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घृत कमल पूजा को लेकर तैयारी पूरी, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता ?

शुक्रवार को श्रीनगर के प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में घृत कमल पूजा का अनुष्ठान किया जाएगा.

घृत कमल पूजा को लेकर तैयारी पूरी
घृत कमल पूजा को लेकर तैयारी पूरी
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Published : Feb 18, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 7:49 PM IST

श्रीनगर: प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में शुक्रवार को घृत कमल पूजा का अनुष्ठान किया जाएगा. इस अनुष्ठान में मंदिर के महंत आशुतोष पुरी दिगंबर भेष धारण कर मंदिर की लोट परिक्रमा करेंगे. मंदिर में विराजमान शिवलिंग को घी से ढककर भगवान शिव को 52 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.

घृत कमल पूजा को लेकर तैयारी पूरी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती की मृत्यु के बाद विरक्त को गए थे तो धरती पर ताड़कासुर नामक राक्षस का आतंक बढ़ने लगा. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को बताया कि इस असुर का वध भगवान शिव के पुत्र द्वारा किया जाएगा. जिसके बाद मां पार्वती को शिव विवाह के लिए मनाया गया. जिसके बाद भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड कांग्रेस ने लॉन्च किया 'ज्वाइन कांग्रेस सोशल मीडिया' कैंपेन

विवाह पश्चात कार्तिकेय का जन्म हुआ और ताड़कासुर नामक असुर का वध कार्तिकेय द्वारा किया गया. देवताओं द्वारा की गई इस पूजा को घृत कमल पूजा कहा गया. यह पूजा देवताओं द्वारा भगवान की कामशक्त भावना जागृत करने के लिए की गई थी.

मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि ये पूजा अचला सप्तमी को की जाती है, जो कल है. ये पूजा मंदिर परिसर में कई जाएगी. इस पूजा के लिये मंदिर को सजाया गया है.

श्रीनगर: प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में शुक्रवार को घृत कमल पूजा का अनुष्ठान किया जाएगा. इस अनुष्ठान में मंदिर के महंत आशुतोष पुरी दिगंबर भेष धारण कर मंदिर की लोट परिक्रमा करेंगे. मंदिर में विराजमान शिवलिंग को घी से ढककर भगवान शिव को 52 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा.

घृत कमल पूजा को लेकर तैयारी पूरी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती की मृत्यु के बाद विरक्त को गए थे तो धरती पर ताड़कासुर नामक राक्षस का आतंक बढ़ने लगा. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को बताया कि इस असुर का वध भगवान शिव के पुत्र द्वारा किया जाएगा. जिसके बाद मां पार्वती को शिव विवाह के लिए मनाया गया. जिसके बाद भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया.

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विवाह पश्चात कार्तिकेय का जन्म हुआ और ताड़कासुर नामक असुर का वध कार्तिकेय द्वारा किया गया. देवताओं द्वारा की गई इस पूजा को घृत कमल पूजा कहा गया. यह पूजा देवताओं द्वारा भगवान की कामशक्त भावना जागृत करने के लिए की गई थी.

मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि ये पूजा अचला सप्तमी को की जाती है, जो कल है. ये पूजा मंदिर परिसर में कई जाएगी. इस पूजा के लिये मंदिर को सजाया गया है.

Last Updated : Feb 18, 2021, 7:49 PM IST
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