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78 छात्र और शिक्षकों के ऊपर रोजाना मंडराती है मौत, शिक्षा विभाग कर रहा हादसे का इंतजार? - जर्जर स्कूल पौड़ी

इस विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहाल बताते हैं कि बारिश के बाद रोजाना छत टपकती रहती है. जिससे उनके फर्नीचर और किताबें सारी भीग जाती हैं. वे बताते हैं कि उन्हें इस स्कूल में पढ़ते समय हमेशा बिल्डिंग के गिरने का डर लगा रहता है.

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Published : Feb 22, 2019, 3:29 PM IST

पौड़ी: देश के भविष्य और पहाड़ के नौनिहाल आज मौत के साये में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात उनकी किताबों और सीटों को गीला कर देती है तो वहीं जीर्ण-शीर्ण 65 साल पुरानी स्कूल बिल्डिंग की छत शिक्षिकों और बच्चों को सिर पर मौत होने का अहसास करवाती है. ये हालात कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं.

जर्जर हालत में पौड़ी का प्राथमिक विद्यालय

प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका सारिका रावत बताती हैं कि यह भवन 1953 का बना हुआ है और इस विद्यालय में कुल 78 छात्र पढ़ाई करते हैं. सारिका कहती हैं कि बरसात में स्कूल में पढ़ना-पढ़ाना तो दूर बैठना भी मुश्किल हो जाता है. अतीत का जिक्र करते हुए शिक्षिका बताती हैं कि एक दिन जब वे कार्यालय में काम कर रही थीं तो अचानक छत से सीमेंट के कुछ टुकड़े उनके सिर पर आ गिरे. हालांकि उनको कोई गंभीर चोट तो नहीं आई लेकिन उस दिन के बाद से उन्हें हर दिन विद्यालय की बिल्डिंग के गिरने का डर सताता रहता है.

उन्होंने कहा कि विद्यालय को बाहरी रूप से चमकाया तो दिया गया है लेकिन भीतर की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जल्द से जल्द इस बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि स्वीकृत करे, जिससे छात्र और शिक्षक बिना किसी भय के पढ़ और पढ़ा सकें.

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इस विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहाल बताते हैं कि बारिश के बाद रोजाना छत टपकती रहती है. जिससे उनके फर्नीचर और किताबें सारी भीग जाती हैं. वे बताते हैं कि उन्हें इस स्कूल में पढ़ते समय हमेशा बिल्डिंग के गिरने का डर लगा रहता है.

जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक कुंवर सिंह रावत ने बताया कि पूर्व में इस विद्यालय के लिए 12 लाख स्वीकृत किए गए थे. लेकिन विद्यालय की ओर से बताया गया कि इतनी धनराशि से इस विद्यालय का जीर्णोद्धार नहीं किया जा सकता. जिसके बाद शासन के आदेश पर उस धनराशि को जनपद के अन्य विद्यालय में लगा दिया गया.उन्होंने बताया कि इस विद्यालय का नया एस्टीमेट बनाकर 2019 के सर्व शिक्षा अभियान की कार्य योजना में रखा जाएगा. जिससे भवन का जीर्णोद्धार किया जा सके.

पौड़ी: देश के भविष्य और पहाड़ के नौनिहाल आज मौत के साये में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात उनकी किताबों और सीटों को गीला कर देती है तो वहीं जीर्ण-शीर्ण 65 साल पुरानी स्कूल बिल्डिंग की छत शिक्षिकों और बच्चों को सिर पर मौत होने का अहसास करवाती है. ये हालात कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं.

जर्जर हालत में पौड़ी का प्राथमिक विद्यालय

प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका सारिका रावत बताती हैं कि यह भवन 1953 का बना हुआ है और इस विद्यालय में कुल 78 छात्र पढ़ाई करते हैं. सारिका कहती हैं कि बरसात में स्कूल में पढ़ना-पढ़ाना तो दूर बैठना भी मुश्किल हो जाता है. अतीत का जिक्र करते हुए शिक्षिका बताती हैं कि एक दिन जब वे कार्यालय में काम कर रही थीं तो अचानक छत से सीमेंट के कुछ टुकड़े उनके सिर पर आ गिरे. हालांकि उनको कोई गंभीर चोट तो नहीं आई लेकिन उस दिन के बाद से उन्हें हर दिन विद्यालय की बिल्डिंग के गिरने का डर सताता रहता है.

