदेरा का स्वरूप था उस पर कब्जा करके बारीक स्वरूप दे दिया गया है जिसके कारण आसपास के क्षेत्रों में पानी घुस जाता हैं और वह त्रासदी का रूप ले लेता है प्रत्येक वर्ष इस नाले में कुछ ना कुछ लोगों की मृत्यु होती है प्रशासन पहले से सोया रहता है सिर्फ तभी जागता है जब इस गधे रे में किसी ना किसी की मृत्यु हो जाती है लोग घायल हो जाते हैं लोगों के घरों में पानी घुस जाता है मलबा घुस जाता है तब प्रशासन जेसीबी मशीन लेकर गदेरे में पहुंच जाता है जैसी बरसात खत्म होती प्रशासन के अधिकारी लापता हो जाते हैं

बाइट सौरभ नोटियाल



Conclusion:
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