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जोशीमठ जल प्रलय: कारणों का पता लगाने में जुटा गढ़वाल यूनिवर्सिटी का भूविज्ञान विभाग

उत्तराखंड रीजन में करीब एक हजार ग्लेशियर मौजूद हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड में कुछ सालों के भीतर ही किसी न किसी क्षेत्र में ग्लेशियर की वजह से आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इन्हीं कारणों का पता लगाने के लिए एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर का भूविज्ञान विभाग भी जोशीमठ जल प्रलय के कारणों के अध्ययन में जुट गया है.

Srinagar HNB Garhwal University
Srinagar HNB Garhwal University
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Published : Feb 8, 2021, 9:00 PM IST

श्रीनगर: एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर का भूविज्ञान विभाग भी जोशीमठ जल प्रलय के कारणों के अध्ययन में जुट गया है. विभाग की एक टीम मौके के लिए रवाना हो गई है, जबकि विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एचसी नैनवाल की अगुवाई में एक टीम कुछ दिन बाद जाएगी.

प्रो. नैनवाल और उनकी टीम पिछले 15 साल से अलकनंदा नदी के उद्गम स्थल सतोपंथ में ग्लेशियरों की स्थिति पर अध्ययन कर रही है. इसके अलावा लगभग 5 साल से वह चमोली जिले की कोसा घाटी में राजबांक ग्लेशियर के डाटा भी जुटा रहे हैं. यह क्षेत्र ऋषि गंगा के आपदा प्रभावित क्षेत्र के समीप है.

ग्लेशियर टूटने के कारणों में जुटा विभाग.

प्रो. नैनवाल ने बताया कि सेटेलाइट से मिली इमेज के आधार पर किसी घटना के कारणों के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल सकती है. इसके लिए स्थलीय निरीक्षण करना जरूरी है. इसलिए टीम मौके पर जाकर जानकारी जुटाएगी. उन्होंने बताया कि इसरो की ओर से जारी इमेज के आधार पर फिलहाल यह माना जा सकता है कि इस क्षेत्र में रॉक ग्लेशियर हैं यानी कि खड़े पहाड़ों पर बर्फ गिरने पर जमती है.

2 से 5 फरवरी के बीच क्षेत्र में जमकर बर्फबारी हुई. बर्फ के बोझ से रॉक ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरे होंगे. यहां ग्लेशियर पीछे खिसकने की वजह से मलबा भी काफी है. इसकी वजह से कुछ घंटों के लिए यहां बांध जैसी संरचना बन गई होगी. ग्लेशियर पिघलने पर पानी तेजी से नीचे की ओर मलबे के साथ आया. यहां सीधा ढलान है, जिससे इसकी तीव्रता ज्यादा है. इसलिए यह फ्लैश फ्लड (त्वरित बाढ़) की तरह रैणी की ओर आया और परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 50 फीसदी बेड रजर्व.

पढ़ें- उत्तराखंड के ये ग्लेशियर भी ला सकते हैं तबाही, ईटीवी भारत ने अक्टूबर में दिखाई थी रिपोर्ट

पुलिस का नदी किनारे सर्च अभियान

उधर, श्रीनगर में पुलिस नदी किनारे सर्च अभियान चलाए हुए है. खुद पुलिस कप्तान पौड़ी इस पूरे सर्च अभियान को मॉनिटरिंग कर रही हैं. सोमवार सुबह प्रारम्भ हुए इस सर्च ऑपरेशन को लगातार जारी है. देर शाम धारी देवी मंदिर में एक डेड बॉडी को रिकवर किया गया. सर्च ऑपरेशन धारी देवी झील, डैम, बैराज सहित श्रीनगर और कीर्तिनगर में चलाया जा रहा है.

तीन जनपदों के बड़े अस्पतालों को अलर्ट पर रखा

तीन जनपदों के सबसे बड़े अस्पताल को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में 12 डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पैरामेडिकल स्टाफ की दो टीमों को हर समय तैयार रखा गया है. साथ में 4 डॉक्टरों और एक पैरामेडिकल स्टाफ को चमोली जनपद रेस्क्य कार्य के लिए भेज दिया है. साथ में 50 प्रतिशत बेड आपदा राहत के लिए रिजर्व रखे गए हैं, जिससे चमोली में घायल हुए लोगों का इलाज किया जा सके.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 50 फीसदी बेड रजर्व

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सीएमएस रावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में दो टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. 700 बेड की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज में 50 प्रतिशत बेड रिजर्व रखे गए हैं. वहीं, पौडी एसएसपी पी रेणूका ने भी श्रीनगर अलकनंदा नदी, श्रीनगर जलविधुत परियोजना की झील का दौरा किया और एसडीआरएफ को लगातार सर्च ऑपरेशन करने के दिशा निर्देश दिए.

