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कारगिल विजय दिवस पर याद आए शहीद, वीरांगनाओं का हुआ सम्मान

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Published : Jul 26, 2022, 3:57 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 7:41 PM IST

साल 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच कारगिल युद्ध हुआ था. इस युद्ध में देश के कई जवानों ने अपनी शहादत दी थी. जिसमें उत्तराखंड के 75 जवानों ने भी अपनी शहादत दी थी. आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर शहीदों को याद किया गया. साथ ही वीरांगनाओं को सम्मानित किया गया.

Kargil Vijay Diwas 2022
कारगिल विजय दिवस

कोटद्वार/रुद्रपुर/हल्द्वानी/रामनगर/खटीमा: हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas 2022) मनाया जाता है. यह दिन 'ऑपरेशन विजय' की शौर्यगाथा को बताता है. आज कारगिल दिवस के मौके पर देश के साथ ही प्रदेशभर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. साथ ही शहीदों की वीरांगनाओं को सम्मानित किया जा रहा है.

बता दें कि भारत में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारत ने साल 1999 में कारगिल युद्ध जीता था. कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला था. 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ. इसमें भारत विजयी हुआ.

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिकों की शहादत के साथ पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने भी जान गंवाई. वहीं, भारत पाक कारगिल युद्ध में 453 आम नागरिकों की भी मौत हो गई. कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है.

कारगिल विजय दिवस पर वीरांगनाओं का सम्मान.

कोटद्वार में वीरांगनाओं को किया गया सम्मानितः जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास लैंसडाउन केंद्र की ओर से हर साल 9 ब्लॉकों के 5 शहीदों की वीरांगनाओं को सम्मानित किया जाता था. लेकिन इस बार कारगिल शहीद की दो ही वीरांगना पहुंच पाईं. जिनमें विनीता देवी पत्नी भरत सिंह और राजी देवी पत्नी डबल सिंह राइफल मैन को लैंसडाउन विधायक दिलीप सिंह रावत ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया.

रुद्रपुर पुलिस लाइन में पूर्व सैनिकों को किया गया सम्मानितः कारगिल विजय दिवस के मौके पर रुद्रपुर पुलिस लाइन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही उनकी शहादत को याद किया गया. इस दौरान जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया. वहीं, जिला प्रशासन ने बच्चों को भी सम्मानित किया.

खटीमा में भी शहीदों की किया याद: खटीमा में गौरव सेनानी संगठन के पूर्व सैनिकों ने आज 26 जुलाई को कारगिल स्मृति शौर्य दिवस को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर पूर्व सैनिकों ने गौरव सेनानी संगठन के बैनर तले देश की सेवा, रक्षा, सुरक्षा एवं सम्मान मे कारगिल में अपने प्राणों की आहुति और सर्वस्व न्योछावर करने वाले जांबाज सैनिकों को याद करते हुए उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये. इस मौके पर उपस्थित पूर्व सैनिकों ने उनके संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लेकर देश सेवा के लिए संकल्प लिया. इस दौरान पूर्व सैनिकों तथा शहीद वीरांगनाओं और उनके परिजनों को शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत सम्मान तथा हौसला अफजाई किया गया.

हल्द्वानी में भारी बारिश के बीच शहीदों को किया गया नमनः हल्द्वानी के शहीद पार्क में स्थित शहीद स्तंभ पर पूर्व सैनिकों और जिले के तमाम आला अधिकारियों ने पुष्प अर्पित करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. यहां भारी बारिश के बीच ही शहीदों को नमन किया गया.

ये भी पढ़ेंः कारगिल विजय दिवसः CM धामी ने वीर सपूतों को किया नमन, पौड़ी में धन सिंह ने दी श्रद्धांजलि

रामनगर में कारगिल शहीद राम प्रसाद ध्यानी की वीरता को किया गया यादः कारगिल युद्ध में देश के कई जवान शहीद हो गए थे. जिसमें रामनगर के पीरूमदारा निवासी लांस नायक राम प्रसाद ध्यानी (Kargil martyr Ram Prasad Dhyani in Ramnagar) भी शामिल थे. आज उनके बेटे अजय ध्यानी भी पिता के नक्शे कदमों पर चलकर देश की सेवा कर रहे हैं. अजय के सेना में होने से उनका परिवार और क्षेत्र के लोग काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि 17 जुलाई 1971 को पौड़ी जिले के धूमाकोट तहसील के नैनीडांडा ब्लॉक के ग्राम डांडा तोली में जन्मे राम प्रसाद ध्यानी गढ़वाल राइफल में तैनात थे. वे 18 साल के थे, तभी उनका चयन आर्मी में हो गया. उनका विवाह जयंती देवी से हुआ था. शहीद के परिवार के अनुसार, कारगिल युद्ध छिड़ते ही उनकी बटालियन ने उन्हें लद्दाख के द्रास बुला लिया.

