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पौड़ी जिले में 200 से अधिक बच्चे कुपोषित, जिलाधिकारी ने दिये ये निर्देश

पौड़ी जिले में 200 से अधिक कुपोषित बच्चे हैं. जिनके लिए जिलाधिकारी ने विशेष दिशा निर्देश दिये. जिलाधिकारी ने कहा कि इन लोगों की देखभाल ऐसे करें, जैसे अपने परिवार और बच्चों की देखरेख की जाती है. इसके लिए मिशन-200 चलाया जाएगा.

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पौड़ी जिले में 200 से अधिक बच्चे कुपोषित
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Published : Mar 22, 2023, 5:22 PM IST

पौड़ी: जनपद में आज भी 200 से अधिक नौनिहाल कुपोषण के शिकार हैं. इनमें 51 अति कुपोषित हैं, जबकि 37 हजार से अधिक बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बाल विकास विभाग की ओर से पोषाहार हर महीने दिया जा रहा है. प्रशासन इन बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए मिशन-200 चलाएगा.

बाल विकास विभाग की मानें तो पूरे जिले में 200 से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इसमें से 145 कुपोषित जबकि 51 अति कुपोषित हैं. इतना ही नहीं विभाग ने 8 महिलाओं को एनिमिया से ग्रसित भी पाया है. डीएम आशीष चौहान ने बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक की तो कुपोषण के मामले प्रकाश में आये. जिस पर डीएम ने विभाग को तत्काल युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये.
पढे़ं- उत्तराखंड के रास्ते नेपाल भाग सकता है अमृतपाल!, पंजाब पुलिस के इनपुट के बाद नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट, पोस्टर लगाए

डीएम आशीष चौहान ने कहा कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारियों को कुपोषित बच्चों व एनिमिक महिलाओं की अतिरिक्त देखभाल करने के निर्देश दिये. डीएम ने कहा विभाग इन लोगों की देखभाल ऐसे करे जैसे अपने परिवार और बच्चों की देखरेख की जाती है. उन्होंने सरकारी सिस्टम को आगामी वित्तीय वर्ष की अगली समीक्षा बैठक तक जिले को शत प्रतिशत कुपोषण मुक्त करने के निर्देश दिये. इसके लिए डीएम ने मिशन-200 के तहत विभाग के इस कार्य का लक्ष्य भी सौंपा.
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जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले में 6 महीने से लेकर 3 साल तक के 21,718 बच्चे, 3 से 6 साल के 15,781 बच्चों के साथ ही 3149 गर्भवती व 4543 धात्री महिलाओं के पोषण की नियमित निगरानी की जाती है. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को जिम्मेारी सौंपी गई है. जिले में कुल 1853 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से करीब 300 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां पर बच्चों की संख्या शून्य है.

पौड़ी: जनपद में आज भी 200 से अधिक नौनिहाल कुपोषण के शिकार हैं. इनमें 51 अति कुपोषित हैं, जबकि 37 हजार से अधिक बच्चों और गर्भवती महिलाओं को बाल विकास विभाग की ओर से पोषाहार हर महीने दिया जा रहा है. प्रशासन इन बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए मिशन-200 चलाएगा.

बाल विकास विभाग की मानें तो पूरे जिले में 200 से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इसमें से 145 कुपोषित जबकि 51 अति कुपोषित हैं. इतना ही नहीं विभाग ने 8 महिलाओं को एनिमिया से ग्रसित भी पाया है. डीएम आशीष चौहान ने बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक की तो कुपोषण के मामले प्रकाश में आये. जिस पर डीएम ने विभाग को तत्काल युद्ध स्तर पर कार्य करने के निर्देश दिये.
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डीएम आशीष चौहान ने कहा कि जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए ब्लॉक के बाल विकास परियोजना अधिकारियों को कुपोषित बच्चों व एनिमिक महिलाओं की अतिरिक्त देखभाल करने के निर्देश दिये. डीएम ने कहा विभाग इन लोगों की देखभाल ऐसे करे जैसे अपने परिवार और बच्चों की देखरेख की जाती है. उन्होंने सरकारी सिस्टम को आगामी वित्तीय वर्ष की अगली समीक्षा बैठक तक जिले को शत प्रतिशत कुपोषण मुक्त करने के निर्देश दिये. इसके लिए डीएम ने मिशन-200 के तहत विभाग के इस कार्य का लक्ष्य भी सौंपा.
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जिला कार्यक्रम अधिकारी जितेन्द्र कुमार ने बताया कि जिले में 6 महीने से लेकर 3 साल तक के 21,718 बच्चे, 3 से 6 साल के 15,781 बच्चों के साथ ही 3149 गर्भवती व 4543 धात्री महिलाओं के पोषण की नियमित निगरानी की जाती है. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को जिम्मेारी सौंपी गई है. जिले में कुल 1853 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से करीब 300 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जहां पर बच्चों की संख्या शून्य है.

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