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डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा बेस अस्पताल, मरीज राम भरोसे

इन दिनों श्रीनगर के बेस अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है. अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Dec 18, 2019, 2:22 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 7:29 PM IST

श्रीनगर: राजकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माण के 10 साल हो चुके हैं. लेकिन हालात सुधरने की बजाय और भी बिगड़ते जा रहे हैं. अस्पताल में बाल रोग विभाग विशेषज्ञों के कमी के कारण बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है. ऐसे में स्थानीय लोग इलाज के लिए देहरादून और ऋषिकेश का रुख कर रहे हैं.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा बेस अस्पताल

निर्माण के बाद से ही राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के बेस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है. अस्पताल का बाल रोग विभाग डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते अस्पताल में बीमार बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है. अस्पताल के बाल रोग विभाग में वैसे तो 11 पद स्वीकृत हैं लेकिन, विभाग मात्र एक ही डॉक्टर के भरोसे चल रहा है.

वहीं, बाल रोग विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर, तीन एसआर, चार एनएचएम के पद खाली है. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल के निक्कू वार्ड में आईसीयू का भी संचालन नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण बीमार बच्चों को देहरादून और ऋषिकेश रेफर करना पड़ रहा है. जबकि, इस अस्पाल पर चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और पौड़ी जनपद का भार भी है.

पढ़ें- तीर्थनगरी में मनाया गया स्पर्श गंगा का स्थापना दिवस, आरुषि ने बच्चों को किया जागरुक

इस मामले में बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. आनंद जैन का कहना है कि वे अकेले अस्पताल का सारा काम नहीं देख सकते हैं, उन्हें मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाना भी पड़ता है. अगर अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए तो बाल रोग विभाग अच्छे से कार्य करने लगेगा. जब अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से जानकारी चाही, तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बारे में विभाग को अवगत करवाया गया है.

श्रीनगर: राजकीय मेडिकल कॉलेज के निर्माण के 10 साल हो चुके हैं. लेकिन हालात सुधरने की बजाय और भी बिगड़ते जा रहे हैं. अस्पताल में बाल रोग विभाग विशेषज्ञों के कमी के कारण बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है. ऐसे में स्थानीय लोग इलाज के लिए देहरादून और ऋषिकेश का रुख कर रहे हैं.

डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा बेस अस्पताल

निर्माण के बाद से ही राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के बेस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है. अस्पताल का बाल रोग विभाग डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. जिसके चलते अस्पताल में बीमार बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है. अस्पताल के बाल रोग विभाग में वैसे तो 11 पद स्वीकृत हैं लेकिन, विभाग मात्र एक ही डॉक्टर के भरोसे चल रहा है.

वहीं, बाल रोग विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर, तीन एसआर, चार एनएचएम के पद खाली है. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल के निक्कू वार्ड में आईसीयू का भी संचालन नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण बीमार बच्चों को देहरादून और ऋषिकेश रेफर करना पड़ रहा है. जबकि, इस अस्पाल पर चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी और पौड़ी जनपद का भार भी है.

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इस मामले में बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. आनंद जैन का कहना है कि वे अकेले अस्पताल का सारा काम नहीं देख सकते हैं, उन्हें मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाना भी पड़ता है. अगर अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए तो बाल रोग विभाग अच्छे से कार्य करने लगेगा. जब अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट से जानकारी चाही, तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बारे में विभाग को अवगत करवाया गया है.

Intro:राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के निर्माण को 10 साल से अधिक का समय हो गया है।लेकिन मेडिकल कॉलेज के हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते जा रहे है।अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के चलते छोटे छोटे बच्चो को अस्पताल में इलाज नही मिल पा रहा है।


Body:राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर का बेस अस्पताल की व्यवस्थाये इन दिनों चरमराई हुई है।अस्पताल में बाल रोग विभाग बिल्कुल खाली हो गया है।अस्पताल में बाल रोग विभाग की ओपीडी ही सही से काम नही कर पा रही है ना ही अस्पताल में किसी बच्चे को भर्ती किया जा रहा है।बाल रोग विभाग का भर्ती कमरा पूरी तरह खाली पड़ा हुआ है।बाल रोग विभाग मात्र एक प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है।बाल रोग विभाग में वैसे तो 11 पद है लेकिन विभाग को एक ही डॉक्टर मिल पाया है।विभाग में 1 एसोसिएट प्रोफेसर,दो असिस्टेंट प्रोफेसर ,तीन एसआर, चार एन एच एम के पद खाली है।जिससे अस्पताल के निक्कू वार्ड में एन आईसीयू का भी संचालन नही हो पा रहा है जिससे गंभीर बीमार बच्चो को देहरादून ऋषिकेश रेफर करना पड़ रहा है ऐसा तब है जब अस्पताल चमोली,रुद्र प्रयाग, टिहरी, पौड़ी जनपदों का एक मात्र हायर सेंटर है।जिसपर 10 लाख से अधिक लोगो के इलाज का जिम्मा है।


Conclusion:वही बाल रोग विभाग के एच ओ डी डॉ आनंद जैन का कहना है कि वे अकेले अस्पताल का सारा कार्य नही देख सकते है उन्हें मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाना भी पड़ता है।अगर अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए तो बाल रोग विभाग अच्छे से कार्य करने1 लगेगा। जब अस्पताल के एम एस से etv भारत ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन द्वारा चिकित्सा सिक्छा विभाग को अवगत करवाया है उन्ही के द्वारा2 अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी बाइट- विभोर बहुगुणा अभिभावक बाइट- डॉ आनंद जैन बाइट - डॉ सुरेश एम एस मेडिकल कॉलेज श्रीनगर खबर के विसुअल बाइट wts up ग्रुप में भेजे है ।विजुअल में वॉइस ओवर की गई है।
Last Updated : Jan 4, 2020, 7:29 PM IST
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