आदेश मिलते ही राम प्रसाद ध्यानी कारगिल युद्ध में चले गए. तब उनकी चार साल की बेटी ज्योति, दो साल का बेटा अंकित और छोटा बेटा अजय एक साल का ही हुआ था. युद्ध में कई फौजियों की रेडियो पर मौत होने की खबरें आ रही थी. जयंती देवी और उनका परिवार भी राम प्रसाद ध्यानी को याद करता था. वो अपने बच्चों को फौज के बारे में जानकारी देती थीं. परिवार के अधिकांश लोग रामनगर के हाथीगडर में रहते थे.

पति की मौत की खबर जयंती देवी को मिलने पर वो पूरी तरह से टूट गईं. शहीद राम प्रसाद की पत्नी जयंती देवी ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान 26 जुलाई को लैंसडाउन के दो फौजियों ने घर आकर उन्हें रामप्रसाद ध्यानी के शहीद होने की जानकारी दी. जिसके एक हफ्ते बाद उनके पति का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया. उन्होंने बताया कि उस समय उनके तीनों बच्चे काफी छोटे थे. जिन्हें उन्होंने कड़े संघर्ष से बड़ा किया. बेटी का विवाह दिल्ली में किया.

शहीद रामप्रसाद के बड़े बेटे अंकित ने बताया कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है. उनका भी मन आर्मी में जाने का था, लेकिन किसी कारणवश वो आर्मी में नहीं जा सके. उन्होंने बताया कि अब वो रामनगर में रहकर अपना व्यापार देखते हैं. उनका छोटा भाई अब देश की सेवा के लिए आर्मी में है. साथ ही अंकित ने अग्निवीर योजना को भी सही बताया है.

शहीद मोहन चंद्र जोशी को किया याद: महज 20 वर्ष मैं देश के प्रति सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद मोहन चंद्र जोशी को कारगिल दिवस पर कालाढूंगी में याद किया गया. कालाढूंगी चकलुवा क्षेत्र के गुलजारपुर बंकी ग्रामसभा में शहीद मोहन जोशी अपने माता पिता और अन्य चार भाइयो के साथ रहते थे. ऐसे में आज कारगिल दिवस पर जवान मोहन चंद्र जोशी की शहादत को याद किया गया.

बागेश्वर में शहीदों का सम्मानः 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा' इस स्लोगन के साथ शौर्य दिवस बडे़ धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान तहसील परिसर में पौधारोण भी किया गया. साथ ही स्वराज भवन में शहीद नायक मोहन सिंह और शहीद नायक राम सिंह बोरा को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं, शहीद नायक राम सिंह बोरा की वीरांगना जानकी बोरा को सम्मानित किया गया.

टिहरी में कारगिल दिवस पर शहीदों को किया गया यादः शौर्य दिवस के मौके पर बौराड़ी स्थित नवनिर्मित युद्ध स्मारक में 'शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पण' कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर कारगिल शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं एवं उनके आश्रितों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, जिसमें सुनीता देवी पत्नी नायक शिव सिंह ग्राम भ्यूपाणी कल्यासौड़, सुधा देवी पत्नी नायक दिनेश दत्त सी ब्लॉक टिहरी, बासुरी देवी पत्नी रामै बिजेंद्र सिंह ग्राम थापला लंबगांव, दीपा देवी पत्नी लांस नायक जयपाल सिंह ग्राम पिपलेथ जाजल, रोशनी देवी भाभी रामै दिलवीर सिंह ग्राम ठेला नैलचामी शामिल हैं. वहीं, ऑपरेशन रक्षक के शहीद प्रवीन सिंह ग्राम पुंडोली मल्याकोट नैलचामी के पिताजी प्रताप सिंह को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़ेंः कारगिल विजय दिवस 2022: राज्यपाल गुरमीत सिंह ने शहीदों की दी श्रद्धांजलि

कोटद्वार/रुद्रपुर/हल्द्वानी/रामनगर/खटीमा: हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas 2022) मनाया जाता है. यह दिन 'ऑपरेशन विजय' की शौर्यगाथा को बताता है. आज कारगिल दिवस के मौके पर देश के साथ ही प्रदेशभर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही है. साथ ही शहीदों की वीरांगनाओं को सम्मानित किया जा रहा है.

