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कोटद्वारः बेस चिकित्सालय में दम तोड़ रहीं इमरजेंसी सेवाएं, रात में डॉक्टर रहते हैं नदारद

राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. खासकर रात के समय इमरजेंसी में स्टाफ और डॉक्टर न रहने से परेशानी और बढ़ जाती है.

बेस चिकित्सालय में दम तोड़ रहीं इमरजेंसी सेवाएं
बेस चिकित्सालय में दम तोड़ रहीं इमरजेंसी सेवाएं
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Published : Feb 11, 2020, 10:49 AM IST

कोटद्वारः राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में इमरजेंसी सेवाओं का बुरा हाल है. देर रात यहां आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि देर रात में इमरजेंसी में स्टाफ और डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं, जिसके कारण पूर्व में भी कई मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.

दम तोड़ रहीं इमरजेंसी सेवाएं.

बेस चिकित्सालय के इमरजेंसी में देर रात डॉक्टर व स्टाफ नदारद रहते हैं. मरीजों के परिजनों का कहना है कि स्टाफ और डॉक्टर स्टाफ रूम में दरवाजा बंद कर लेते हैं. वहीं, सीएमएस का कहना है कि कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा होता है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है, अगर इस तरह की शिकायत है अवश्य ही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

तीमारदार आशीष का कहना है कि जब भी किसी की हालत नाजुक होती है तो उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है, लेकिन अक्सर वहां पर देखा जाता है कि इमरजेंसी में मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता.

यह भी पढ़ेंः देहरादून: 12 फरवरी को होगी ई-कैबिनेट, कई अहम फैसलों पर लग सकती है मुहर

डॉक्टर स्टाफ वहीं मौजूद रहता लेकिन वह अपने स्टाफ रूम में कैद रहते हैं. ऐसे में पूर्व में भी कई मरीजों की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों का इमरजेंसी में न होना और प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की गई थी, तब जांच के दौरान यह बता दिया गया था कि डॉक्टर द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की जाती, उसके बाद भी डॉक्टर और स्टाफ इमरजेंसी में मौजूद नहीं रहते.

बेस चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. बीसी काला का कहना है कि कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है. अगर, कोई ऐसा पाया जाता है तो उसके खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जाएगी. रात को मैं स्वयं भी इमरजेंसी में राउंड पर रहूंगा.

कोटद्वारः राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार में इमरजेंसी सेवाओं का बुरा हाल है. देर रात यहां आने वाले मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि देर रात में इमरजेंसी में स्टाफ और डॉक्टर मौजूद नहीं रहते हैं, जिसके कारण पूर्व में भी कई मरीजों की मृत्यु हो चुकी है.

दम तोड़ रहीं इमरजेंसी सेवाएं.

बेस चिकित्सालय के इमरजेंसी में देर रात डॉक्टर व स्टाफ नदारद रहते हैं. मरीजों के परिजनों का कहना है कि स्टाफ और डॉक्टर स्टाफ रूम में दरवाजा बंद कर लेते हैं. वहीं, सीएमएस का कहना है कि कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा होता है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है, अगर इस तरह की शिकायत है अवश्य ही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

तीमारदार आशीष का कहना है कि जब भी किसी की हालत नाजुक होती है तो उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है, लेकिन अक्सर वहां पर देखा जाता है कि इमरजेंसी में मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता.

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डॉक्टर स्टाफ वहीं मौजूद रहता लेकिन वह अपने स्टाफ रूम में कैद रहते हैं. ऐसे में पूर्व में भी कई मरीजों की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों का इमरजेंसी में न होना और प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की गई थी, तब जांच के दौरान यह बता दिया गया था कि डॉक्टर द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की जाती, उसके बाद भी डॉक्टर और स्टाफ इमरजेंसी में मौजूद नहीं रहते.

बेस चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. बीसी काला का कहना है कि कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है. अगर, कोई ऐसा पाया जाता है तो उसके खिलाफ अवश्य कार्रवाई की जाएगी. रात को मैं स्वयं भी इमरजेंसी में राउंड पर रहूंगा.

Intro:summary राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार की इमरजेंसी में देर रात को मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है, मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि देर रात को कभी किसी को इमरजेंसी में भर्ती होना पड़ता है तो वहां पर स्टाफ और डॉक्टर मौजूद नहीं रहते, जिसके कारण पूर्व में भी कई मरीजों की मृत्यु हो चुकी है।

intro kotdwar राजकीय बेस चिकित्सालय कोटद्वार की इमरजेंसी में देर रात को मरीजों को इलाज के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, मरीजों के तीमारदारों का आरोप है कि इमरजेंसी का मतलब इमरजेंसी होता है और जब किसी की हालत नाजुक होती है तभी उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है लेकिन बेस चिकित्सालय के इमरजंसी में देर रात को डॉक्टर स्टाफ नदारद रहते हैं आरोप लगाया कि स्टॉप और डॉक्टर स्टाफ रूम में दरवाजा बंद कर रहते हैं, लेकिन इमरजेंसी में मौजूद नहीं रहते, पूर्व में भी इमरजेंसी के दौरान उपचार न मिलने से कई मरीजों की मृत्यु हो चुकी है, वही सीएमएस का कहना है कि कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा होता है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है, अगर इस तरह की शिकायत है अवश्य ही ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।


Body:वीओ1- वही आशीष का कहना है की जब भी किसी की हालत नाजुक होती है तो उसे इमरजेंसी में भर्ती करा जाता है लेकिन अक्सर वहां पर देखा जाता है कि देर रात को इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को उपचार नहीं मिल पाता, डॉक्टर स्टाफ वहीं मौजूद रहता लेकिन वह अपने स्टाफ रूम में कैद रहते हैं, ऐसे में पूर्व में भी कई मरीजों की मौत हो चुकी है मेरे द्वारा डॉक्टरों की इमरजेंसी में ना होना और प्राइवेट प्रैक्टिस करने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की गई थी, तब जांच के दौरान यह बता दिया गया था कि डॉक्टर के द्वारा प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं की जाती, उसके बाद भी डॉक्टर और स्टाफ इमरजेंसी में मौजूद नहीं रहते।
बाइट आशीष

वीओ2 - बेस चिकित्सालय के सीएमएस डॉ काला का कहना है कि ऐसा नहीं है कर्मचारी नियमावली में साफ लिखा है कि ड्यूटी करना उनका फर्ज है अगर कोई ऐसा पाया जाता है तो उसके खिलाफ अवश्य कार्यवाही की जाएगी, रात को में स्वयं भी इमरजेंसी में राउंड पर रहूंगा।

बाइट डॉ बीसी काला सीएमएस बेस चिकित्सालय कोटद्वार


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