उन्होंने कहा कि विद्यालय को बाहरी रूप से चमकाया तो दिया गया है लेकिन भीतर की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जल्द से जल्द इस बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि स्वीकृत करे, जिससे छात्र और शिक्षक बिना किसी भय के पढ़ और पढ़ा सकें.

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इस विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहाल बताते हैं कि बारिश के बाद रोजाना छत टपकती रहती है. जिससे उनके फर्नीचर और किताबें सारी भीग जाती हैं. वे बताते हैं कि उन्हें इस स्कूल में पढ़ते समय हमेशा बिल्डिंग के गिरने का डर लगा रहता है.

जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक कुंवर सिंह रावत ने बताया कि पूर्व में इस विद्यालय के लिए 12 लाख स्वीकृत किए गए थे. लेकिन विद्यालय की ओर से बताया गया कि इतनी धनराशि से इस विद्यालय का जीर्णोद्धार नहीं किया जा सकता. जिसके बाद शासन के आदेश पर उस धनराशि को जनपद के अन्य विद्यालय में लगा दिया गया.उन्होंने बताया कि इस विद्यालय का नया एस्टीमेट बनाकर 2019 के सर्व शिक्षा अभियान की कार्य योजना में रखा जाएगा. जिससे भवन का जीर्णोद्धार किया जा सके.

Intro:PAURI GARHWAL
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इन दिनों पौड़ी के प्राथमिक विद्यालय वार्ड नंबर 5 के मासूम छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए खतरों का सामना करना पड़ रहा है दरअसल स्कूल के भवन की जर्जर हालत होने के चलते बारिश के बाद छत टपकती रहती है और बच्चों के फर्नीचर किताबें सारी भीग जाती है। जिस कारण बच्चों के पठन पाठन में दिक्कत होना भी लाज़मी है। वही जब विद्यालय के छात्रों से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि इन दिनों पौड़ी में हो रही बारिश के बाद रोजाना छत टपकती रहती है जिससे उनके फर्नीचर किताबें सारी भीग रही है वही स्कूल की हालत लंबे समय से जर्जर बनी हुई है इसलिए बिल्डिंग का टूटने का खतरा बना हुआ है विद्यालय की शिक्षिका ने बताया कि विद्यालय के भवन की स्थिति लंबे समय से जर्जर बनी हुई है इसकी जानकारी उन्होंने आपदा और शिक्षा विभाग को भी दे दी है।


Body:पौड़ी नगर का प्राथमिक विद्यालय वार्ड नंबर 5 वर्ष 1953 में बन गया था यहां पर 78 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं शिक्षिका सारिका रावत ने बताया कि जब वह कार्यालय में काम कर रही थी तो अचानक से छत से सीमेंट के कुछ टुकड़े उनके सर पर गिर गए हालांकि उनको कोई गंभीर चोट तो नहीं आई है फिर भी हर वक्त उन्हें यह डर सताता है कि कभी भी विद्यालय की बिल्डिंग टूट कर गिर सकती है विद्यालय पुराना होने के चलते उसकी स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है। हालांकि विद्यालय को बाहरी रूप से चमकाया तो गया है लेकिन अनद्रोनी स्थिति विद्यालय की काफी नाजुक बनी हुई है उनकी मांग है कि विभाग जल्द इस बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि स्वीकृत करें ताकि शिक्षक और छात्र बिना किसी भय के विद्या के इस मंदिर को सुचारू रूप से चला सके।
बाईट- छात्र
बाईट-सारिका रावत(शिक्षिका)


Conclusion: जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक कुंवर सिंह रावत ने बताया कि पूर्व में इस विद्यालय के लिए 12 लाख स्वीकृत किए गए थे लेकिन विद्यालय की ओर से बताया गया कि इतनी धनराशि से इस विद्यालय का जीर्णोधार नहीं किया जा सकता इसलिए शासन के आदेश के बाद उस धनराशि को जनपद के अन्य विद्यालय में लगा दिया गया। वहीं इस विद्यालय का नया एस्टीमेट बनाकर 2019 के सर्व शिक्षा अभियान की कार्य योजना में रखा जाएगा ताकि भवन का जीर्णोधार किया जा सके उन्होंने कहा कि नगर का विद्यालय है और उनकी प्राथमिकता है कि इस विद्यालय का जीर्णोधार जल्द से जल्द किया जाए इसके लिए इसका प्राकलन बनाकर नयी कार योजना में रखा जाएगा.
बाईट- कुंवर सिंह रावत(ज़िला शिक्षाआधिकारी बेसिक)
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