श्रीनगर: पिछले साल कोरोना के कारण हजारों प्रवासी अपने गांव लौटे तो राज्य सरकार ने आनन-फानन में प्रवासियों को रोकने के लिए स्वरोजगार योजना लॉन्च की थी. लेकिन कुछ ही लोग इस योजना का लाभ ले पाए. ऐसे बी कई युवा है, जो पिछले एक साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे है, लेकिन उन्हें इस योजना का लाभ ही नहीं मिल रहा है. आखिरी अब वे फिर से पलायन करने के मजबूर हो रहे है.
सतपुली तहसील के कांडाखाल कौड़िया वन के पवन सिंह, दीपक सिंह और संतोष सिंह ने अखबार में सरकारी योजनाओं के बारे में पढ़ा था. फिर इन युवाओं द्वारा गांव में मछली पालन, मुर्गी पालन और सब्जी उगाना आदि की योजना बनाई. इसके लिए उनके द्वारा एक खाली पड़ी बंजर भूमि को काटकर मछली तालाब (कच्चा) बना दिया गया, जिसमें इनके द्वारा काफी मजदूरों को लगाया गया था.
पवन सिंह, दीपक सिंह और संतोष सिंह ने तालाब तैयार कर लिया और मुर्गी पालन के लिए जगह तैयार कर की. इसके बाद उन्होंने सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन किया. जिसके बाद मत्स्य पालन, कृषि विभाग और पशुपालन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे. अधिकारियों द्वारा युवाओं को आश्वासन दिया गया कि जल्द उनको सरकारी सहायता दी जाएगी, लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी किसी योजना का इनको लाभ नहीं मिला है.
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पवन सिंह का कहना है कि उनके द्वारा मत्स्य पालन, कृषि विभाग, पशुपालन के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने उनको सिर्फ आश्वासन ही दिया हैं. अब उनके पास धन नहीं है. इसलिये अब काम बंद करके वापस नौकरी करने दिल्ली जाना पड़ रहा है.