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मायानगरी का मोह छोड़ गांव में शुरू किया गोबर से व्यवसाय, पलायन को दे रहे मात

महेश ने साल 2014 में 6 महिलाओं का एक समूह बनाकर उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. वहीं, साल 2017 में उन्होंने इस समूह को पंजीकृत करवाया. उनका कहना है कि आने वाले समय में वह अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं.

पौड़ी गढ़वाल
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Published : Mar 3, 2019, 7:07 PM IST

पौड़ी: जिले के रिखणीखाल ब्लॉक के वयेला तल्ला गांव के रहने वाले महेश घिल्डियाल रिवर्स माइग्रेशन की एक नजीर बनकर उभरे हैं. मुबंई से नौकरी छोड़कर वे कई सालों से ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जुटे हैं. उनके मार्गदर्शन में ग्रामीण महिलाएं गाय के गोबर से धूप, अगरबत्ती और हवन सामग्री बना रही हैं.

महिला समूह द्वारा गोबर और गोमूत्र से बनाए जा रहे विभिन्न तरह के उत्पाद.

अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई काम नामुमकिन नहीं है. जहां लोग रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं. वहीं, महेश ने मायानगरी मुंबई की नौकरी छोड़कर अपने गांव का रुख किया और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा. उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद बनाकर न सिर्फ अपनी आजीविका चलाई, बल्कि अपने इस कार्य से महिलाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक सबलता दी.

महेश घिल्डियाल का कहना है कि वह पहाड़ों से हो रहे पलायन को लेकर काफी चिंतित है. अपने स्तर से पलायन रोकने के लिए वे हर संभंव कार्य कर रहे हैं. लेकिन पलायन को रोकने के लिए सरकार जिस तरह से लोगों को आश्वासन दे रही है. उसके सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

महेश बताते हैं कि साल 2014 में 6 महिलाओं का एक समूह बनाकर उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. वहीं, साल 2017 में उन्होंने इस समूह को पंजीकृत करवाया. उनका कहना है कि आने वाले समय में वह अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं. ताकि इस कार्य से अधिक से अधिक क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सके.

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महेश घिल्डियाल का कहना है कि वर्तमान में वह अपने घर से ही सारा काम करते हैं. उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें यूनिट डालने के लिए भूमि की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि साल 2017 में उन्होंने प्रशासन से भूमि लीज के लिए आवदेन किया था. लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी शासन-प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिला है.

पौड़ी: जिले के रिखणीखाल ब्लॉक के वयेला तल्ला गांव के रहने वाले महेश घिल्डियाल रिवर्स माइग्रेशन की एक नजीर बनकर उभरे हैं. मुबंई से नौकरी छोड़कर वे कई सालों से ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जुटे हैं. उनके मार्गदर्शन में ग्रामीण महिलाएं गाय के गोबर से धूप, अगरबत्ती और हवन सामग्री बना रही हैं.

महिला समूह द्वारा गोबर और गोमूत्र से बनाए जा रहे विभिन्न तरह के उत्पाद.

अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई काम नामुमकिन नहीं है. जहां लोग रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं. वहीं, महेश ने मायानगरी मुंबई की नौकरी छोड़कर अपने गांव का रुख किया और महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा. उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न उत्पाद बनाकर न सिर्फ अपनी आजीविका चलाई, बल्कि अपने इस कार्य से महिलाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक सबलता दी.

महेश घिल्डियाल का कहना है कि वह पहाड़ों से हो रहे पलायन को लेकर काफी चिंतित है. अपने स्तर से पलायन रोकने के लिए वे हर संभंव कार्य कर रहे हैं. लेकिन पलायन को रोकने के लिए सरकार जिस तरह से लोगों को आश्वासन दे रही है. उसके सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं.

महेश बताते हैं कि साल 2014 में 6 महिलाओं का एक समूह बनाकर उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. वहीं, साल 2017 में उन्होंने इस समूह को पंजीकृत करवाया. उनका कहना है कि आने वाले समय में वह अपना उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं. ताकि इस कार्य से अधिक से अधिक क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिल सके.

