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वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती को मिला रियल हीरोज पुरस्कार

प्रसिद्ध भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती जो कि गढ़वाल विवि में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं, को रियल हीरोज सम्मान से नवाजा गया है. डॉ. सती समाजसेवा में दिये गये अपने अमूल्य योगदान, हिमालयी पर्यावरण के क्षेत्र में शोध कार्य के लिये जाने जाते हैं. 2013 में आई केदारनाथ आपदा पर उनका प्रकाशित शोध पत्र भी काफी प्रसिद्ध हुआ था.

वरिष्ठ भू-वैज्ञानितक डॉ. एसपी सती को रियल हीरोज पुरस्कार से नवाजा गया
वरिष्ठ भू-वैज्ञानितक डॉ. एसपी सती को रियल हीरोज पुरस्कार से नवाजा गया
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Published : Mar 27, 2023, 12:59 PM IST

श्रीनगर: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विवि भरसार के रानीचौरी परिसर में बेसिक एवं सोशल साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती को रियल हीरोज पुरस्कार से नवाजा गया है. उन्हें यह सम्मान प्रदेश के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट गुरमीतसिंह ने प्रदान किया है. डॉ. सती हिमालयी पर्यावरण के क्षेत्र में दो दशक से भी अधिक समय से निरंतर शोध कार्य कर रहे हैं.

जानिये डॉ. सती के बारे में: जनपद चमोली के पोखरी ब्लॉक स्थित देवस्थानम गांव निवासी स्व. सच्चिदानंद सती व विश्वंवरी देवी के बेटे सरस्वती बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे. पहाड़ के गाड़-गदेरों में कलकल करता पानी, पगडंडियां, घना जंगल, दूर चमकता हिमालय सरस्वती के बालमन में हमेशा कौतुहल पैदा करता था. वह जैसे-जैसे बड़े हुए उनका हिमालय के प्रति लगाव बढ़ता चला गया. जीआईसी नागना‌थ पोखरी से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरस्वती ने गढ़वाल विवि का रुख किया. जहां जल, जंगल, ‌जमीन व हिमालय के क्षेत्र में ही काम करने का मन बना चुके सरस्तवी प्रकाश सती ने बीएससी, एमएससी करने के बाद पूर्व कुलपति प्रो. एसपी नौटियाल के निर्देशन में पीएचडी की.

समाजसेवा के लिये हमेशा रहे तत्पर: डॉ. एसपी सती सामाजिक दायित्वों के प्रति मुखरता से आगे आते रहे. सामाजिक सरोकारों से जुड़े होने के चलते वह वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कूद गए. जहां वह छात्र संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक रहे. इसी बीच उन्हें तीन बार जेल भी जाना पड़ा. वर्ष 1995-2017 तक उन्होंने गढ़वाल विवि के भू-गर्भ विज्ञान विभाग में शिक्षण कार्य किया. साथ ही साथ हिमालयी पर्यावरण के क्षेत्र में निरंतर शोध कार्य करते रहे. डॉ. सती वर्ष 2018 से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विवि भरसार के रानीचौरी परिसर में बेसिक एवं सोशल साइंस विभाग में सेवारत हैं. वर्तमान में वह विभागाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं. वह भारतीय भू-विज्ञान यूनियन, भारतीय भूकंप विज्ञान सोसायटी व भारतीय भू-वैज्ञानिक सोसायटी के फेलो हैं. साथ ही एक दर्जन से ज्यादा भू-वैज्ञानिक संगठनों के सदस्य भी हैं.
यह भी पढ़ें: डिप्लोमा फार्मासिस्टों ने चारधाम यात्रा में ड्यूटी बहिष्कार की दी चेतावनी, जानें कारण

विभिन्न देशों में दे चुके हैं व्याख्यान: वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती इटली, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका सहित विश्व के कई देशों में अपने व्याख्यान दे चुके हैं. भारत में 60 से अधिक सेमीनारों में हिस्सा लेने के साथ ही व्याख्यान दे चुके हैं. वरिष्ठ भू-वैज्ञानित डा. एसपी सती के जल विद्युत परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों, हिमालयी ग्लेशियरों से लेकर प्राकृतिक आपदाओं, प्रचलित विकास मॉडलों पर उनके अनेक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं. 2013 में आई केदारनाथ आपदा पर प्रकाशित उनके शोध पत्र पर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में बड़ी चर्चा हुई थी.

