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श्रीनगर: 8 सालों से अपने मूल स्थान पर जाने को तरस रहीं मां धारी देवी, जानिए कारण

पिछले 8 सालों से मां भगवती धारी देवी की पूजा टिन शेड के नीचे की जा रही है. उसी टिन शेड के बगल में माता का भव्य मंदिर भी बना हुआ है लेकिन अभी तक मंदिर निर्माण पूरा नहीं होने के चलते माता की मूर्ति को मंदिर में नहीं स्थापित किया गया है.

Maa Dhari Devi
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Published : Oct 24, 2021, 11:46 AM IST

श्रीनगर: चारों धामों की रक्षक देवी के नाम प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां धारी देवी अपने मूल स्थान पर जाने के लिए तरस गयी हैं, पिछले 8 सालों से मां भगवती धारी देवी की पूजा टिन शेड के नीचे की जा रही है, जबकि उसी टिन शेड के बगल में माता का भव्य मंदिर भी बना हुआ है. 8 सालों से बन रहे इस मंदिर को अभी तक फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है. अभी भी मां की मूर्ति को नए मंदिर में स्थापित नहीं किया गया है, जिससे मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं में खासा रोष देखने को मिल रहा है.

बता दें, मां धारी देवी का मंदिर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की झील में पड़ने के कारण पुराना मंदिर अलकनन्दा नदी में समा गया था, जिसके बाद धारी देवी की मूर्ति को 16 जून 2013 की शाम साढ़े 6 बजे डूबते हुए मंदिर से निकाला गया था, जिसके बाद मंदिर नदी में समा गया था. उसके बाद श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की कार्यदाई संस्था जीवीके ने नए मंदिर का निर्माण शुरू किया.

8 सालों से अपने मूल स्थान पर जाने को तरस रहीं मां धारी देवी.

मंदिर का निर्माण शुरू हुए 8 साल का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक मंदिर को फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है, जिस कारण मां धारी देवी की मूर्ति को अभी तक नए मंदिर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा नहीं की गई है.

बदहाल हो रहा नया मंदिर: लेट लतीफी के कारण नए मंदिर की हालत भी खस्ता हो रही है. जगह-जगह पेंट उखड़ने लगा है और टाइल टूटने लगी है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब कभी अलकनन्दा नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो नदी के ऊपर बना मंदिर कांपने लगता है. मंदिर पिल्लरों में कम्पन्न होने लगता है. पुजारियों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि धारी देवी मंदिर में मुख्य मंदिर में जल्द से जल्द मूर्ति की स्थापना की जाए.

पढ़ें- सुंदरढूंगा ग्लेशियर में बंगाल के 5 पर्यटकों की मौत, SDRF ने शवों को किया रेस्क्यू

पुजारियों ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर जलविद्युत परियोजना उनको ना तो मंदिर को हैंडओवर कर रही है और ना ही मंदिर को फाइनल कर रही है, जिसके कारण 8 सालों से मां भगवती टिन शेड में ही विराजमान हैं. वहीं, इस पूरे घटना क्रम से श्रद्धालु भी आहत है. उनका भी कहना है कि जल्द से जल्द मा भागवती को नए मंदिर में शिफ्ट किया जाना चाहिए.

मंदिर के मुख्य पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे ने कहा कि कंपनी के कारण ये लेट तलीफी हो रही है. कंपनी ने 6 महीने का वादा किया था लेकिन अभी 8 साल का वक्त बीत गया. शासन प्रसासन को कई बार पत्रचार किया गया लेकिन किसी ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि अभी हाल में एक पत्र सीएम पुष्कर सिंह धामी को भेजा गया है. ऐसे में अगर दिसंबर तक कोई काम नहीं हुआ तो मंदिर समिति इस काम को खुद करेगी.

बता दें, 2013 की आपदा शायद ही कोई भूल पाया हो. उस आपदा ने हाजारों की जान निगल ली थी. माना जाता है कि अगर साल 2013 में 16-17 जून की उस शाम 6 बजकर 30 मिनट पर धारी देवी की मूर्ति को मंदिर से ना निकाला जाता, तो आपदा ना होती. लोगों का दावा है कि 2013 की आपदा के आने के पीछे मंदिर से मूर्ति को अपलिफ्ट करना रहा है.

