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संतान प्राप्ति लिए यहां रातभर दीया लेकर खड़े रहते हैं दंपत्ति, विदेशों से भी आते हैं श्रद्धालु

श्रीनगर के ऐतिहासिक कमलेश्वर मंदिर का जीर्णोधार आदि गुरू शकराचार्य ने करवाया था. पौराणिक मान्यता देव असुर संग्राम के दौरान भगवान विष्णु ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी. वहीं भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. इस पूजा को देख रहे निसंतान दंपत्ति ने बाबा भोलेनाथ से संतान का वरदान मांगा. मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दिया.

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Published : Nov 6, 2019, 7:02 AM IST

Updated : Nov 6, 2019, 8:58 AM IST

कमलेश्वर महादेव मंदिर.

श्रीनगर: आस्था कभी विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. ऐसा ही एक पर्व श्रीनगर के कमलेश्वर महादेव मंदिर में मनाया जाता है. जिसके लिए ऐतिहासिक व पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर में दीया अनुष्ठान की तैयारियां तेज हो गई हैं. संतान प्राप्ति के लिए यहां लोग हाथों में दीये लिए लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं.10 नवंबर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को आयोजित होने वाले खड़े दीपक के अनुष्ठान के लिए इस साल देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. मंदिर में निसंतान दंपत्ति रातभर खड़े होकर दीया लेकर अनुष्ठान करते हैं.

धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि श्रीनगर के ऐतिहासिक कमलेश्वर मंदिर का जीर्णोधार आदि गुरू शकराचार्य ने करवाया था. पौराणिक मान्यता देव असुर संग्राम के दौरान भगवान विष्णु ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी. वहीं भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. इस पूजा को देख रहे निसंतान दंपत्ति ने बाबा भोलेनाथ से संतान का वरदान मांगा. मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दिया. पौराणिक मान्यता है कि जो भी चतुर्दशी पर्व के दौरान मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खड़ा दीया अनुष्ठान करता है उसे संतान प्राप्ति होती है.

10 नवंबर को होगा खड़े दीपक का अनुष्ठान.

पढ़ें-धर्मनगरी पहुंचे साक्षी महाराज ने आचार्य बालकृष्ण से की मुलाकात, देश की जनसंख्या पर जताई चिंता

शिवलिंग को ढका जाता है मक्खन से

मंदिर के महंत आशुतोष पूरी महाराज ने बताया कि देशभर से भक्त खड़े दीये की अनुष्ठान में शामिल होने के लिए संपर्क कर रहे हैं. मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं. पूजा में भगवान शिव को 100 व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. जिसके बाद शिवलिंग को मक्खन से ढका जाता है. जिसमे बाद निसंतान दंपत्ति दीये जलाकर उपासना करते हैं. इस साल 10 नवम्बर को यह अनुष्ठान किया जा रहा है. जिसमे इस बार अमेरिका, दिल्ली, बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से 190 लोगों ने अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.

श्रीनगर: आस्था कभी विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. ऐसा ही एक पर्व श्रीनगर के कमलेश्वर महादेव मंदिर में मनाया जाता है. जिसके लिए ऐतिहासिक व पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर में दीया अनुष्ठान की तैयारियां तेज हो गई हैं. संतान प्राप्ति के लिए यहां लोग हाथों में दीये लिए लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं.10 नवंबर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को आयोजित होने वाले खड़े दीपक के अनुष्ठान के लिए इस साल देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. मंदिर में निसंतान दंपत्ति रातभर खड़े होकर दीया लेकर अनुष्ठान करते हैं.

धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि श्रीनगर के ऐतिहासिक कमलेश्वर मंदिर का जीर्णोधार आदि गुरू शकराचार्य ने करवाया था. पौराणिक मान्यता देव असुर संग्राम के दौरान भगवान विष्णु ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी. वहीं भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उन्हें सुदर्शन चक्र दिया. इस पूजा को देख रहे निसंतान दंपत्ति ने बाबा भोलेनाथ से संतान का वरदान मांगा. मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दिया. पौराणिक मान्यता है कि जो भी चतुर्दशी पर्व के दौरान मंदिर में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए खड़ा दीया अनुष्ठान करता है उसे संतान प्राप्ति होती है.

10 नवंबर को होगा खड़े दीपक का अनुष्ठान.

