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जर्जर हालत में अंग्रेजी शासन काल में बना लालपुल, लोग बल्ली लगाकर कर रहे आवाजाही - कोटद्वार लालपुल

1903 में बना लालपुल आज बदहाली के आंसू रो रहा है. इस पुल से आज भी दर्जनों गांव के लोग अपनी जान हथेली पर रखकर पैदल आवाजाही करते हैं, लेकिन सरकार इस पुल की सुध नहीं ले रही है.

lalpul bridge of pauri form british rule is in bad condition
अंग्रेजी शासन में बना पुल
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Published : May 23, 2020, 9:09 PM IST

कोटद्वार: अंग्रेजी शासन काल में बने लालपुल की हालत जर्जर हो चुकी है. इस पुल से आज भी दर्जनों गांव के लोग अपनी जान हथेली पर रखकर पैदल आवाजाही करते हैं, लेकिन प्रशासन इस पुल की मरम्मत करने के बजाय चैन की नींद सो रहा है. इस पुल की हालत देखकर ऐसा लगता है कि प्रशासन किसी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहा है.

अंग्रेजी शासनकाल में 1903 में बने मालन नदी पर कण्वाश्रम से 7 किलोमीटर दूर इस पुल को लालपुल के नाम से जाना जाता है. वर्तमान में रख रखाव न होने के कारण इस पुल की हालत जर्जर हो चुकी है. प्रशासन की बेरुखी के कारण आज ये पुल अपनी दुर्दशा का रोना रो रहा है. पुल जर्जर होने के कारण लोग बल्ली लगाकर इस पुल पर आवाजाही करते हैं.

जर्जर हालत में अंग्रेजी शासन काल में बना लालपुल.

इस पुल के रखरखाव का काम जिला पंचायत करता था, लेकिन आज जिला पंचायत पहाड़ी मार्गों पर जिला पंचायत कर वसूलने तक ही सीमित रह गया. आज भी इस पुल से दुगड्डा ब्लॉक के दर्जनों गांव ईडा, मथाना, शिमला तल्ला, शिमला मल्ला, शिमला बिछल्ला, पोखरी, महाबगढ़, पौखाल, किमसार, ग्वीराला, बल्ली कांडई के लोग पैदल आवाजाही करते हैं.

ये भी पढ़ें- देहरादून: प्रवासियों को क्वारंटाइन करना सरकार के लिए बनी चुनौती

स्थानीय निवासी राजेंद्र बलूनी ने बताया कि पुल का निर्माण अंग्रेजी शासनकाल 1903 में हुआ था. लेकिन वर्तमान में पुल की स्थिति बहुत खराब है. इस पुल से आवाजाही करना बहुत मुश्किल हो गया है. लोग बल्ली लगाकर आवाजाही कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक दर्जन से ज्यादा लोग इस पुल से आवाजाही करते हैं. पूर्व में इस पुल की मरम्मत हर साल जिला पंचायत के द्वारा होती थी, लेकिन काफी समय इस पुल की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है.

कोटद्वार: अंग्रेजी शासन काल में बने लालपुल की हालत जर्जर हो चुकी है. इस पुल से आज भी दर्जनों गांव के लोग अपनी जान हथेली पर रखकर पैदल आवाजाही करते हैं, लेकिन प्रशासन इस पुल की मरम्मत करने के बजाय चैन की नींद सो रहा है. इस पुल की हालत देखकर ऐसा लगता है कि प्रशासन किसी अप्रिय घटना का इंतजार कर रहा है.

अंग्रेजी शासनकाल में 1903 में बने मालन नदी पर कण्वाश्रम से 7 किलोमीटर दूर इस पुल को लालपुल के नाम से जाना जाता है. वर्तमान में रख रखाव न होने के कारण इस पुल की हालत जर्जर हो चुकी है. प्रशासन की बेरुखी के कारण आज ये पुल अपनी दुर्दशा का रोना रो रहा है. पुल जर्जर होने के कारण लोग बल्ली लगाकर इस पुल पर आवाजाही करते हैं.

जर्जर हालत में अंग्रेजी शासन काल में बना लालपुल.

इस पुल के रखरखाव का काम जिला पंचायत करता था, लेकिन आज जिला पंचायत पहाड़ी मार्गों पर जिला पंचायत कर वसूलने तक ही सीमित रह गया. आज भी इस पुल से दुगड्डा ब्लॉक के दर्जनों गांव ईडा, मथाना, शिमला तल्ला, शिमला मल्ला, शिमला बिछल्ला, पोखरी, महाबगढ़, पौखाल, किमसार, ग्वीराला, बल्ली कांडई के लोग पैदल आवाजाही करते हैं.

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स्थानीय निवासी राजेंद्र बलूनी ने बताया कि पुल का निर्माण अंग्रेजी शासनकाल 1903 में हुआ था. लेकिन वर्तमान में पुल की स्थिति बहुत खराब है. इस पुल से आवाजाही करना बहुत मुश्किल हो गया है. लोग बल्ली लगाकर आवाजाही कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि एक दर्जन से ज्यादा लोग इस पुल से आवाजाही करते हैं. पूर्व में इस पुल की मरम्मत हर साल जिला पंचायत के द्वारा होती थी, लेकिन काफी समय इस पुल की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है.

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