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पौड़ी: किसानों की माली हालत सुधारने पर मंथन, योजना से जुड़े इतने लोग

आयोजित गोष्ठी में आजीविका सहायता परियोजना से जुड़े किसानों के आर्थिक ढांचागत और बाजार की सुविधाओं समेत उत्कृष्ट कृषि को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई.

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Published : Feb 28, 2019, 2:36 PM IST

किसानों की माली हालत सुधारने पर मंथन

पौड़ी: कृषि को बढ़ावा देने के लिए पौड़ी में हिलान्स किसान मेले का आयोजन किया गया. जिसके तहत किसानों और व्यवसायियों की एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. साथ ही आने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही कई समस्याओं का मौके पर समाधान किया गया.

आयोजित गोष्ठी में आजीविका सहायता परियोजना से जुड़े किसानों के आर्थिक ढांचागत और बाजार की सुविधाओं समेत उत्कृष्ट कृषि को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई. बैठक में आजीविका परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों और इससे लाभान्वित लोगों की जानकारी दी गई. साथ ही पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी मंथन हुआ.

पढ़ें- उत्तराखंड के 46 चिकित्सा केंद्र कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित, चेनराय महिला चिकित्सालय को मिला पहला स्थान

वहीं जिलाधिकारी धीराज सिंह ने कहा कि आजीविका सहायता परियोजना की वजह से जिले के तीन ब्लॉकों में काम किया जा रहा है. इस परियोजना के यहां के 8000 लोग जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि बैठक में क्रेता और विक्रेताओं को होने वाली समस्याओं पर गहनता से विचार किया गया. जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी सामग्री को बेचने के लिए एक साल पहले तैयारी करनी होती है. इसलिए प्रशासन ने तैयारी शुरू करने का जा रहा है.

गोष्ठी में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

  • पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से हो रहे पलायन पर चर्चा.
  • किसानों के दिनचर्या का बेसलाइन सर्वे करना भी बहुत जरूरी.
  • जिसके लिए जिला प्रशासन ने कुछ ब्लॉकों में बेसलाइन सर्वे की मदद से किसानों का डाटा भी जमा कर दिया है.
  • पारंपरिक खेती के जरिए वैज्ञानिक तकनीकी दृष्टिकोण से भी किसानों की फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें बाजार उपलब्ध कराना जरूरी है.
  • फसल के उत्पादन से लेकर पैकिंग और बाजार की मांग तैयार करने के लिए उत्कृष्टता से काम करना होगा ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सकें और पहाड़ों से पलायन रोका जा सके.
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पौड़ी: कृषि को बढ़ावा देने के लिए पौड़ी में हिलान्स किसान मेले का आयोजन किया गया. जिसके तहत किसानों और व्यवसायियों की एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. साथ ही आने वाली परेशानियों के बारे में विस्तार से चर्चा की गई. साथ ही कई समस्याओं का मौके पर समाधान किया गया.

आयोजित गोष्ठी में आजीविका सहायता परियोजना से जुड़े किसानों के आर्थिक ढांचागत और बाजार की सुविधाओं समेत उत्कृष्ट कृषि को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई. बैठक में आजीविका परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों और इससे लाभान्वित लोगों की जानकारी दी गई. साथ ही पहाड़ों से हो रहे पलायन पर भी मंथन हुआ.

पढ़ें- उत्तराखंड के 46 चिकित्सा केंद्र कायाकल्प पुरस्कार से सम्मानित, चेनराय महिला चिकित्सालय को मिला पहला स्थान

वहीं जिलाधिकारी धीराज सिंह ने कहा कि आजीविका सहायता परियोजना की वजह से जिले के तीन ब्लॉकों में काम किया जा रहा है. इस परियोजना के यहां के 8000 लोग जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि बैठक में क्रेता और विक्रेताओं को होने वाली समस्याओं पर गहनता से विचार किया गया. जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी सामग्री को बेचने के लिए एक साल पहले तैयारी करनी होती है. इसलिए प्रशासन ने तैयारी शुरू करने का जा रहा है.

गोष्ठी में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

  • पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से हो रहे पलायन पर चर्चा.
  • किसानों के दिनचर्या का बेसलाइन सर्वे करना भी बहुत जरूरी.
  • जिसके लिए जिला प्रशासन ने कुछ ब्लॉकों में बेसलाइन सर्वे की मदद से किसानों का डाटा भी जमा कर दिया है.
  • पारंपरिक खेती के जरिए वैज्ञानिक तकनीकी दृष्टिकोण से भी किसानों की फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें बाजार उपलब्ध कराना जरूरी है.
  • फसल के उत्पादन से लेकर पैकिंग और बाजार की मांग तैयार करने के लिए उत्कृष्टता से काम करना होगा ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सकें और पहाड़ों से पलायन रोका जा सके.
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Intro:PAURI GARHWAL
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हिलान्स किसान मेले के तहत क्रेता और विक्रेता क्रेटा की गोष्टी की गई जिसमें क्रेताओं और विक्रेताओं के बीच आ रही समस्याओं का मौके पर समाधान किया गया। इसके साथ ही आजीविका सहायता परियोजना से जुड़े हुए जनपद के किसानों की आर्थिक ढांचागत और बाजार की सुविधाओं समेत उत्कृष्ट कृषि को बढ़ावा देने के लिए भी चर्चा की गई । इस बैठक में आजीविका परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों और इससे लाभान्वित लोगों की भी जानकारी देते हुए पहाड़ों से हो रहे पलायन पर इसकी मदद से काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है।


Body:पहाड़ों के गांव से तेजी से हो रहे पलायन को रोकने के लिए सभी को एक मंच पर आकर काम करना होगा उसके लिए खेती के साथ साथ किसानों के दैनिक दिनचर्या का बेसलाइन सर्वे करना भी बहुत जरूरी है जिसके लिए जिला प्रशासन ने कुछ ब्लॉकों में बेसलाइन सर्वे की मदद से किसानों का डाटा भी जमा कर दिया है। पारंपरिक खेती के जरिए वैज्ञानिक तकनीकी दृष्टिकोण से भी किसानों की फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ उन्हें बाजार उपलब्ध कराना जरूरी है। फसल के उत्पादन से लेकर पैकिंग और बाजार की मांग तैयार करने के लिए उत्कृष्टता से काम करना होगा ताकि किसानों को की आय वृद्धि हो सके और पहाड़ों से उतर पलायन रोका जा सके।


Conclusion:ज़िलाधिकारी धीराज सिंह ने कहा कि आजीविका सहायता परियोजना की वजह से जनपद के तीन ब्लॉको में काम किया जा रहा है जिसमें की 8000 लोग जुड़े हैं। कहा कि आज हुई बैठक में क्रेता और विक्रेताओं के समक्ष आने वाली समस्याओं पर गहनता से विचार किया गया। किसी भी सामग्री को बेचने के लिए एक साल पहले तैयारी करनी होती है इस लिए प्रशासन इस साल से तैयारी शुरू कर रहा है। पहाड़ी अनाज की कीमत तय करने के लिए शासन से गुजारिश करनी होगी कि उत्पादन से पहले ही इनकी कीमत तय की जाए ताकि क्रेता और विक्रेताओं को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो और प्रत्येक किसान उत्पादन करने के बाद उसी कीमत पर अपना सामान बेचे और अपनी आय में प्रतिवर्ष वृद्धि करता रहे।
बाईट- धीराज सिंह ज़िलाधिकारी
बाईट- अशोक चतुर्वेदी(प्रभागीय परियोजना प्रबंधक)
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