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वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा शरारती तत्वों ने की खंडित, विभाग को नहीं खबर

पौड़ी के कांसखेत में स्थापित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली (Veer Chandra Singh Garhwali) की प्रतिमा को शरारती तत्वों ने खंडित कर दी है. शरारती तत्वों ने प्रतिमा को काफी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन जिम्मेदार विभाग को इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं है.

Veer Chandra Singh Garhwali
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली
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Published : Sep 11, 2022, 12:04 PM IST

पौड़ी: कल्जीखाल ब्लॉक के कांसखेत में संस्कृति विभाग ने साल 2016-17 में पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई थी. विभाग द्वारा करीब 3 से 4 लाख रुपये में प्रतिमा को बनाने में खर्च किये गए, लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने गढ़वाली की प्रतिमा को खंडित कर दिया है. शरारती तत्वों ने उनकी प्रतिमा के दोनों हाथ को क्षति पहुंचाई है, जिस पर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है.

कल्जीखाल के सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी ने बताया कि कांसखेत में स्थापित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा शरारती तत्वों द्वारा खंडित कर दी है. वहीं, संस्कृति एवं पुरातत्व अधिकारी आशीष कुमार ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है. कर्मचारियों को शीघ्र ही क्षेत्र में भेजा जाएगा. साथ ही प्रतिमा क्षति का आकलन किया जाएगा. इसके बाद ही क्षतिपूर्ति का कार्य किया जाएगा.

पेशावर कांड: भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के महानायक के रूप में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद किया जाता है. 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल के जवानों ने भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं पर गोली चलाने से मना कर दिया था. पेशावर कांड में गढ़वाली बटालियन को एक ऊंचा दर्जा दिलाया था. इसी के बाद से चंद सिंह को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली नाम मिला और उनको पेशावर कांड का महानायक माना जाने लगा.
पढ़ें- Uttarakhand Recruitment Scam: जरूरत पड़ी तो सीबीआई जांच कराएगी सरकार- अजय भट्ट

अंग्रेजों की आदेश न मानने के कारण इन सैनिकों पर मुकदमा चलाया गया था. गढ़वाली सैनिकों की पैरवी मुकंदीलाल द्वारा की गई थी, जिनके अथक प्रयासों के बाद उनके मृत्युदंड की सजा को कैद की सजा में बदला गया था. उस दौरान चंद्र सिंह गढ़वाली की सारी संपत्ति को जब्त कर दिया था.

पौड़ी: कल्जीखाल ब्लॉक के कांसखेत में संस्कृति विभाग ने साल 2016-17 में पेशावर कांड के नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई थी. विभाग द्वारा करीब 3 से 4 लाख रुपये में प्रतिमा को बनाने में खर्च किये गए, लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने गढ़वाली की प्रतिमा को खंडित कर दिया है. शरारती तत्वों ने उनकी प्रतिमा के दोनों हाथ को क्षति पहुंचाई है, जिस पर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है.

कल्जीखाल के सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन डांगी ने बताया कि कांसखेत में स्थापित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा शरारती तत्वों द्वारा खंडित कर दी है. वहीं, संस्कृति एवं पुरातत्व अधिकारी आशीष कुमार ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है. कर्मचारियों को शीघ्र ही क्षेत्र में भेजा जाएगा. साथ ही प्रतिमा क्षति का आकलन किया जाएगा. इसके बाद ही क्षतिपूर्ति का कार्य किया जाएगा.

पेशावर कांड: भारतीय इतिहास में पेशावर कांड के महानायक के रूप में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली को याद किया जाता है. 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल के जवानों ने भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले नेताओं पर गोली चलाने से मना कर दिया था. पेशावर कांड में गढ़वाली बटालियन को एक ऊंचा दर्जा दिलाया था. इसी के बाद से चंद सिंह को वीर चंद्र सिंह गढ़वाली नाम मिला और उनको पेशावर कांड का महानायक माना जाने लगा.
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अंग्रेजों की आदेश न मानने के कारण इन सैनिकों पर मुकदमा चलाया गया था. गढ़वाली सैनिकों की पैरवी मुकंदीलाल द्वारा की गई थी, जिनके अथक प्रयासों के बाद उनके मृत्युदंड की सजा को कैद की सजा में बदला गया था. उस दौरान चंद्र सिंह गढ़वाली की सारी संपत्ति को जब्त कर दिया था.

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