ETV Bharat / state

बदहाली: देवप्रयाग से गर्भवती को रेफर किया श्रीनगर, रास्ते में एंबुलेंस में दिया बच्ची को जन्म

author img

By

Published : Sep 6, 2021, 3:43 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 4:33 PM IST

देवप्रयाग में एक गर्भवती को बिना देखे ही श्रीनगर रेफर कर दिया गया. जिसके बाद गर्भवती ने देवप्रयाग से 20 किमी दूर बागवान के पास एंबुलेंस में ही बच्ची को जन्म दिया. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठ रहे हैं.

pregnant-woman-neelam-gave-birth-to-a-baby-girl-in-an-ambulance-in-devprayag
नॉर्मल डिलीवरी के लिए भी गर्भवती को दौड़ाया

श्रीनगर: पहाड़ों में मरीजों की किस्मत में अस्पतालों के चक्कर काटना ही लिखा है. संसाधनों के अभाव के कारण यहां के अस्पताल महज रेफरल सेंटर बनकर रह गये हैं. जिम्मेदार अधिकारी भी वक्त बेवक्त अपनी जिम्मदारियों से पल्ला झाड़ते दिखते हैं. जिसके कारण परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं. ऐसी ही परेशान, चिंतित और व्याकुल करने वाली तस्वीर श्रीनगर गढ़वाल से सामने आई है. क्या है ये मामला आइये आपको बताते हैं

दरअसल, मामला देवप्रयाग का है. यहां डिलीवरी करवाने पहुंची उनेड़ी गांव की 28 वर्षीय नीलम को अस्पताल ने रेफर करते हुए श्रीनगर भेज दिया. जब महिला 20 किलोमीटर दूर में बागवान पहुंची तभी महिला ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया.

पढ़ें-कब जागोगे सरकार? दस किलोमीटर कंधे पर लादकर बुजुर्ग महिला को पहुंचाया अस्पताल

बड़ी बात ये है कि जब सीएचसी देवप्रयाग से गर्भवती को रेफर किया गया तब अस्पताल में डॉक्टर तक नहीं थे, जो उस वक्त वहां मौजूद थे उन्होंने ही महिला की स्थिति को देखते हुए परिजनों को श्रीनगर जाने को कहा. वहां मौजूद लोगों ने मामले को गंभीर बताते हुए रेफर करने की बात कही. जिसके आधे घंटे बाद ही गर्भवती की बागवान के पास एंबुलेंस में ही नार्मल डिलीवरी हुई.

पढ़ें- पहाड़ों में कंधे पर स्वास्थ्य सेवाएं, मरीज को 12 किमी कंधे पर लादकर पहुंचाया अस्पताल

फिलहाल महिला और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. संयुक्त अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर मारिषा पंवार ने बताया महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. महिला की बच्ची का वजन 2 किलो है. उन्होंने बताया महिला को उनकी नजर में रेफर नहीं किया जाना चाहिए था. महिला ने नॉर्मल डिलवरी के जरिये बच्ची को जन्म दिया है.

पढ़ें- कंधे पर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीणों ने 15 किमी मरीज को ढोकर पहुंचाया अस्पताल

इस वाकये के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं. मसलन, जब जिम्मेदार को अपनी ड्यूटी पर होना चाहिए था तब वे कहां थे? गर्भवती को रेफर करने वालों ने किस आधार पर उसे श्रीनगर ले जाने की बात कही, जबकि महिला की नार्मल डिलीवरी हुई. तीसरा और सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर रास्ते में इन सबके बाद कोई घटना घट जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता?

पढ़ें- पहाड़ों में प्राइवेट हॉस्पिटल खोलने पर सरकार देगी छूट, सुधारेगी स्वास्थ्य सेवाएं

आज के दौर में ये सब सवाल इसलिए मौजूं हो जाते हैं क्योंकि पहाड़ों में पहले ही स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है. उसके ऊपर से जहां थोड़ी बहुत व्यवस्थाएं हैं भी वहां के जिम्मेदार ही गैरजिम्मेदारी वाला रवैया अपनाकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं, जो कि किसी भी लिहाज से सही नहीं है.

श्रीनगर: पहाड़ों में मरीजों की किस्मत में अस्पतालों के चक्कर काटना ही लिखा है. संसाधनों के अभाव के कारण यहां के अस्पताल महज रेफरल सेंटर बनकर रह गये हैं. जिम्मेदार अधिकारी भी वक्त बेवक्त अपनी जिम्मदारियों से पल्ला झाड़ते दिखते हैं. जिसके कारण परेशानियां और भी बढ़ जाती हैं. ऐसी ही परेशान, चिंतित और व्याकुल करने वाली तस्वीर श्रीनगर गढ़वाल से सामने आई है. क्या है ये मामला आइये आपको बताते हैं

दरअसल, मामला देवप्रयाग का है. यहां डिलीवरी करवाने पहुंची उनेड़ी गांव की 28 वर्षीय नीलम को अस्पताल ने रेफर करते हुए श्रीनगर भेज दिया. जब महिला 20 किलोमीटर दूर में बागवान पहुंची तभी महिला ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दे दिया.

पढ़ें-कब जागोगे सरकार? दस किलोमीटर कंधे पर लादकर बुजुर्ग महिला को पहुंचाया अस्पताल

बड़ी बात ये है कि जब सीएचसी देवप्रयाग से गर्भवती को रेफर किया गया तब अस्पताल में डॉक्टर तक नहीं थे, जो उस वक्त वहां मौजूद थे उन्होंने ही महिला की स्थिति को देखते हुए परिजनों को श्रीनगर जाने को कहा. वहां मौजूद लोगों ने मामले को गंभीर बताते हुए रेफर करने की बात कही. जिसके आधे घंटे बाद ही गर्भवती की बागवान के पास एंबुलेंस में ही नार्मल डिलीवरी हुई.

पढ़ें- पहाड़ों में कंधे पर स्वास्थ्य सेवाएं, मरीज को 12 किमी कंधे पर लादकर पहुंचाया अस्पताल

फिलहाल महिला और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. संयुक्त अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर मारिषा पंवार ने बताया महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है. महिला की बच्ची का वजन 2 किलो है. उन्होंने बताया महिला को उनकी नजर में रेफर नहीं किया जाना चाहिए था. महिला ने नॉर्मल डिलवरी के जरिये बच्ची को जन्म दिया है.

पढ़ें- कंधे पर उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं, ग्रामीणों ने 15 किमी मरीज को ढोकर पहुंचाया अस्पताल

इस वाकये के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं. मसलन, जब जिम्मेदार को अपनी ड्यूटी पर होना चाहिए था तब वे कहां थे? गर्भवती को रेफर करने वालों ने किस आधार पर उसे श्रीनगर ले जाने की बात कही, जबकि महिला की नार्मल डिलीवरी हुई. तीसरा और सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर रास्ते में इन सबके बाद कोई घटना घट जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता?

पढ़ें- पहाड़ों में प्राइवेट हॉस्पिटल खोलने पर सरकार देगी छूट, सुधारेगी स्वास्थ्य सेवाएं

आज के दौर में ये सब सवाल इसलिए मौजूं हो जाते हैं क्योंकि पहाड़ों में पहले ही स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है. उसके ऊपर से जहां थोड़ी बहुत व्यवस्थाएं हैं भी वहां के जिम्मेदार ही गैरजिम्मेदारी वाला रवैया अपनाकर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं, जो कि किसी भी लिहाज से सही नहीं है.

Last Updated : Sep 6, 2021, 4:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.