श्रीनगर: एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर का भूविज्ञान विभाग भी जोशीमठ जल प्रलय के कारणों के अध्ययन में जुट गया है. विभाग की एक टीम मौके के लिए रवाना हो गई है, जबकि विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. एचसी नैनवाल की अगुवाई में एक टीम कुछ दिन बाद जाएगी.

प्रो. नैनवाल और उनकी टीम पिछले 15 साल से अलकनंदा नदी के उद्गम स्थल सतोपंथ में ग्लेशियरों की स्थिति पर अध्ययन कर रही है. इसके अलावा लगभग 5 साल से वह चमोली जिले की कोसा घाटी में राजबांक ग्लेशियर के डाटा भी जुटा रहे हैं. यह क्षेत्र ऋषि गंगा के आपदा प्रभावित क्षेत्र के समीप है.

ग्लेशियर टूटने के कारणों में जुटा विभाग.

प्रो. नैनवाल ने बताया कि सेटेलाइट से मिली इमेज के आधार पर किसी घटना के कारणों के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिल सकती है. इसके लिए स्थलीय निरीक्षण करना जरूरी है. इसलिए टीम मौके पर जाकर जानकारी जुटाएगी. उन्होंने बताया कि इसरो की ओर से जारी इमेज के आधार पर फिलहाल यह माना जा सकता है कि इस क्षेत्र में रॉक ग्लेशियर हैं यानी कि खड़े पहाड़ों पर बर्फ गिरने पर जमती है.

2 से 5 फरवरी के बीच क्षेत्र में जमकर बर्फबारी हुई. बर्फ के बोझ से रॉक ग्लेशियर टूटकर नीचे गिरे होंगे. यहां ग्लेशियर पीछे खिसकने की वजह से मलबा भी काफी है. इसकी वजह से कुछ घंटों के लिए यहां बांध जैसी संरचना बन गई होगी. ग्लेशियर पिघलने पर पानी तेजी से नीचे की ओर मलबे के साथ आया. यहां सीधा ढलान है, जिससे इसकी तीव्रता ज्यादा है. इसलिए यह फ्लैश फ्लड (त्वरित बाढ़) की तरह रैणी की ओर आया और परियोजनाओं को नुकसान पहुंचाया.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 50 फीसदी बेड रजर्व.

पढ़ें- उत्तराखंड के ये ग्लेशियर भी ला सकते हैं तबाही, ईटीवी भारत ने अक्टूबर में दिखाई थी रिपोर्ट

पुलिस का नदी किनारे सर्च अभियान

उधर, श्रीनगर में पुलिस नदी किनारे सर्च अभियान चलाए हुए है. खुद पुलिस कप्तान पौड़ी इस पूरे सर्च अभियान को मॉनिटरिंग कर रही हैं. सोमवार सुबह प्रारम्भ हुए इस सर्च ऑपरेशन को लगातार जारी है. देर शाम धारी देवी मंदिर में एक डेड बॉडी को रिकवर किया गया. सर्च ऑपरेशन धारी देवी झील, डैम, बैराज सहित श्रीनगर और कीर्तिनगर में चलाया जा रहा है.

तीन जनपदों के बड़े अस्पतालों को अलर्ट पर रखा

तीन जनपदों के सबसे बड़े अस्पताल को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है. मेडिकल कॉलेज श्रीनगर में 12 डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पैरामेडिकल स्टाफ की दो टीमों को हर समय तैयार रखा गया है. साथ में 4 डॉक्टरों और एक पैरामेडिकल स्टाफ को चमोली जनपद रेस्क्य कार्य के लिए भेज दिया है. साथ में 50 प्रतिशत बेड आपदा राहत के लिए रिजर्व रखे गए हैं, जिससे चमोली में घायल हुए लोगों का इलाज किया जा सके.

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में 50 फीसदी बेड रजर्व

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल सीएमएस रावत ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में दो टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. 700 बेड की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज में 50 प्रतिशत बेड रिजर्व रखे गए हैं. वहीं, पौडी एसएसपी पी रेणूका ने भी श्रीनगर अलकनंदा नदी, श्रीनगर जलविधुत परियोजना की झील का दौरा किया और एसडीआरएफ को लगातार सर्च ऑपरेशन करने के दिशा निर्देश दिए.

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