श्रीनगर: वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विवि भरसार के रानीचौरी परिसर में बेसिक एवं सोशल साइंस विभाग के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती को रियल हीरोज पुरस्कार से नवाजा गया है. उन्हें यह सम्मान प्रदेश के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट गुरमीतसिंह ने प्रदान किया है. डॉ. सती हिमालयी पर्यावरण के क्षेत्र में दो दशक से भी अधिक समय से निरंतर शोध कार्य कर रहे हैं.

जानिये डॉ. सती के बारे में: जनपद चमोली के पोखरी ब्लॉक स्थित देवस्थानम गांव निवासी स्व. सच्चिदानंद सती व विश्वंवरी देवी के बेटे सरस्वती बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहे. पहाड़ के गाड़-गदेरों में कलकल करता पानी, पगडंडियां, घना जंगल, दूर चमकता हिमालय सरस्वती के बालमन में हमेशा कौतुहल पैदा करता था. वह जैसे-जैसे बड़े हुए उनका हिमालय के प्रति लगाव बढ़ता चला गया. जीआईसी नागना‌थ पोखरी से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरस्वती ने गढ़वाल विवि का रुख किया. जहां जल, जंगल, ‌जमीन व हिमालय के क्षेत्र में ही काम करने का मन बना चुके सरस्तवी प्रकाश सती ने बीएससी, एमएससी करने के बाद पूर्व कुलपति प्रो. एसपी नौटियाल के निर्देशन में पीएचडी की.

समाजसेवा के लिये हमेशा रहे तत्पर: डॉ. एसपी सती सामाजिक दायित्वों के प्रति मुखरता से आगे आते रहे. सामाजिक सरोकारों से जुड़े होने के चलते वह वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कूद गए. जहां वह छात्र संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक रहे. इसी बीच उन्हें तीन बार जेल भी जाना पड़ा. वर्ष 1995-2017 तक उन्होंने गढ़वाल विवि के भू-गर्भ विज्ञान विभाग में शिक्षण कार्य किया. साथ ही साथ हिमालयी पर्यावरण के क्षेत्र में निरंतर शोध कार्य करते रहे. डॉ. सती वर्ष 2018 से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली औद्यानिकी एवं वानिकी विवि भरसार के रानीचौरी परिसर में बेसिक एवं सोशल साइंस विभाग में सेवारत हैं. वर्तमान में वह विभागाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे हैं. वह भारतीय भू-विज्ञान यूनियन, भारतीय भूकंप विज्ञान सोसायटी व भारतीय भू-वैज्ञानिक सोसायटी के फेलो हैं. साथ ही एक दर्जन से ज्यादा भू-वैज्ञानिक संगठनों के सदस्य भी हैं.
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विभिन्न देशों में दे चुके हैं व्याख्यान: वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती इटली, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका सहित विश्व के कई देशों में अपने व्याख्यान दे चुके हैं. भारत में 60 से अधिक सेमीनारों में हिस्सा लेने के साथ ही व्याख्यान दे चुके हैं. वरिष्ठ भू-वैज्ञानित डा. एसपी सती के जल विद्युत परियोजनाओं के पर्यावरणीय प्रभावों, हिमालयी ग्लेशियरों से लेकर प्राकृतिक आपदाओं, प्रचलित विकास मॉडलों पर उनके अनेक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं. 2013 में आई केदारनाथ आपदा पर प्रकाशित उनके शोध पत्र पर उत्तराखंड ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में बड़ी चर्चा हुई थी.

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