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श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में अचानक बंद हो जाती है लेप्रोस्कोपी मशीन, सांसत में आ जाती है मरीजों की जान

उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल किसी से छुपा नहीं है, जिससे आए दिन लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग में लेप्रोस्कोपी मशीन कई बार सर्जरी के दौरान धोखा दे रही है.मशीन की स्क्रीन सर्जरी के दौरान अचानक बंद हो जा रही है, जिससे सर्जन को पेट के अंदर उपकरण चलाने में दिक्कत हो जाती है.

Srinagar Medical College
श्रीनगर मेडिकल कॉलेज
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Published : Aug 28, 2022, 12:42 PM IST

श्रीनगर: मेडिकल कॉलेज (Srinagar Medical College) के सर्जरी विभाग में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है. विभाग की लेप्रोस्कोपी मशीन (Srinagar Medical College Laparoscopy Machine) कई बार सर्जरी के दौरान धोखा दे रही है. मशीन की स्क्रीन सर्जरी के दौरान अचानक बंद हो जा रही है, जिससे सर्जन को पेट के अंदर उपकरण चलाने में दिक्कत हो जाती है. इस दौरान हल्की सी असावधानी से उपकरणों से मरीज किसी अंग में चोट लगने का खतरा बना रहता है.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में साल 2012 में खरीदी गई लेप्रोस्कोपी मशीन समय के साथ पुरानी हो चुकी है. इस मशीन से बिना चीरा दूरबीन विधि से सर्जरी की जाती है. इस विधि से सर्जरी करने में सामान्य विधि से सर्जरी की तुलना में मरीज को बिस्तर पर कम रहना पड़ता है.समस्या यह है कि इस मशीन की स्क्रीन बार-बार बंद हो जाती है. सर्जरी के दौरान शरीर में छेद करके उपकरण और कैमरों का प्रवेश कराया जाता है. स्क्रीन बंद होने से सर्जन को ना तो कैमरे से कुछ दिखाई देता है और ना ही ऐसे में औजारों से कार्य किया जा सकता है.
पढ़ें-उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों में जल्द नियुक्त होंगे 350 असिस्टेंट प्रोफेसर

सूत्रों के अनुसार, स्क्रीन को पुन: चालू करने के लिए मॉनीटर को बंद कर दोबारा ऑन करना पड़ता है. इस दौरान यदि पेट के अंदर हल्का सा कोई उपकरण हिला, तो अंदरूनी हिस्सों में चोट आ सकती है. तकनीक के हिसाब से मशीन हुई पुरानी-मेडिकल कॉलेज की लेप्रोस्कोपी मशीन 10 साल पुरानी है. तकनीकी के हिसाब से यह चलन से बाहर हो गई है. इसके कैमरों व स्क्रीन की गुणवत्ता इतनी बेहतर नहीं है. इससे साफ पिक्चर नहीं आती है. वर्तमान में डबल चिप एचडी और 4 के रेजोल्यूशन मशीन आ रही हैं.
पढ़ें-श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में सामने आया पेट्रोल डीजल की घटतौली की मामला, होगी कार्रवाई

इन मशीनों का पिक्सल ज्यादा होता है. जिससे साफ पिक्चर स्क्रीन मेंं दिखाई देती है. यानि कि जितनी साफ पिक्चर सर्जन को दिखाई देगी, उतने बेहतर ढंग से सर्जरी होगी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य (Srinagar Medical College Principal) प्रो. पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि सर्जरी विभाग की ओर से नई मशीन की खरीद के लिए विगत जून माह में प्रस्ताव दिया गया था. इसकी अनुमानित लागत लगभग एक करोड़ रुपये है. प्रस्ताव को निदेशालय भेज दिया गया है.

श्रीनगर: मेडिकल कॉलेज (Srinagar Medical College) के सर्जरी विभाग में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है. विभाग की लेप्रोस्कोपी मशीन (Srinagar Medical College Laparoscopy Machine) कई बार सर्जरी के दौरान धोखा दे रही है. मशीन की स्क्रीन सर्जरी के दौरान अचानक बंद हो जा रही है, जिससे सर्जन को पेट के अंदर उपकरण चलाने में दिक्कत हो जाती है. इस दौरान हल्की सी असावधानी से उपकरणों से मरीज किसी अंग में चोट लगने का खतरा बना रहता है.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में साल 2012 में खरीदी गई लेप्रोस्कोपी मशीन समय के साथ पुरानी हो चुकी है. इस मशीन से बिना चीरा दूरबीन विधि से सर्जरी की जाती है. इस विधि से सर्जरी करने में सामान्य विधि से सर्जरी की तुलना में मरीज को बिस्तर पर कम रहना पड़ता है.समस्या यह है कि इस मशीन की स्क्रीन बार-बार बंद हो जाती है. सर्जरी के दौरान शरीर में छेद करके उपकरण और कैमरों का प्रवेश कराया जाता है. स्क्रीन बंद होने से सर्जन को ना तो कैमरे से कुछ दिखाई देता है और ना ही ऐसे में औजारों से कार्य किया जा सकता है.
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सूत्रों के अनुसार, स्क्रीन को पुन: चालू करने के लिए मॉनीटर को बंद कर दोबारा ऑन करना पड़ता है. इस दौरान यदि पेट के अंदर हल्का सा कोई उपकरण हिला, तो अंदरूनी हिस्सों में चोट आ सकती है. तकनीक के हिसाब से मशीन हुई पुरानी-मेडिकल कॉलेज की लेप्रोस्कोपी मशीन 10 साल पुरानी है. तकनीकी के हिसाब से यह चलन से बाहर हो गई है. इसके कैमरों व स्क्रीन की गुणवत्ता इतनी बेहतर नहीं है. इससे साफ पिक्चर नहीं आती है. वर्तमान में डबल चिप एचडी और 4 के रेजोल्यूशन मशीन आ रही हैं.
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इन मशीनों का पिक्सल ज्यादा होता है. जिससे साफ पिक्चर स्क्रीन मेंं दिखाई देती है. यानि कि जितनी साफ पिक्चर सर्जन को दिखाई देगी, उतने बेहतर ढंग से सर्जरी होगी. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य (Srinagar Medical College Principal) प्रो. पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि सर्जरी विभाग की ओर से नई मशीन की खरीद के लिए विगत जून माह में प्रस्ताव दिया गया था. इसकी अनुमानित लागत लगभग एक करोड़ रुपये है. प्रस्ताव को निदेशालय भेज दिया गया है.

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