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अवैध खनन के भंडारण में हो रहा इजाफा, वन्य जीवों पर भी पड़ रहा बुरा प्रभाव - झंडीचौड़ पश्चिमी क्षेत्र में खनन समाचार

अवैध खनन के भंडारणों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. झंडीचौड़ पश्चिमी क्षेत्र में खनन माफिया के द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर जंगल के किनारे एक भारी-भरकम खनन का भंडारण किया गया है. जिससे वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं.

बढ़ रही अवैध खनन के भण्डारणों की संख्या .
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Published : Nov 5, 2019, 1:23 PM IST

कोटद्वार: क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण अवैध खनन के भंडारणों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. खनन माफिया ने अवैध खनन के स्टाक को भरने के लिए आधुनिक मशीनों से प्रतिबंधित इलाके में नदियों को खोद डाला, लेकिन स्थानीय प्रशासन अवैध खनन रोकने में नाकाम साबित हो रहा है.

मामला झंडीचौड़ पश्चिमी का है, जहां पर खनन कारोबारियों के द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर जंगल के किनारे एक भारी-भरकम खनन का भंडारण बना डाला. बनाए गए भंडारण के पास उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का वन क्षेत्र है, साथ ही इसके पास से गुजरता तेलीस्रोत नाला है. तेलीस्रोत नाला खनन चुगान के लिए पूर्ण रूप से बंद है, उसके बावजूद भी धड़ल्ले से तेली स्रोत में खनन माफिया के द्वारा जेसीबी मशीन से रातभर खुदाई की जा रही है.

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खनन के भंडारण के कारण वन्यजीवों पर भी प्रभाव पड़ रहा है. खनन भंडारण के कारण वन्यजीव जंगलों की ओर से आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं, जब इस संबंध में स्थानीय प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने अगली बार इस नाले को रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध खनन के लिए खोलने की बात कही. उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने कहा कि कोटद्वार नगर क्षेत्र में जहां पर भी अवैध खनन की शिकायत या अवैध खनन के भंडारण की शिकायत प्राप्त हुई है, उन जगहों पर राजस्व विभाग, पुलिस और वन विभाग के द्वारा कार्रवाई की जा रही है.

बढ़ रही अवैध खनन के भण्डारणों की संख्या .

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उपजिलाधिकारी ने यह भी कहा कि पश्चिमी झंडिचौड़ क्षेत्र की जो बात सामने आ रही है वह पिछली बार तेली स्रोत नाला रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वंचित रह गई थी. उन्होंने कहा कि इस बार पूरी कोशिश है कि इस क्षेत्र को भी रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध तरीके से खनन के लिए खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि वैध तरीके से खनन होने से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी और नाले से अवैध तरीके से हो रही खनन सामग्री चोरी को भी रोका जा सकेगा.

कोटद्वार: क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण अवैध खनन के भंडारणों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. खनन माफिया ने अवैध खनन के स्टाक को भरने के लिए आधुनिक मशीनों से प्रतिबंधित इलाके में नदियों को खोद डाला, लेकिन स्थानीय प्रशासन अवैध खनन रोकने में नाकाम साबित हो रहा है.

मामला झंडीचौड़ पश्चिमी का है, जहां पर खनन कारोबारियों के द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर जंगल के किनारे एक भारी-भरकम खनन का भंडारण बना डाला. बनाए गए भंडारण के पास उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का वन क्षेत्र है, साथ ही इसके पास से गुजरता तेलीस्रोत नाला है. तेलीस्रोत नाला खनन चुगान के लिए पूर्ण रूप से बंद है, उसके बावजूद भी धड़ल्ले से तेली स्रोत में खनन माफिया के द्वारा जेसीबी मशीन से रातभर खुदाई की जा रही है.

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खनन के भंडारण के कारण वन्यजीवों पर भी प्रभाव पड़ रहा है. खनन भंडारण के कारण वन्यजीव जंगलों की ओर से आबादी की ओर रुख कर रहे हैं. वहीं, जब इस संबंध में स्थानीय प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने अगली बार इस नाले को रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध खनन के लिए खोलने की बात कही. उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा ने कहा कि कोटद्वार नगर क्षेत्र में जहां पर भी अवैध खनन की शिकायत या अवैध खनन के भंडारण की शिकायत प्राप्त हुई है, उन जगहों पर राजस्व विभाग, पुलिस और वन विभाग के द्वारा कार्रवाई की जा रही है.

बढ़ रही अवैध खनन के भण्डारणों की संख्या .

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उपजिलाधिकारी ने यह भी कहा कि पश्चिमी झंडिचौड़ क्षेत्र की जो बात सामने आ रही है वह पिछली बार तेली स्रोत नाला रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वंचित रह गई थी. उन्होंने कहा कि इस बार पूरी कोशिश है कि इस क्षेत्र को भी रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध तरीके से खनन के लिए खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि वैध तरीके से खनन होने से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी और नाले से अवैध तरीके से हो रही खनन सामग्री चोरी को भी रोका जा सकेगा.

Intro:summary कोटद्वार क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण अवैध खनन के भण्डारणो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, खनन माफिया ने अवैध खनन के स्टाको को भरने के लिए आधुनिक मशीनों से प्रतिबंधित नदियों को खोद डाला, लेकिन स्थानीय प्रशासन अवैध खनन रोकने के बजाय चैन की नींद सो रहा है।

intro kotdwar कोटद्वार नगर क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन अवैध खनन के भंडारण की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन इस ओर ध्यान देने की बजाय चैन की नींद सो रहा है, मामला झंडीचौड़ पश्चिमी का है जहां पर खनन कारोबारियों के द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर जंगल के किनारे पर एक भारी-भरकम खनन का भंडारण बना डाला, इस भंडारण के पास उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश का वन क्षेत्र है, साथ ही इसके पास से गुजरता तेलीस्रोत नाला है जो कि खनन चुगान के लिए पूर्ण रूप से बंद है, उसके बावजूद भी धड़ल्ले से तेली स्रोत में खनन माफियाओं के द्वारा जेसीबी मशीन से रात भर खुदाई कर स्टॉक में जमा किया जा रहा है, खनन के भंडारण के कारण वन्यजीवो भी प्रभावित हो रहे हैं जिसके चलते ही वह जंगलों की ओर से आबादी की ओर रुख कर रहे हैं। वही जब इस संबंध में स्थानीय प्रशासन से बात की गई तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए अगली बार इस नाले को रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध खनन के लिए खोलने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ दिया।


Body:वीओ1- उप जिलाधिकारी कोटद्वार योगेश मेहरा ने गोलमोल जबाब देते हुये कहा कि कोटद्वार नगर क्षेत्र में जहां-जहां पर भी अवैध खनन की शिकायत या अवैध खनन के भंडारण की शिकायत प्राप्त होती है, उन जगहों पर राजस्व विभाग, पुलिस और वन विभाग के द्वारा कार्यवाही की जा रही है, पश्चिमी झंडिचौड़ क्षेत्र की जो बात सामने आ रही है यह पिछली बार तेली स्रोत नाला रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वंचित रह गया था लेकिन इस बार पूरी कोशिश है कि इस क्षेत्र को भी रिवर ट्रेनिंग नीति के अंतर्गत वैध तरीके से खनन के लिए खोला जाएगा, ताकि इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी और इस नाले से अवैध तरीके से हो रही खनन सामग्री चोरी को भी रोका जा सके।

बाइट- योगेश मेहरा उपजिलाधिकारी कोटद्वार।


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