पौड़ी: दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर ताला लटका रहता है. यहां पानी की इतनी किल्लत है कि एक परिवार को 5 लीटर या उससे कम पानी ही दिनभर में मिल पाता है. वहीं, अगर स्रोत में पानी कम रहता है तो दिन में एक लीटर पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पेयजल किल्लत के कारण से गांव से कई परिवार पलायन कर चुके हैं.
दरअसल, बस्यूर गांव में पहले 35 परिवार रहते थे. मूलभूत सुविधा न होने के कारण सभी लोग धीरे-धीरे मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे. नतीजन गांव में महज 16 परिवार ही बचे हैं. गांव में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए 5 किलोमीटर दूर चौकीसेरा नदी में लेकर जाना पड़ता है. गांव के वाशिंदे भी नहाने कपड़े धोने के लिए 5 किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्तों से चलकर नदी में जाते हैं.
इस गांव में लोग नहाने के लिए कई हफ्तों का इंतजार करते हैं. समय मिलने पर नदी में जाकर ग्रामीण नहा लेते हैं. बरसात के मौसम में तो पानी की किल्लत दूर हो जाती है, लेकिन जैसे ही बरसात खत्म होती है धीरे-धीरे पानी की किल्लत शुरू हो जाती है.
ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधि गांव की सुध लेने आजतक नहीं आये हैं. सरकार से सालों मांग की पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध करा दें, लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ग्रामीणों के पास प्राकृतिक स्त्रोत के अलावा पेयजल का कोई अन्य विकल्प न होने के कारण यह समस्या बनी रहती है. बरसात के बाद जैसे ही धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती है, तो ग्रामीणों को पीने का पानी भी बड़ी मुश्किल से मिलता है. एक डब्बे पानी में पूरे घर के लोगों की पानी की जरूरत को ग्रामीण कैसे पूरा करते हैं ये विचारणीय है.