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पानी की कमी से यहां भाग रही 'जवानी', जानिए इस गांव पूरी कहानी... - uttarakhand news

पौड़ी के दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर लगा रहता है दिनभर ताला. एक परिवार को 5 लीटर पानी या एक डब्बा मिलता है पानी. जानिए पूरा माजरा..

पौड़ी के दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी की किल्लत.
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Published : Apr 25, 2019, 2:04 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 2:52 PM IST

पौड़ी: दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर ताला लटका रहता है. यहां पानी की इतनी किल्लत है कि एक परिवार को 5 लीटर या उससे कम पानी ही दिनभर में मिल पाता है. वहीं, अगर स्रोत में पानी कम रहता है तो दिन में एक लीटर पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पेयजल किल्लत के कारण से गांव से कई परिवार पलायन कर चुके हैं.

पौड़ी के दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी की किल्लत.

दरअसल, बस्यूर गांव में पहले 35 परिवार रहते थे. मूलभूत सुविधा न होने के कारण सभी लोग धीरे-धीरे मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे. नतीजन गांव में महज 16 परिवार ही बचे हैं. गांव में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए 5 किलोमीटर दूर चौकीसेरा नदी में लेकर जाना पड़ता है. गांव के वाशिंदे भी नहाने कपड़े धोने के लिए 5 किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्तों से चलकर नदी में जाते हैं.

shortage of drining water in pauri dugadda village
प्राकृतिक स्त्रोत से पानी भरते ग्रामीण.

इस गांव में लोग नहाने के लिए कई हफ्तों का इंतजार करते हैं. समय मिलने पर नदी में जाकर ग्रामीण नहा लेते हैं. बरसात के मौसम में तो पानी की किल्लत दूर हो जाती है, लेकिन जैसे ही बरसात खत्म होती है धीरे-धीरे पानी की किल्लत शुरू हो जाती है.

ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधि गांव की सुध लेने आजतक नहीं आये हैं. सरकार से सालों मांग की पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध करा दें, लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ग्रामीणों के पास प्राकृतिक स्त्रोत के अलावा पेयजल का कोई अन्य विकल्प न होने के कारण यह समस्या बनी रहती है. बरसात के बाद जैसे ही धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती है, तो ग्रामीणों को पीने का पानी भी बड़ी मुश्किल से मिलता है. एक डब्बे पानी में पूरे घर के लोगों की पानी की जरूरत को ग्रामीण कैसे पूरा करते हैं ये विचारणीय है.

पौड़ी: दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर ताला लटका रहता है. यहां पानी की इतनी किल्लत है कि एक परिवार को 5 लीटर या उससे कम पानी ही दिनभर में मिल पाता है. वहीं, अगर स्रोत में पानी कम रहता है तो दिन में एक लीटर पानी मिलना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पेयजल किल्लत के कारण से गांव से कई परिवार पलायन कर चुके हैं.

पौड़ी के दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी की किल्लत.

दरअसल, बस्यूर गांव में पहले 35 परिवार रहते थे. मूलभूत सुविधा न होने के कारण सभी लोग धीरे-धीरे मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन करने लगे. नतीजन गांव में महज 16 परिवार ही बचे हैं. गांव में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए 5 किलोमीटर दूर चौकीसेरा नदी में लेकर जाना पड़ता है. गांव के वाशिंदे भी नहाने कपड़े धोने के लिए 5 किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्तों से चलकर नदी में जाते हैं.

shortage of drining water in pauri dugadda village
प्राकृतिक स्त्रोत से पानी भरते ग्रामीण.

इस गांव में लोग नहाने के लिए कई हफ्तों का इंतजार करते हैं. समय मिलने पर नदी में जाकर ग्रामीण नहा लेते हैं. बरसात के मौसम में तो पानी की किल्लत दूर हो जाती है, लेकिन जैसे ही बरसात खत्म होती है धीरे-धीरे पानी की किल्लत शुरू हो जाती है.

ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधि गांव की सुध लेने आजतक नहीं आये हैं. सरकार से सालों मांग की पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध करा दें, लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. ग्रामीणों के पास प्राकृतिक स्त्रोत के अलावा पेयजल का कोई अन्य विकल्प न होने के कारण यह समस्या बनी रहती है. बरसात के बाद जैसे ही धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती है, तो ग्रामीणों को पीने का पानी भी बड़ी मुश्किल से मिलता है. एक डब्बे पानी में पूरे घर के लोगों की पानी की जरूरत को ग्रामीण कैसे पूरा करते हैं ये विचारणीय है.

Intro:एंकर- राजधानी देहरादून में बैठकर सरकार और सरकार के प्रतिनिधि पहाड़ के विकास के लिए बड़े बड़े दावे करते है लेकिन हकीकत कुछ और ही है….... देखिए एक रिपोर्ट ईटीवी भारत के साथ


पौड़ी जिले के दुगड्डा ब्लाक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर लगा रहता है दिन भर ताला। दिन भर में एक परिवार को 5 लिटर पानी या एक डब्बा पानी मिलता है अपनी दिन चर्चा निभाने के लिए जानिए आखिर ऐसा क्यों.....





Body:वीओ- दुगड्डा ब्लॉक के बस्यूर गांव में पानी के स्रोत पर लटका रहता है ताला, एक परिवार को 5 लीटर या एक डब्बा पानी दिन भर मिलता है अगर स्रोत में पानी अधिक हुआ तो दोबारा भी मिल जाता है लेकिन अगर शोध स्रोत में पानी कम रहता है तो दिन भर में एक डब्बा पानी ही मिलता है, गांव में 15 से 16 परिवार रहते हैं पूर्व में 35 परिवार गांव में निवास करते थे, मूलभूत सुविधा ना होने के कारण सभी लोग मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन कर चुके हैं,

विओ1- वर्तमान में गांव में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए 5 किलोमीटर दूर चोकीसेरा नदी में ले जाना पड़ता है तो गांव के वाशिंदे भी नहाने कपड़े धोने के लिए 5 किलोमीटर पैदल पहाड़ी रास्तों से चलकर नदी में जाते हैं इस गांव में लोग नहाने के लिए कई सप्ताह इंतजार करते हैं जब समय लगता है तो नदी में जा कर नहाते है, बरसात के मौसम में तो पानी की किल्लत दूर हो जाती है लेकिन जैसी बरसात खत्म होती है धीरे धीरे पानी की किल्लत शुरू हो जाती है ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन या सरकार के प्रतिनिधि गांव की सुध लेने आज तक नहीं आये, ग्रामीणों ने सरकार से मांग की पानी और सड़क की सुविधा उपलब्ध करा दें,




Conclusion:बाइट- सोनी देवी ग्रामीण महिला
बाइट- मोहित जख्वाला

वन टू वन विकाश वर्मा1- 2
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Last Updated : Apr 25, 2019, 2:52 PM IST
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