श्रीनगरः राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (बेस अस्पताल श्रीकोट) में एक बार फिर न्यूरोलॉजी विभाग खाली हो गया है. यहां 15 साल बाद मिले न्यूरो सर्जन डॉक्टर राधे श्याम मित्तल ने पारिवारिक कारणों से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अब उनके न होने से एक बार फिर न्यूरोलॉजी विभाग में ताले पड़ गए हैं. ऐसे में न्यूरो से संबंधी बीमारी के इलाज के मरीजों को अन्य अस्पतालों के धक्के खाने पड़ेंगे.
हाल में लगी एमआरआई मशीनः बता दें कि हाल ही में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में करोड़ों की लागत से एमआरआई मशीन लगाई गई थी, लेकिन न्यूरो सर्जन डॉक्टर राधे श्याम मित्तल ही यहां से इस्तीफा देकर चले गए हैं. जिसके चलते न्यूरोलॉजी विभाग में ताले लग गए हैं. ऐसे में एक बार फिर से न्यूरो संबंधी बीमारियों के लिए पौड़ी, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग के मरीजों को देहरादून या ऋषिकेश के चक्कर लगाने पड़ेंगे. हालांकि, एमआरआई तो हो रहे हैं, लेकिन एक्सपर्ट डॉक्टर ही नहीं है.
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न्यूरो सर्जन डॉक्टर राधे श्याम मित्तल का इस्तीफाः माना जा रहा था कि अगर डॉक्टर मित्तल बेस अस्पताल में टिक जाते तो श्रीनगर के आस पास के रहने वाले लोगों को न्यूरो संबंधी बीमारियों के लिए यहीं पर इलाज मिल जाता. डॉक्टर राधे श्याम मित्तल ने नवंबर 2022 में मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में बतौर न्यूरोसर्जन के तौर पर अपनी नियुक्ति दी थी. अब पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. जिसके बाद न्यूरो सर्जन का पद खाली चल रहा है.
क्या बोले श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य? श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीएमएस रावत ने बताया कि इस संबंध में डॉक्टर राधे श्याम मित्तल का इस्तीफा मिल गया है. उन्होंने इस्तीफे में पारिवारिक कारणों को इसकी वजह बताया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर मित्तल के जाने के बाद जल्द मेडिकल कॉलेज न्यूरोलॉजी विभाग में एक प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की विज्ञप्ति जारी करेगा. कोशिश की जाएगी कि जल्द इन पदों को भरा जाए.
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श्रीनगर में रोजाना हो रहे 5 से ज्यादा एमआरआईः वहीं, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में तैनात रेडियोलॉजिस्ट ज्योति जोशी गैरोला ने बताया कि हर दिन बेस अस्पताल में 5 से ज्यादा लोगों के एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) किए जा रहे हैं. फिलहाल, पीडियाट्रिक, ऑर्थो, गायनी, ईएनटी समेत अन्य विभागों से मरीजों को एमआरआई करवाने की सलाह दी जा रही है. जिससे उनके केस स्टडी में मदद मिल रही है. ताकि, मरीजों को अच्छा इलाज मरीजों को मिल सके.