श्रीनगर: कहते हैं प्यार में और प्यार के लिए इंसान कुछ भी कर जाता है, मगर आज जिस शख्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, उसने न प्यार में और न ही प्यार के लिए कुछ किया, बल्कि इस शख्स ने प्यार के ठुकराये जाने के बाद ऐसा कदम उठाया जो शायद आपने कभी सोचा भी नहीं होगा. प्यार में ठुकराये जाने के बाद आपने चोर, अधिकारी या फिर आईएएस बनने की खबरें सुनी होंगी. मगर ये शख्स प्यार में ठुकराये जाने के बाद बाबा बन गया. बाबा भी कोई ऐसा वैसा नहीं बल्कि अघोरी 'श्मशानी बाबा'. ये श्मशानी बाबा अब घाट पर पहुंचने वाली लावारिश लाशों को भी 'सहारा' देता है.
नेपाल के रहने वाले हैं 'श्मशानी बाबा': 'श्मशानी बाबा' मूल रूप से भारत के पड़ोसी देश नेपाल के रहने वाले हैं. उनका असली नाम राजेश रॉय है. राजेश नेपाल के दिगतिल जिला सगर आंचल गांव के रहने वाले हैं. अपने जमाने में राजेश रॉय को एक युवती से प्यार हुआ, मगर इस युवती ने राजेश को धोखा दे दिया. जिसके बाद राजेश का सांसारिक जीवन से मोह भंग हो गया. उसके बाद राजेश हरिद्वार आ गये. उन्होंने जूना अखाड़े में दीक्षा ली. जिसके बाद उन्हें राजराजेश्वर गिरी नाम मिला. 2015 में वे चारधामों की यात्रा पर निकले. यात्रा समाप्त करने के बाद उन्होंने श्रीनगर में भक्तियाना घाट पर ही अपनी कुटिया बनाई. यहां से उनके श्मशानी बाबा बनने का सफर शुरू हुआ.
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लोगों ने दिया 'श्मशानी बाबा' नाम: श्रीनगर में भक्तियाना घाट पर राजराजेश्वर गिरी शवों का अंतिम संस्कार करने लगे. इसके साथ ही वे यहां पहुंचने वाले लोगों की मदद भी करने लगे. शवों का दाह संस्कार करने और श्मशान में रहने के कारण लोगों ने उन्होंने 'श्मशानी बाबा' कहना शुरू कर दिया. जिसके बाद राजराजेश्वर गिरी 'श्मशानी बाबा' के नाम से जाने जाने लगे. राजराजेश्वर गिरी महाराज ने बताया अमूमन श्मशानों में रहने वाले संत किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात नहीं करते. लोग भी उनसे दूरी बनाते हैं. मगर वे लंबे समय से इस घाट पर हैं. वे खुलकर लोगों से बात करते हैं. लोगों को धर्म कर्म के बारे में जानकारी देते हैं. जिसके कारण लोग उन्हें 'श्मशानी बाबा' के नाम से पुकारने लगे.
परिजनों ने मोड़ा मुंह, तो 'श्मशानी बाबा' ने किया दाह संस्कार: 'श्मशानी बाबा' न केवल घाट पर पहुंचने वाले शवों का अंतिम संस्कार करते हैं बल्कि वे लावारिश लाशों का खुद जिम्मा उठाते हुए पूरी क्रिया करते हुए उनका अंतिम संस्कार करते हैं. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए 'श्मशानी बाबा' कोरोना काल को याद करते हैं. वे बताते हैं ये वो दौर था जब श्रीनगर में भक्तियाना घाट पर हर दिन लगभग 10 से 15 शव आते थे. ये सभी शव कोरोना मरीजों के होते थे. उन शवों को उनके परिजन भी हाथ नहीं लगाते थे. प्रशासन ने भी शवों के अंतिम संस्कार की पूरी जिम्मेदारी 'श्मशानी बाबा' को सौंपी थी. तब उन्होंने अपनी जान की परवाह किये बिना सभी शवों का अंतिम संस्कार किया.
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शेफ से 'श्मशानी बाबा' बनने की कहानी: वहीं, जब हमने 'श्मशानी बाबा' के सांसारिक जीवन में बात की तो उन्होंने खुलकर इस बारे में बताया. 'श्मशानी बाबा' ने बताया वे 3 स्टार होटल में चाइनीज डिश के स्पेशलिस्ट शेफ थे. प्यार में धोखा मिलने के बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. तब से लेकर अबतक वे भगवान की भक्ति में लीन हैं. वे कहते हैं अब श्मशान ही उनकी दुनिया है. 'श्मशानी बाबा' भगवान शिव की तीन पहर की पूजा भी करते हैं.