बता दें कि भारत में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. इस दिन भारत ने साल 1999 में कारगिल युद्ध जीता था. कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला था. 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ. इसमें भारत विजयी हुआ.

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिकों की शहादत के साथ पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने भी जान गंवाई. वहीं, भारत पाक कारगिल युद्ध में 453 आम नागरिकों की भी मौत हो गई. कारगिल विजय दिवस युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है.

कारगिल विजय दिवस पर वीरांगनाओं का सम्मान.

कोटद्वार में वीरांगनाओं को किया गया सम्मानितः जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास लैंसडाउन केंद्र की ओर से हर साल 9 ब्लॉकों के 5 शहीदों की वीरांगनाओं को सम्मानित किया जाता था. लेकिन इस बार कारगिल शहीद की दो ही वीरांगना पहुंच पाईं. जिनमें विनीता देवी पत्नी भरत सिंह और राजी देवी पत्नी डबल सिंह राइफल मैन को लैंसडाउन विधायक दिलीप सिंह रावत ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया.

रुद्रपुर पुलिस लाइन में पूर्व सैनिकों को किया गया सम्मानितः कारगिल विजय दिवस के मौके पर रुद्रपुर पुलिस लाइन में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. साथ ही उनकी शहादत को याद किया गया. इस दौरान जिलाधिकारी युगल किशोर पंत ने पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया. वहीं, जिला प्रशासन ने बच्चों को भी सम्मानित किया.

खटीमा में भी शहीदों की किया याद: खटीमा में गौरव सेनानी संगठन के पूर्व सैनिकों ने आज 26 जुलाई को कारगिल स्मृति शौर्य दिवस को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर पूर्व सैनिकों ने गौरव सेनानी संगठन के बैनर तले देश की सेवा, रक्षा, सुरक्षा एवं सम्मान मे कारगिल में अपने प्राणों की आहुति और सर्वस्व न्योछावर करने वाले जांबाज सैनिकों को याद करते हुए उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये. इस मौके पर उपस्थित पूर्व सैनिकों ने उनके संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लेकर देश सेवा के लिए संकल्प लिया. इस दौरान पूर्व सैनिकों तथा शहीद वीरांगनाओं और उनके परिजनों को शॉल ओढ़ाकर उनका स्वागत सम्मान तथा हौसला अफजाई किया गया.

हल्द्वानी में भारी बारिश के बीच शहीदों को किया गया नमनः हल्द्वानी के शहीद पार्क में स्थित शहीद स्तंभ पर पूर्व सैनिकों और जिले के तमाम आला अधिकारियों ने पुष्प अर्पित करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. यहां भारी बारिश के बीच ही शहीदों को नमन किया गया.

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रामनगर में कारगिल शहीद राम प्रसाद ध्यानी की वीरता को किया गया यादः कारगिल युद्ध में देश के कई जवान शहीद हो गए थे. जिसमें रामनगर के पीरूमदारा निवासी लांस नायक राम प्रसाद ध्यानी (Kargil martyr Ram Prasad Dhyani in Ramnagar) भी शामिल थे. आज उनके बेटे अजय ध्यानी भी पिता के नक्शे कदमों पर चलकर देश की सेवा कर रहे हैं. अजय के सेना में होने से उनका परिवार और क्षेत्र के लोग काफी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

बता दें कि 17 जुलाई 1971 को पौड़ी जिले के धूमाकोट तहसील के नैनीडांडा ब्लॉक के ग्राम डांडा तोली में जन्मे राम प्रसाद ध्यानी गढ़वाल राइफल में तैनात थे. वे 18 साल के थे, तभी उनका चयन आर्मी में हो गया. उनका विवाह जयंती देवी से हुआ था. शहीद के परिवार के अनुसार, कारगिल युद्ध छिड़ते ही उनकी बटालियन ने उन्हें लद्दाख के द्रास बुला लिया.

