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वीर चंद्र सिंह 'गढ़वाली' का गांव भी झेल रहा पलायन का दंश, 'विकास' की राह ताक रहे ग्रामीण - emand for opening of Kendriya Vidyalaya and Hospital in Peethasain

पीठसैंण के ग्रामीण वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के गांव में केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की की मांग कर रहे हैं. जिससे यहां से पलायन रुक सके.

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वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के गांव में गांव में केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की मांग
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Published : Oct 1, 2020, 6:02 PM IST

पौड़ी: आज पेशावर कांड के वीर योद्धा वीरचंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्य तिथि है. आज हर कोई उन्हें अपनी-अपनी तरह से याद कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. वहीं, उनके गांव पीठसैंण में लोग उनके नाम पर केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की मांग कर रहे हैं. जिससे गांव में हो रहे पलायन पर रोक लग सके.

ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में सभी जनप्रतिनिधियों समेत मुख्यमंत्री से भी गुजारिश की गई है कि उनके गांव में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से अस्पताल और एक केंद्र विद्यालय का निर्माण किया जाए.

'गढ़वाली' का गांव भी झेल रहा पलायन का दंश.

पढ़ें- पूर्व CM निशंक ने जमा कराया सुविधाओं का बकाया पैसा, हाई कोर्ट ने दिए थे निर्देश

पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हो रहे पलायन की मार से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का गांव भी अछूता नहीं रहा है. पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्यतिथि पर उनके गांव पीठसैंण के रहने वाले मनवर सिंह ने बताया कि वे बचपन से ही वीर चंद्र सिंह के व्यवहार और वीरता से परिचित हैं. उनकी वीरता से प्रभावित होकर वह भी सेना में भर्ती हुए थे. अब वे सेवानिवृत होकर अपने गांव वापस लौट गए हैं.

पढ़ें- निजी स्कूल की मनमानी की खिलाफ सड़क पर उतरेंगे अभिभावक

मगर, गांव में सुविधाओं के अभाव में हो रहे पलायन के कारण आज इस वीर का गांव भी खाली होता जा रहा है. जिसे देखते हुए यहां के ग्रामीणों ने हुक्मरानों से वीरचंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से गांव में केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की मांग की है.

पढ़ें- मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में सात विषयों पर दो वर्षीय डिप्लोमा की अनुमति

महात्मा गांधी ने दी थी 'गढ़वाली' की उपाधि

बता दें बता दें 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में पेशावर गई गढ़वाली बटालियन को अंग्रेज अफसरों ने खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में भारत की आजादी के लिए लड़ रहे निहत्थे पठानों पर गोली चलाने का हुक्म दिया, लेकिन वीर चंद्र सिंह ने इसे मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते. गढ़वाली बटालियन के इस विद्रोह को इतिहास में पेशावर विद्रोह के नाम से जाना गया. बगावत करने के जुर्म में चंद्र सिंह गढ़वाली और उनके 61 साथियों को कठोर कारावास की सजा दी गई थी. उनका असली नाम चंद्र सिंह भंडारी था. बाद में महात्मा गांधी ने उन्हें 'गढ़वाली' उपाधि दी. 1 अक्टूबर 1979 को गढ़वाली इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. राज्य सरकार की तरफ से इस महान स्वतंत्रता सेनानी की याद में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

पौड़ी: आज पेशावर कांड के वीर योद्धा वीरचंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्य तिथि है. आज हर कोई उन्हें अपनी-अपनी तरह से याद कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. वहीं, उनके गांव पीठसैंण में लोग उनके नाम पर केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की मांग कर रहे हैं. जिससे गांव में हो रहे पलायन पर रोक लग सके.

ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले में सभी जनप्रतिनिधियों समेत मुख्यमंत्री से भी गुजारिश की गई है कि उनके गांव में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से अस्पताल और एक केंद्र विद्यालय का निर्माण किया जाए.

'गढ़वाली' का गांव भी झेल रहा पलायन का दंश.

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पहाड़ों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हो रहे पलायन की मार से वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का गांव भी अछूता नहीं रहा है. पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की पुण्यतिथि पर उनके गांव पीठसैंण के रहने वाले मनवर सिंह ने बताया कि वे बचपन से ही वीर चंद्र सिंह के व्यवहार और वीरता से परिचित हैं. उनकी वीरता से प्रभावित होकर वह भी सेना में भर्ती हुए थे. अब वे सेवानिवृत होकर अपने गांव वापस लौट गए हैं.

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मगर, गांव में सुविधाओं के अभाव में हो रहे पलायन के कारण आज इस वीर का गांव भी खाली होता जा रहा है. जिसे देखते हुए यहां के ग्रामीणों ने हुक्मरानों से वीरचंद्र सिंह गढ़वाली के नाम से गांव में केंद्रीय विद्यालय और अस्पताल खोलने की मांग की है.

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महात्मा गांधी ने दी थी 'गढ़वाली' की उपाधि

बता दें बता दें 23 अप्रैल 1930 को हवलदार मेजर चंद्र सिंह भंडारी के नेतृत्व में पेशावर गई गढ़वाली बटालियन को अंग्रेज अफसरों ने खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में भारत की आजादी के लिए लड़ रहे निहत्थे पठानों पर गोली चलाने का हुक्म दिया, लेकिन वीर चंद्र सिंह ने इसे मानने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा हम निहत्थों पर गोली नहीं चलाते. गढ़वाली बटालियन के इस विद्रोह को इतिहास में पेशावर विद्रोह के नाम से जाना गया. बगावत करने के जुर्म में चंद्र सिंह गढ़वाली और उनके 61 साथियों को कठोर कारावास की सजा दी गई थी. उनका असली नाम चंद्र सिंह भंडारी था. बाद में महात्मा गांधी ने उन्हें 'गढ़वाली' उपाधि दी. 1 अक्टूबर 1979 को गढ़वाली इस दुनिया को अलविदा कह गए थे. राज्य सरकार की तरफ से इस महान स्वतंत्रता सेनानी की याद में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.

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