पढ़ें-धर्मनगरी पहुंचे साक्षी महाराज ने आचार्य बालकृष्ण से की मुलाकात, देश की जनसंख्या पर जताई चिंता

शिवलिंग को ढका जाता है मक्खन से

मंदिर के महंत आशुतोष पूरी महाराज ने बताया कि देशभर से भक्त खड़े दीये की अनुष्ठान में शामिल होने के लिए संपर्क कर रहे हैं. मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं. पूजा में भगवान शिव को 100 व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. जिसके बाद शिवलिंग को मक्खन से ढका जाता है. जिसमे बाद निसंतान दंपत्ति दीये जलाकर उपासना करते हैं. इस साल 10 नवम्बर को यह अनुष्ठान किया जा रहा है. जिसमे इस बार अमेरिका, दिल्ली, बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से 190 लोगों ने अनुष्ठान के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है.

Intro:Body:श्रीनगर गढ़वाल

एंकर- श्रीनगर के ऐतिहासिक कमलेश्वर मन्दिर मे आयोजित होने वाले अनुष्ठान की तैयारिया तेज हो गई है 10 नवम्बर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को आयोजित होने वाले खडे दीपक के अनुष्ठान के लिए इस वर्ष देष विदेष के श्रध्दालुओं ने मन्दिर मे रजिस्टेªेषन करवाया है इस पुरे अनुष्ठान को निसंन्तान दम्पत्ति करते है जिसमे मन्दिर के महन्त की भी बडी भूमिका होती है देखिये ये रिर्पोट-

विओ 1- ये है श्रीनगर का ऐतिहासिक कमलेश्वर मन्दिर कहा जाता है की इस मन्दिर का जीर्णोधार आदि गुरू शकराचार्य ने करवाया है इस मन्दिर का इतिहास द्वापर काल से है देवदाताओ और असुरो के बीच हुए देवासुर सग्राम को लडने के लिए भगवान बिष्णु ने कमलेष्वर मन्दिर पुजा अर्चना की और उन्हे सुदर्शन चक्र की प्राप्ति इसी मन्दिर से हुई द्वापर काल मे कृष्ण और देवी जामवन्ती ने इसी मन्दिर मे खडे दीपक का अनुष्ठान किया भगवान षिव प्रसन्न हुए और श्रीकृष्ण को पुत्र प्राप्ति हुई इस पुरे अनुष्ठान को एक निश्तान दम्पत्ति भी देख रहा था जिसका फल उस निश्तान दम्पत्ति को भी मिला और उन्हे भी संतान प्राप्ति हुई तब से लेके आज तक हर कार्तिषुक्त चतुर्दषी को यह अनुष्ठान मन्दिर मे किया जाता है जिसे खडे दिपक का अनुश्ठान कहा जाता है। मान्यता है कि भÛवान शिव की पूजा को निषंतान दंपती भी देख रहे थे वह भी पूरी रात खडे दीपक लेकर खड़े हु, जब प्रातरू काल यह पूजा पूरी हो Ûयी उसके बाद जब भÛवान विश्.ाु को सुर्दशन की प्राप्ती हो Ûयी तब उन्हाने भी भÛवान से प्राथना की कि भÛवान हमें भी संतान का वरदान तो माता पार्वती के आÛ्रह पर भÛवान शिव ने कहा कि जो यहां पर खड़े दीपक का वर्त करेÛा कार्तिक शुक्ल के दिन उसको संतान प्राप्ति का वरदान मिलेÛा।

बाइट- महन्त आसुतोष पुरी कमलेश्वर मन्दिर

वीओ 2 - क्या है खड़े दिये की पूजा बताते हैं आपको - खड़े दिये की पूजा वो कठिन पूजा है जिसे निसन्तान दम्पति को पूरा करना पड़ता है बैकु.ठ चतुर्दशी के पूरे दिन के उपवास के बाद शाम 4 बजे महन्त }ारा षिवलिÛं के आÛे ,क विषेश पूजा का आयोजन होता है जिसमे 100व्यजनों का भोÛ लÛाकर शिवलिÛं को मक्खन से ढका दिया जाता है जिसमे बाद निसन्तान दम्पति को ,क अनुश्ठान पूरा करना होता है जिस अनुश्ठान के तहत वे जलता हुआ दीया लेकर पूरी रात ओम नम शिवाय का जप करते हु, खड़े रहते है।

विओ 3 -इस वर्ष 10 नवम्बर को यह अनुष्ठान किया जा रहा है जिसमे इस बार अमेरिका, दिल्ली, बिहार, युपी, मध्यप्रदेष सहित अन्य राज्यों से 190 लोगो ने इस अनुष्ठान मे रजिस्ट्रेषन करवाया है। इस अनुस्ठान मे रात भर केले के पत्ते पर घी का जलता हुआ दिया निश्तान दम्पतियो को रखने होता है निश्तान दम्पत्ति इस दिन निर्जला वत्त भी रखते है।

बाइट - आसुतोष पुरी, महत्त कमलेष्वर मन्दिरConclusion:
Last Updated : Nov 6, 2019, 8:58 AM IST
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