कोटद्वार: बीते जून-जुलाई माह में सुखरौ नदी में हुए चैनलाइजेशन में मानकों की अनदेखी के कारण जहां सुखरौ पुल पर खतरा मंडराने लगा है. वहीं, सत्तीचौड़ संपर्क मार्ग भी इस नीति की भेंट चढ़ गया है. दरअसल, भारी बारिश के कारण कोटद्वार क्षेत्र में बहने वाली नदियां उफान पर हैं. आज सुबह सुखरौ नदी के उफान पर होने से कोटद्वार-सत्तीचौड़ संपर्क मार्ग का एक बड़ा हिस्सा बह गया. इस दौरान कई बिजली के खंभे भी तेज बहाव की भेंट चढ़ गए, जिस कारण कई क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति ठप हो गयी है.
बता दें, सुखरौ नदी में स्थानीय प्रशासन की अनुमति पर जून और जुलाई माह में रिवर ट्रेनिंग नीति की तहत चैनलाइजेशन का कार्य हुआ था, जिसमें मानकों को ताक पर रखा गया था. इसके बाद अगस्त माह में वन विभाग के रिजर्व फॉरेस्ट में नदी के बहाव को बीचों-बीच करने के लिये जेसीबी मशीन लगाई गई, जिससे जमकर अवैध खनन किया गया. वहीं, मानकों के विपरीत अधिक खनन होने के कारण सुखरौ नदी में भू-कटाव होने लगा है. नदी में हो रहे भू-कटाव के कारण आसपास स्थित गांव सत्तीचौड़ और खुनिबढ़ पर भी खतरा मंडराने लगा है.
वहीं, स्थानीय निवासी बिंदा रावत का कहना है कि सत्तीचौड़ का संपर्क मार्ग सुखरौ नदी में हुए खनन की भेंट चढ़ गया है. बीती रात हुई जोरदार बारिश के कारण संपर्क मार्ग सुखरौ नदी के तेज बहाव की चपेट में आ गया है. ऐसे में कोई भी सुध लेने नहीं आया है.
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वहीं, पार्षद गीता नेगी का कहना है कि पूर्व में भी कई बार शासन प्रशासन को इस नदी के बारे में अवगत करा दिया गया है. सुखरौ नदी में जिस प्रकार से खनन किया गया है, इस पर रोक लगाया जाना चाहिए. स्थानीय लोगों का कहना है कि खनन से जुड़े लोगों ने पुल की एप्रोच वॉल तक को खोखला कर दिया है.
इस संबंध में उप जिलाधिकारी कोटद्वार योगेश मेहरा का कहना है कि यह संपर्क मार्ग वन विभाग के अंतर्गत आता है. उसके लिए वन विभाग प्रस्ताव बनाकर जिलाधिकारी को भेजे या फिर खुद वन विभाग को संपर्क मार्ग का निर्माण करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि चैनलाइजेशन में प्राप्त राजस्व से जो भी संभव होगा वह कार्य करवाया जाएगा.