श्रीनगर: चारों धामों की रक्षक देवी के नाम प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां धारी देवी अपने मूल स्थान पर जाने के लिए तरस गयी हैं, पिछले 8 सालों से मां भगवती धारी देवी की पूजा टिन शेड के नीचे की जा रही है, जबकि उसी टिन शेड के बगल में माता का भव्य मंदिर भी बना हुआ है. 8 सालों से बन रहे इस मंदिर को अभी तक फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है. अभी भी मां की मूर्ति को नए मंदिर में स्थापित नहीं किया गया है, जिससे मंदिर के पुजारियों और श्रद्धालुओं में खासा रोष देखने को मिल रहा है.

बता दें, मां धारी देवी का मंदिर श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की झील में पड़ने के कारण पुराना मंदिर अलकनन्दा नदी में समा गया था, जिसके बाद धारी देवी की मूर्ति को 16 जून 2013 की शाम साढ़े 6 बजे डूबते हुए मंदिर से निकाला गया था, जिसके बाद मंदिर नदी में समा गया था. उसके बाद श्रीनगर जलविद्युत परियोजना की कार्यदाई संस्था जीवीके ने नए मंदिर का निर्माण शुरू किया.

8 सालों से अपने मूल स्थान पर जाने को तरस रहीं मां धारी देवी.

मंदिर का निर्माण शुरू हुए 8 साल का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक मंदिर को फिनिसिंग टच नहीं दिया गया है, जिस कारण मां धारी देवी की मूर्ति को अभी तक नए मंदिर में स्थापित कर प्राण प्रतिष्ठा नहीं की गई है.

बदहाल हो रहा नया मंदिर: लेट लतीफी के कारण नए मंदिर की हालत भी खस्ता हो रही है. जगह-जगह पेंट उखड़ने लगा है और टाइल टूटने लगी है. मंदिर के पुजारियों का कहना है कि जब कभी अलकनन्दा नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो नदी के ऊपर बना मंदिर कांपने लगता है. मंदिर पिल्लरों में कम्पन्न होने लगता है. पुजारियों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि धारी देवी मंदिर में मुख्य मंदिर में जल्द से जल्द मूर्ति की स्थापना की जाए.

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पुजारियों ने आरोप लगाया है कि श्रीनगर जलविद्युत परियोजना उनको ना तो मंदिर को हैंडओवर कर रही है और ना ही मंदिर को फाइनल कर रही है, जिसके कारण 8 सालों से मां भगवती टिन शेड में ही विराजमान हैं. वहीं, इस पूरे घटना क्रम से श्रद्धालु भी आहत है. उनका भी कहना है कि जल्द से जल्द मा भागवती को नए मंदिर में शिफ्ट किया जाना चाहिए.

मंदिर के मुख्य पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे ने कहा कि कंपनी के कारण ये लेट तलीफी हो रही है. कंपनी ने 6 महीने का वादा किया था लेकिन अभी 8 साल का वक्त बीत गया. शासन प्रसासन को कई बार पत्रचार किया गया लेकिन किसी ने अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि अभी हाल में एक पत्र सीएम पुष्कर सिंह धामी को भेजा गया है. ऐसे में अगर दिसंबर तक कोई काम नहीं हुआ तो मंदिर समिति इस काम को खुद करेगी.

बता दें, 2013 की आपदा शायद ही कोई भूल पाया हो. उस आपदा ने हाजारों की जान निगल ली थी. माना जाता है कि अगर साल 2013 में 16-17 जून की उस शाम 6 बजकर 30 मिनट पर धारी देवी की मूर्ति को मंदिर से ना निकाला जाता, तो आपदा ना होती. लोगों का दावा है कि 2013 की आपदा के आने के पीछे मंदिर से मूर्ति को अपलिफ्ट करना रहा है.

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