श्रीनगरः टिहरी डीएम सौरव गहरवार (Tehri DM Saurabh Gaharwar) भारी बारिश के बीच आपदा प्रभावित क्षेत्र कोठार गांव पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर उनकी परेशानियों को सुना. साथ ही उन्होंने कीर्तिनगर एसडीएम सोनिया पंत को आपदा पीड़ितों की हर संभव मदद करने के आदेश दिए.
गौर हो कि बीती 19 और 20 अगस्त को कीर्तिनगर ब्लॉक में भारी बारिश से तबाई मची थी. इस आपदा में एक बुजुर्ग महिला मकान के अंदर ही दब गई थी. जबकि, कई हेक्टेयर खेती की भूमि बह गई तो कई लोग बेघर हो गए. खासकर कोठार गांव में आपदा से किशोरी लाल और सरोजनी देवी पत्नी स्व. वसुलाल के परिवार काफी प्रभावित हुए थे.
इससे पहले शुक्रवार को मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार ने धद्दी घण्डियाल ग्राम पंचायत मालगढ़ी में बहुउद्देशीय शिविर (Multipurpose Camp Kothar) का आयोजन किया. जिसके बाद उन्होंने कोठार गांव पहुंचकर आपदा प्रभावित परिवारों से मिलकर उनसे वार्ता की.
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जहां उन्होंने आपदा प्रभावितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनी. इस दौरान उन्होंने वर्तमान परिस्थिति और मूलभूत सुविधा जैसे तिरपाल, राशन, हाईजीन सामाग्री, विद्युत, पेयजल, स्वास्थ्य, शौचालय, कपड़े आदि व्यवस्थाओं की जानकारी ली. जिसके बाद शनिवार को टिहरी डीएम सौरव गहरवार (Saurabh Gaharwar visits Disaster Affected villages) इस इलाके में पहुंचे. आपदा पीड़ितों से मिलने के बाद उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने आपदा की घड़ी में ग्रामीणों की हरसंभव मदद की है.
साथ ही जनहानि और भवन क्षति की राहत राशि उन्हें मिल चुकी है. समाज कल्याण विभाग की ओर से पेंशन भी मिल रही है. ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से विस्थापन एवं स्वरोजगार की मांग की गई, जिस पर एसडीएम कीर्तिनगर (Kirtinagar SDM Sonia Pant) ने बताया कि विस्थापन के लिए स्थान चिह्नित करने की कार्रवाई की जा रही है.
ऐसे फटते हैं बादल: उत्तराखंड में हाल के दिनों में बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब एक जगह पर अचानक एक साथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. आम आदमी के लिए बादल फटना वैसा ही है, जैसा किसी पानी भरे गुब्बारे को अचानक फोड़ दिया जाए. वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने की घटना तब होती है. जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं.
बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है. फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है. पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते. फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज बारिश होने लगती है. चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है. पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं. पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है, जो सैलाब बन जाती है.