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महेश घिल्डियाल का कहना है कि वर्तमान में वह अपने घर से ही सारा काम करते हैं. उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें यूनिट डालने के लिए भूमि की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि साल 2017 में उन्होंने प्रशासन से भूमि लीज के लिए आवदेन किया था. लेकिन 2 साल बीतने के बाद भी शासन-प्रशासन की ओर से उन्हें किसी भी तरह का सहयोग नहीं मिला है.

Intro:पौड़ी के रिखणीखाल ब्लॉक के वयेला तल्ला गांव में रहने वाले महेश घिल्डियाल ने 6 महिलाओं का एक समूह का निर्माण किया है जो कि पिछले कई सालों से गाय के गोबर से धूप अगरबत्ती हवन सामग्री फूलों के लिए गमला और गोमूत्र से गोनाइल बनाने का काम कर रहे हैं महेश घड़ियाल लंबे समय से मुंबई में नौकरी कर रहे थे लेकिन पहाड़ का प्रेम उन्हें अपने गांव खींच लाया रिवर्स माइग्रेशन करके अपने गांव में रोजगार के साधन पैदा कर रहे हैं। उन्होंने गाय के गोबर और गोमूत्र से इसकी शुरुवात की है। महेश अपनी पत्नी यशवंती समेत अन्य महिलाओं की मदद से यह पूरा काम कर रहे हैं उनका कहना है कि वह अपने स्तर से पलायन को रोकने के लिए संभव काम कर रहे हैं लेकिन जिस तरह से सरकार मदद का आश्वासन लोगों को दे रही है वह सारे वादे खोखले साबित हो रहे हैं।


Body:रोजगार की तलाश में शहरों की तरफ रुख कर रहे पहाड़ के युवाओं के बाद खाली होते कैसे सवार जाए इस पर सरकार भी योजनाए तैयार कर रही है वहीं मुंबई की ऐसो आराम की जिंदगी त्याग कर महेश अपने गांव वापस आए ताकि वह अपने गांव में रहकर यहीं पर काम करें और गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार के साथ जोड़े । साल 2014 से 6 महिलाओं का एक समूह बनाकर गाय के गोबर और गोमूत्र से उत्पाद बनाने का काम किया जा रहा है वही साल 2017 में इस समूह को सुरभि गौमय हर्बल के नाम से पंजीकृत किया गया। इस समूह के संरक्षक महेश घिल्डियाल ने बताया कि आने वाले समय में इस उत्पादन को बढ़ाना चाहते हैं ताकि क्षेत्र में लोगों को रोजगार दिया जा सके और जिस तरह से पहाड़ों के गांव खाली होते जा रहे हैं वह खुद भी रिवर्स माइग्रेशन कर गांव वापस आये है और गांव के अन्य लोगो को वापस बुलाना चाहते हैं ताकि उनके गांव की रौनक फिर से लौट आए।


Conclusion:समूह के संरक्षक महेश घिल्डियाल ने बताया कि वह स्वयं के संसाधनों से गांव में रोजगार देने का प्रयास कर रहे हैं इसके लिए अन्य लोगों को जोड़ने के लिए उन्हें बड़ी यूनिट डालने की आवश्यकता है। वर्तमान में वह अपने घर के में ही सारा काम करते हैं लेकिन आने वाले समय में उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्हें यूनिट डालने के लिए भूमि की आवश्यकता है और सरकार और प्रशासन से लंबे समय से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें भूमि लीज पर दी जाए ताकि वह इस प्रोडक्शन को बढ़ा सकें और छेत्र की महिलाओं और अन्य लोगों को जोड़ सके। शासन प्रसाशन से लंबे समय से गुहार लगाने के बाद आज तक उन्हें जमीन मुहय्या नही करवाई गई है बताया कि साल 2017 में भूमी को लीज़ पर लेंने के लिए आवेदन किया था लेकिन आज 2 साल बीतने के बाद भी शासन प्रशासन की ओर से किसी भी तरह से सहयोग नहीं किया गया है यदि सरकार का रवैया यही रहा तो पलायन पर रोक लगाने में सरकार कैसे कामियाब हो पाएगी।
बाईट 01 - महेश घिल्डियाल(समूह के संरक्षक)
बाईट 02- यशवंती घिल्डियाल( समूह की अद्यक्ष)
बाईट 03-महेश घिल्डियाल(समूह के संरक्षक)
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