श्रीनगर: त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद अब राज्य को दसवां मुख्यमंत्री मिल चुका है. कल तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश के नये मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. पदभार संभालते ही सीएम तीरथ सिंह रावत ने कुंभ मेले की तैयारियों को लेकर अपना पहला फैसला सुनाया. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञ भी उनके इस फैसले से आने वाले दिनों का गुणा-भाग करने में लग गये हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के पीछे का सबसे बड़ा कारण उनका व्यवहार कुशल होना बताते हैं. वे मानते हैं कि सरल स्वभाव, सहजता, सौम्यता, उनका धैर्य उनको इस ऊंचाई तक लाया है.
गढ़वाल विवि. में पिछले लंबे समय से राजनीतिक विज्ञान पढ़ा रहे सीनियर प्रोफेसर डॉ. एमएम सेमवाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव को महज सिर्फ एक साल बचा है. एक वर्ष में भाजपा और सरकार के लिए तीरथ सिंह रावत एक बेहतर चेहरा है.
पढ़ें- किन्नर अखाड़ा प्रमुख बोलीं- इस बार कुंभ होगा बेहद खास, दिखेगी अनूठी मिसाल
उनकी साफ सुथरी, ईमानदार छवि पूरे प्रदेश में जानी जाती है. वे प्रदेश के पहले शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. आने वाले दिन भले ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए कठिन होंगे लेकिन उनका व्यवहार हर मुश्किल घड़ी में उनका सबसे मजबूत साथी होगा. वे विधायकों और मंत्रियों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखते हैं.
पढ़ें- सात संन्यासी अखाड़े पूरे वैभव के साथ करेंगे महाशिवरात्रि में शाही स्नान, जूना अखाड़ा करेगा अगुवाई
वे ये मानते हैं कि आने वाले दिनों में तीरथ सिंह रावत को बहुत सी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ेगा. उनकी पहली चुनैती अपनी गढ़वाल लोक सभा सीट भाजपा की झोली में डालना होगा. इसके बाद खुद के उपचुनाव में जीत हासिल करना भी तीरथ सिंह रावत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. साथ में ही 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए प्रदेश में माहौल तैयार करना भी तीरथ के लिए आसाम नहीं होगा. इसके अलावा कई और चुनौतियां हैं जिनसे तीरथ को आने वाले एक साल में पार पाना है.