कोटद्वार: राजा भरत की जन्म स्थली और महर्षि कण्व की तपोभूमि कण्वाश्रम को कुछ शरारती तत्वों ने अपमानित करने का काम किया है. शरारती तत्वों ने महर्षि कण्व के मंदिर में जूते-चप्पलों व कूड़े का ढेर (Garbage in Kanva temple) लगा दिया है. इसकी जानकारी कोटद्वार नगर निगम के पार्षद सौरभ नौटियाल ने दी है. उनका कहना है कि पर्यटन से जुड़े इस धार्मिक स्थल को शरारती तत्वों ने अपमानित कर क्षेत्र में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने का काम किया है, जिससे क्षेत्र के लोगों में रोष है.
मोटाढांग के पार्षद सौरभ नौटियाल ने बताया कि अज्ञात शरारती तत्वों के खिलाफ कोटद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया जायेगा. साथ ही इस कृत्य के लिए उपजिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन प्रेषित किया जायेगा.
उनका कहना है कि अगर शरारती तत्वों पर काबू नहीं पाया गया तो, सरकार को इसका बुरा परिणाम देखना पड़ेगा. क्षेत्र का माहौल भी खराब होगा. इसलिए सरकार को चाहिए कि कण्वाश्रम क्षेत्र में महर्षि कण्व की तपोभूमि पर सुरक्षा व्यवस्था के उचित उपाय किए जाएं.
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कण्वाश्रम का धार्मिक महत्व: पौराणिक कथाओं के अनुसार कण्वाश्रम एक समय में अध्यात्म, ज्ञान-विज्ञान का विश्वविख्यात केंद्र हुआ करता था, जिसमें संपूर्ण विश्व के दस सहस्त्र विद्यार्थी कुलपति कण्व से शिक्षा ग्रहण करते थे. महर्षि कण्व, विश्वामित्र, दुर्वासा आदि की तपोस्थली के साथ ही यह स्थान मेनका-विश्वामित्र और शकुंतला व राजा दुष्यंत की प्रणय स्थली भी रहा है. यहीं पर शकुंतला-दुष्यंत के तेजस्वी पुत्र भरत ने जन्म लिया. वही भरत जिनके नाम से देश का नाम भारत पड़ा.