आदेश मिलते ही राम प्रसाद ध्यानी कारगिल युद्ध में चले गए. तब उनकी चार साल की बेटी ज्योति, दो साल का बेटा अंकित और छोटा बेटा अजय एक साल का ही हुआ था. युद्ध में कई फौजियों की रेडियो पर मौत होने की खबरें आ रही थी. जयंती देवी और उनका परिवार भी राम प्रसाद ध्यानी को याद करता था. वो अपने बच्चों को फौज के बारे में जानकारी देती थीं. परिवार के अधिकांश लोग रामनगर के हाथीगडर में रहते थे.

पति की मौत की खबर जयंती देवी को मिलने पर वो पूरी तरह से टूट गईं. शहीद राम प्रसाद की पत्नी जयंती देवी ने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान 26 जुलाई को लैंसडाउन के दो फौजियों ने घर आकर उन्हें रामप्रसाद ध्यानी के शहीद होने की जानकारी दी. जिसके एक हफ्ते बाद उनके पति का पार्थिव शरीर उनके घर लाया गया. उन्होंने बताया कि उस समय उनके तीनों बच्चे काफी छोटे थे. जिन्हें उन्होंने कड़े संघर्ष से बड़ा किया. बेटी का विवाह दिल्ली में किया.

शहीद रामप्रसाद के बड़े बेटे अंकित ने बताया कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है. उनका भी मन आर्मी में जाने का था, लेकिन किसी कारणवश वो आर्मी में नहीं जा सके. उन्होंने बताया कि अब वो रामनगर में रहकर अपना व्यापार देखते हैं. उनका छोटा भाई अब देश की सेवा के लिए आर्मी में है. साथ ही अंकित ने अग्निवीर योजना को भी सही बताया है.

शहीद मोहन चंद्र जोशी को किया याद: महज 20 वर्ष मैं देश के प्रति सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद मोहन चंद्र जोशी को कारगिल दिवस पर कालाढूंगी में याद किया गया. कालाढूंगी चकलुवा क्षेत्र के गुलजारपुर बंकी ग्रामसभा में शहीद मोहन जोशी अपने माता पिता और अन्य चार भाइयो के साथ रहते थे. ऐसे में आज कारगिल दिवस पर जवान मोहन चंद्र जोशी की शहादत को याद किया गया.

बागेश्वर में शहीदों का सम्मानः 'शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा' इस स्लोगन के साथ शौर्य दिवस बडे़ धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दौरान तहसील परिसर में पौधारोण भी किया गया. साथ ही स्वराज भवन में शहीद नायक मोहन सिंह और शहीद नायक राम सिंह बोरा को श्रद्धांजलि दी गई. वहीं, शहीद नायक राम सिंह बोरा की वीरांगना जानकी बोरा को सम्मानित किया गया.

टिहरी में कारगिल दिवस पर शहीदों को किया गया यादः शौर्य दिवस के मौके पर बौराड़ी स्थित नवनिर्मित युद्ध स्मारक में 'शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पण' कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस मौके पर कारगिल शहीद सैनिकों की वीरांगनाओं एवं उनके आश्रितों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया, जिसमें सुनीता देवी पत्नी नायक शिव सिंह ग्राम भ्यूपाणी कल्यासौड़, सुधा देवी पत्नी नायक दिनेश दत्त सी ब्लॉक टिहरी, बासुरी देवी पत्नी रामै बिजेंद्र सिंह ग्राम थापला लंबगांव, दीपा देवी पत्नी लांस नायक जयपाल सिंह ग्राम पिपलेथ जाजल, रोशनी देवी भाभी रामै दिलवीर सिंह ग्राम ठेला नैलचामी शामिल हैं. वहीं, ऑपरेशन रक्षक के शहीद प्रवीन सिंह ग्राम पुंडोली मल्याकोट नैलचामी के पिताजी प्रताप सिंह को भी शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया.

ये भी पढ़ेंः कारगिल विजय दिवस 2022: राज्यपाल गुरमीत सिंह ने शहीदों की दी श्रद्धांजलि

Last Updated : Jul 26, 2022, 7:41 PM IST
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