कोटद्वार: शहर में बिल्डर मनमानी तरीके से नगर निगम के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. पार्किंग एरिया में लगातार अवैध निर्माण किया जा रहा है. जिससे मुख्य मार्गों और गलियों में वाहनों की कतारें लगना जनता के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है. लेकिन स्थानीय प्रशासन से लेकर जिला विकास प्राधिकरण तक इस ओर आंखें मूंदे बैठा है.
कोटद्वार को गढ़वाल का द्वार माना जाता है. बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों को कोटद्वार से ही लैंसडाउन, पौड़ी, सतपुली , ताड़केश्वर जाना पड़ता है. लेकिन पर्यटकों को कोटद्वार पहुंचकर जाम में घंटों खड़ा रहना पड़ता है. बता दें कि कोटद्वार में दर्जनों शॉपिंग कॉम्पलेक्स, होटल्स, हाउसिंग सोसायटी बनी हुई हैं, जिनमें पार्किंग की व्यवस्था तक नहीं की गई है.
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इस तरह के निर्माण कराने से पहले बिल्डर प्राधिकरण में पार्किंग दिखाकर नक्शा तो पास करवा लेते हैं, लेकिन पार्किंग के स्थान पर माफिया दुकान या फ्लैट का निर्माण कर देते हैं. बावजूद इसके प्रशासन मूक दर्शक बना रहता है.
स्थानीय निवासी मुजीब नैथानी का कहना है कि इसमें साफ तौर पर प्रशासन की कमी है. डीडीए में कोई भी ऐसी सूचना नहीं है कि कहीं कोई भवन निर्माण हो रहा है. डीडीए के अनुसार कोटद्वार में कहीं भी भवन निर्माण कार्य नहीं हो रहा है. जितने भी कोटद्वार में व्यवसायिक भवन है, उनको अभी तक डीडीए की ओर से कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है. मतलब कि वह व्यवसाई भवन अभी कंप्लीट नहीं हुए हैं. उनमें व्यवसाई गतिविधि नहीं हो सकती. लेकिन कोटद्वार में सारे व्यवसायिक भवनों में गतिविधियां शुरू हो गई हैं.
उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से ये घोर लापरवाही है, जिसकी शिकायत हम कई बार कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं के यहां व्यवसायिक भवन हैं. जिस वजह से विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
जिला विकास प्राधिकरण के संयुक्त सचिव मनीष कुमार का कहना है कि जब से जिला विकास प्राधिकरण गठित हुआ है तब से लेकर अब तक जितने भी भवन बने हैं, नियम के अनुसार जगह नहीं छोड़ी गई हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार नोटिस जारी किए जा रहे हैं. कई भवनों को सील किया गया है. उन्होंने कहा कि ऐसे भवन जहां नियम अनुसार पार्किंग व्यवस्था नहीं है, उनके खिलाफ डीडीए के प्रावधानों के अनुरुप कार्रवाई की जा रही है.