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'भलाई की दीवार' पर आवारा पशुओं का कब्जा, चैन की नींद ले रहा नगर निगम - आवारा पशुओं का कब्जा

कोटद्वार नगर निगम ने एक सराहनीय पहल करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों के लिए 'भलाई की दीवार' तो बनाई, लेकिन अब ये जगह आवारा पशुओं का अड्डा बन गई है.

kotdwar bhalai ki diwar
भलाई की दीवार
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Published : Apr 9, 2021, 12:33 PM IST

कोटद्वारः बदरीनाथ मार्ग पर स्थित तहसील परिसर की दीवार पर नगर निगम की ओर से 'भलाई की दीवार' जगह बनाई गई थी. जहां से जरूरतमंदों को कपड़ा आदि उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन इनदिनों भलाई की दीवार पर आवारा पशुओं का कब्जा देखने को मिल रहा है. जिससे कपड़े आदि जगह-जगह बिखरे पड़े हैं और इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं, मामले में नगर निगम भी चैन की नींद सो रहा है.

बता दें कि नगर निगम प्रशासन ने साल 2020 के जनवरी महीने में बदरीनाथ मार्ग पर तहसील के बाहर 'भलाई की दीवार' (जो आपके पास अधिक है, यहां छोड़ जाएं, जो जरूरत का है ले जाएं) समर्पण के भाव में एक दीवार स्थापित की थी, जिसमें आमजन से उनकी जरूरत में न आने वाले कपड़ों को एकत्रित किया जाता था. मंशा थी कि लोगों के यह कपड़े जरूरतमंदों के काम आ सकें.

ये भी पढ़ेंः भलाई की दीवार: ज्यादा है तो छोड़ जाएं, नहीं है तो ले जाएं

निगम की योजना सफल भी रही और कड़ाके की ठंड में जरूरतमंदों को आसानी से अपनी माप व पसंद के कपड़े मिल गए. इनदिनों नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 'भलाई की दीवार' पर आवारा पशुओं का कब्जा देखने को मिल रहा है. आवारा पशुओं से भलाई की दीवार अस्त व्यस्त ही नहीं हो रही, बल्कि शहर की फिजा भी इन आवारा पशुओं के कारण खराब होती जा रही है.

वहीं, मामले में नगर आयुक्त प्यारे लाल शाह का कहना है कि आवारा पशुओं की शिकायत नगर वासियों से लगातार मिल रही है. इसके समाधान के लिए हरिद्वार जिले के गैंडीखता स्थित गौशाला से संपर्क किया जा रहा है. जैसे ही गौशाला से क्लीनचिट मिलती है तो कोटद्वार नगर के द्वारा आवारा पशुओं को गौशाला में छोड़ दिया जाएगा.

कोटद्वारः बदरीनाथ मार्ग पर स्थित तहसील परिसर की दीवार पर नगर निगम की ओर से 'भलाई की दीवार' जगह बनाई गई थी. जहां से जरूरतमंदों को कपड़ा आदि उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन इनदिनों भलाई की दीवार पर आवारा पशुओं का कब्जा देखने को मिल रहा है. जिससे कपड़े आदि जगह-जगह बिखरे पड़े हैं और इसका लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है. वहीं, मामले में नगर निगम भी चैन की नींद सो रहा है.

बता दें कि नगर निगम प्रशासन ने साल 2020 के जनवरी महीने में बदरीनाथ मार्ग पर तहसील के बाहर 'भलाई की दीवार' (जो आपके पास अधिक है, यहां छोड़ जाएं, जो जरूरत का है ले जाएं) समर्पण के भाव में एक दीवार स्थापित की थी, जिसमें आमजन से उनकी जरूरत में न आने वाले कपड़ों को एकत्रित किया जाता था. मंशा थी कि लोगों के यह कपड़े जरूरतमंदों के काम आ सकें.

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निगम की योजना सफल भी रही और कड़ाके की ठंड में जरूरतमंदों को आसानी से अपनी माप व पसंद के कपड़े मिल गए. इनदिनों नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 'भलाई की दीवार' पर आवारा पशुओं का कब्जा देखने को मिल रहा है. आवारा पशुओं से भलाई की दीवार अस्त व्यस्त ही नहीं हो रही, बल्कि शहर की फिजा भी इन आवारा पशुओं के कारण खराब होती जा रही है.

वहीं, मामले में नगर आयुक्त प्यारे लाल शाह का कहना है कि आवारा पशुओं की शिकायत नगर वासियों से लगातार मिल रही है. इसके समाधान के लिए हरिद्वार जिले के गैंडीखता स्थित गौशाला से संपर्क किया जा रहा है. जैसे ही गौशाला से क्लीनचिट मिलती है तो कोटद्वार नगर के द्वारा आवारा पशुओं को गौशाला में छोड़ दिया जाएगा.

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