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पौड़ी में सता रहा कोरोना का डर, 20 से 25 फीसदी छात्र ही पहुंच रहे स्कूल

अनलॉक 5.0 के दौरान उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की शिक्षा बाधित न हो इसके लिए प्रदेश के दसवीं और बारहवीं तक के स्कूल खोलने का निर्णय लिया. लेकिन स्कूलों में बच्चों की संख्या बेहद कम है. इसके पीछे की कई वजहें हैं. मुख्य रूप से अभिभावकों और बच्चों में कोरोना संक्रमित होने का डर भी शामिल है.

Pauri news
स्कूल नहीं पहुंच रहे छात्र
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Published : Nov 27, 2020, 4:32 PM IST

पौड़ी: प्रदेश सरकार के आदेश पर बीती दो नवंबर से कक्षा नौ से 12वीं तक से सभी स्कूल खोल दिए थे, ताकि बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों को थोड़ी राहत मिल सके. लेकिन कोरोना से डर से बहुत कम छात्र ही स्कूल आ रहे हैं. आंकड़ों पर नजर डाले तो पौड़ी जिले में मात्र 20 से 25 प्रतिशत ही छात्र स्कूल पहुंच रहे हैं.

राजकीय इंटर कॉलेज पौड़ी के प्रधानाचार्य बिमल चंद्र बहुगुणा ने बताया कि उनके विद्यालय में 10 और 12 वीं के कुल 89 बच्चे हैं, जिसमें से मात्र 20 से 25 बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं. अभिभावक कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. जबकि यह बच्चे बाजारों में बेवजह घूम रहे हैं. जिससे इन बच्चों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है.

पढ़ें- सिर पर सेहरा और दफ्तर में काम, कर्मठ दूल्हे की फोटो हुई आम

वहीं, स्थानीय निवासी राजीव खत्री ने बताया कि सरकार की ओर से विद्यालयों को खोलने का जो फैसला लिया गया है वह सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है. पहले ऑनलाइन क्लासेस के दौरान आने वाली समस्या और अब विद्यालय खुलने के बाद छात्रों का विद्यालय में न आना दर्शाता है कि सरकार की ओर से लिए गए फैसले में कोई तैयारी नहीं की गई. महज खानापूर्ति के लिए विद्यालयों को खोल दिया गया है.

पौड़ी: प्रदेश सरकार के आदेश पर बीती दो नवंबर से कक्षा नौ से 12वीं तक से सभी स्कूल खोल दिए थे, ताकि बोर्ड एग्जाम की तैयारी कर रहे छात्रों को थोड़ी राहत मिल सके. लेकिन कोरोना से डर से बहुत कम छात्र ही स्कूल आ रहे हैं. आंकड़ों पर नजर डाले तो पौड़ी जिले में मात्र 20 से 25 प्रतिशत ही छात्र स्कूल पहुंच रहे हैं.

राजकीय इंटर कॉलेज पौड़ी के प्रधानाचार्य बिमल चंद्र बहुगुणा ने बताया कि उनके विद्यालय में 10 और 12 वीं के कुल 89 बच्चे हैं, जिसमें से मात्र 20 से 25 बच्चे ही स्कूल आ रहे हैं. अभिभावक कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. जबकि यह बच्चे बाजारों में बेवजह घूम रहे हैं. जिससे इन बच्चों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है.

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वहीं, स्थानीय निवासी राजीव खत्री ने बताया कि सरकार की ओर से विद्यालयों को खोलने का जो फैसला लिया गया है वह सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है. पहले ऑनलाइन क्लासेस के दौरान आने वाली समस्या और अब विद्यालय खुलने के बाद छात्रों का विद्यालय में न आना दर्शाता है कि सरकार की ओर से लिए गए फैसले में कोई तैयारी नहीं की गई. महज खानापूर्ति के लिए विद्यालयों को खोल दिया गया है.

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