पौड़ी: देश के भविष्य और पहाड़ के नौनिहाल आज मौत के साये में शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बरसात उनकी किताबों और सीटों को गीला कर देती है तो वहीं जीर्ण-शीर्ण 65 साल पुरानी स्कूल बिल्डिंग की छत शिक्षिकों और बच्चों को सिर पर मौत होने का अहसास करवाती है. ये हालात कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकते हैं.
प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका सारिका रावत बताती हैं कि यह भवन 1953 का बना हुआ है और इस विद्यालय में कुल 78 छात्र पढ़ाई करते हैं. सारिका कहती हैं कि बरसात में स्कूल में पढ़ना-पढ़ाना तो दूर बैठना भी मुश्किल हो जाता है. अतीत का जिक्र करते हुए शिक्षिका बताती हैं कि एक दिन जब वे कार्यालय में काम कर रही थीं तो अचानक छत से सीमेंट के कुछ टुकड़े उनके सिर पर आ गिरे. हालांकि उनको कोई गंभीर चोट तो नहीं आई लेकिन उस दिन के बाद से उन्हें हर दिन विद्यालय की बिल्डिंग के गिरने का डर सताता रहता है.
उन्होंने कहा कि विद्यालय को बाहरी रूप से चमकाया तो दिया गया है लेकिन भीतर की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग जल्द से जल्द इस बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि स्वीकृत करे, जिससे छात्र और शिक्षक बिना किसी भय के पढ़ और पढ़ा सकें.
इस विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहाल बताते हैं कि बारिश के बाद रोजाना छत टपकती रहती है. जिससे उनके फर्नीचर और किताबें सारी भीग जाती हैं. वे बताते हैं कि उन्हें इस स्कूल में पढ़ते समय हमेशा बिल्डिंग के गिरने का डर लगा रहता है.
जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक कुंवर सिंह रावत ने बताया कि पूर्व में इस विद्यालय के लिए 12 लाख स्वीकृत किए गए थे. लेकिन विद्यालय की ओर से बताया गया कि इतनी धनराशि से इस विद्यालय का जीर्णोद्धार नहीं किया जा सकता. जिसके बाद शासन के आदेश पर उस धनराशि को जनपद के अन्य विद्यालय में लगा दिया गया.उन्होंने बताया कि इस विद्यालय का नया एस्टीमेट बनाकर 2019 के सर्व शिक्षा अभियान की कार्य योजना में रखा जाएगा. जिससे भवन का जीर्णोद्धार किया जा सके.