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श्रीनगर: शराब की दुकान के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को न्यायिक मजिस्ट्रेट ने किया दोष मुक्त - शराब के खिलाफ आंदोलन करने वाले हुए बरी

श्रीनगर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 2017 में शराब की दुकान के खिलाफ चले आंदोलन के मामले में सुनवाई करते हुए सभी आरोपी आंदोलनकारियों को दोष मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है. वहीं आंदोलनकारियों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे सामाजिक जीत बताया है.

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श्रीनगर न्यायिक मजिस्ट्रेट
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Published : Jan 4, 2020, 7:57 PM IST

श्रीनगर: शराब की दुकान के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले सभी आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फैसला सुनाया है. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है.

मामला 2017 का है जब श्रीनगर के गोतीर्थ आश्रम के पास खुली शराब की दुकानों का आंदोलनकारियों ने विरोध किया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसपर सुनवाई करते हुए आज न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने आंदोलनकारियों को दोष मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी करने का फैसला सुनाया.

ये भी पढ़े: उत्तराखंड: शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद, बड़े बदलाव की तैयारी में सरकार

आपको बता दें कि 2017 में उच्च न्यायालय ने नेशनल हाईवे से शराब की दुकानों को शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. जिसके तहत श्रीनगर में अलकनंदा तट के किनारे गोतीर्थ आश्रम के समीप शराब की दुकान खोल दी गई थी. जिसके बाद गोतीर्थ के सदस्य, हिमालय बचाओ आंदोलन, प्रजा मंडल व गंगा आरती समिति द्वारा शराब की दुकान खोले जाने का विरोध किया गया था.

श्रीनगर न्यायिक मजिस्ट्रेट

लगभग एक माह तक चले इस आंदोलन के दौरान कोतवाली में समीर रतुड़ी, प्रवीण भंडारी, राजेस्वरी जोशी समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं मामले में आए फैसले का स्वागत करते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि न्यायालय का यह आदेश सामाजिक जीत है.

श्रीनगर: शराब की दुकान के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले सभी आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की सुनवाई करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फैसला सुनाया है. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अपने फैसले में सभी आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है.

मामला 2017 का है जब श्रीनगर के गोतीर्थ आश्रम के पास खुली शराब की दुकानों का आंदोलनकारियों ने विरोध किया था. जिसे लेकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसपर सुनवाई करते हुए आज न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने आंदोलनकारियों को दोष मुक्त करते हुए बाइज्जत बरी करने का फैसला सुनाया.

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आपको बता दें कि 2017 में उच्च न्यायालय ने नेशनल हाईवे से शराब की दुकानों को शिफ्ट करने के आदेश दिए थे. जिसके तहत श्रीनगर में अलकनंदा तट के किनारे गोतीर्थ आश्रम के समीप शराब की दुकान खोल दी गई थी. जिसके बाद गोतीर्थ के सदस्य, हिमालय बचाओ आंदोलन, प्रजा मंडल व गंगा आरती समिति द्वारा शराब की दुकान खोले जाने का विरोध किया गया था.

श्रीनगर न्यायिक मजिस्ट्रेट

लगभग एक माह तक चले इस आंदोलन के दौरान कोतवाली में समीर रतुड़ी, प्रवीण भंडारी, राजेस्वरी जोशी समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं मामले में आए फैसले का स्वागत करते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि न्यायालय का यह आदेश सामाजिक जीत है.

Intro:श्रीनगर में 2017 में गोतीर्थ आश्रम के समीप खुली सराब की दुकान के खिलाफ चले आंदोलन के दौरान आंदोलनकरियो के खिलाफ लगे मुकदमे में आज न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्रीनगर ने अपने फेशले मे सभी अभियुक्तो को दोष मुक्त पाया है और सभी अभियुक्तों को बाइज्जत बरी कर दिया है।


Body:ज्ञात हो कि 2017 में सरकार द्वारा सराब की दुकानो को उच्च न्यायालय द्वारा नेंसनल हाइवे से सराब की दुकानों को अन्यत्र शिफ्ट करने के आदेश दिए गए थे।जिसके तहत श्रीनगर में अलकनन्दा तट के किनारे गोतीर्थ के समीप सराब की दुकान खोल दी गयी थी।जिसके खिलाफ गोतीर्थ के सदस्य, हिमालय बचाओ आंदोलन, प्रजा मंडल व गंगा आरती समिति द्वारा आंदोलन किया गया था।लगभग 1 माह चले आंदोलन के दौरान श्रीनगर कोतवाली में समीर रतूड़ी,प्रवीण भंडारी,राजेस्वरी जोशी,व अन्य के खिलाफ विभिन धाराओं में मामले पंजीकृत किये गए थे।


Conclusion:अधिवक्ता ससि चमोली ने बताया कि अभियोजन के द्वारा पेश किए गए तथ्य व गवाह निराधार व तर्क हीन पाए गए जिसके तहत माननीय न्यायालय ने मुकदमे में फैसले में अभियुक्तो को दोष मुक्त पाया है।
वही आंदोलनकारी समीर रतूड़ी ने न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि न्यायालय का आदेश सामाजिक जीत है ।
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