पौड़ी: मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब 15 किलोमीटर की दूर पर बन रही ल्वाली झील बजट के अभाव में अधर में अटक गई है. 938 मीटर लंबी इस झील के डिजाइन में बदलाव के बाद अब इसे पूरा करने के लिए 12 करोड़ से अधिक के बजट की जरूरत है. अब सिंचाई विभाग ने साढ़े 12 करोड़ के बजट का प्रस्ताव शासन को भेजा है.
बता दें, मंडल मुख्यालय पौड़ी के पास गगवाड़स्यूं घाटी में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा पर बनाई जा रही ल्वाली झील पौड़ी के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. लेकिन बजट के अभाव में बीते 4 महीने से यहां पर काम ठप पड़ा हुआ है. यहां झील बनाने का मकसद जिले में पर्यटकों की संख्या को बढ़ाने और इसके साथ ही पेयजल किल्लत से भी निजात दिलाने का था.
बीते चार महीने से बजट के अभाव में झील निर्माण कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है. झील की कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के मुताबिक रिवाइज इस्टीमेंट शासन को भेजा गया है. झील से आस-पास के गांवों को पेयजल भी उपलब्ध कराना इसी योजना में शामिल किया गया है. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में ल्वाली झील शामिल रही है. त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम पद से हटने के बाद भी इस झील का निरीक्षण किया था.
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि इस झील की आईआईटी रुड़की ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाई थी, तब प्रारंभिक आकलन 6 करोड़ 92 लाख रखा गया था. इस बीच आईआईटी रुड़की ने झील का डिजाइन बदल दिया. अब साढ़े 12 करोड़ का रिवाइज स्टीमेट शासन को भेजा गया है. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 4 महीने से बजट के अभाव में काम बंद है. इस झील से 0.15 एमएलडी की पेयजल योजना भी बनाई जा रही है. इस काम को पेयजल निगम कर रहा है.
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पर्यटन गतिविधियों को नहीं लग पाए पंख: ल्वाली में बन रही झील का मुख्य उद्देश्य यहां पर पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाना था. लेकिन 3 साल बाद भी झील का कार्य पूरा नहीं होने से यहां पर पर्यटन गतिविधियां शुरू नहीं हो पाई है. ऐसे में यहां पर पर्यटन की गतिविधियां संचालित नहीं होने से युवाओं व ग्रामीणों में मायूसी छाई हुई है.