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अच्छी खबर: पौड़ी में सूख चुके हैंडपंप को किया जाएगा रिचार्ज, पूरे साल मिलेगा पानी!

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Published : May 10, 2022, 1:07 PM IST

जिला मुख्यालय पौड़ी में अब हैंडपंपों की स्थिति में सुधार लाए जाने की कवायद शुरू होने जा रही है. योजना को फिलहाल पायलेट प्रोजेक्ट के तहत रखा गया है. आने वाले दिनों में इन हैंडपंपों पर पूरे साल पानी रहेगा. इसमें स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी जौलीग्रांट (swami rama himalayan university jollygrant) व नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी समेत वन विभाग के कई विषेशज्ञ हैंडपंपों को रिचार्ज करने में जुटे हुए हैं.

hand pump will be recharged in pauri district
सूख चुके हैंडपंप को किया जाएगा रिचार्ज

पौड़ी: जिला मुख्यालय पौड़ी में अब हैंडपंपों की स्थिति में सुधार लाए जाने की कवायद शुरू होने जा रही है. योजना को फिलहाल पायलेट प्रोजेक्ट के तहत रखा गया है लेकिन आने वाले दिनों में इन हैंडपंपों पर पूरे साल पानी रहेगा. इसमें स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी जौलीग्रांट व एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा समेत वन विभाग के कई विषेशज्ञ हैंडपंपों को रिचार्ज करने में जुटे हुए हैं.

अपनी प्राकृतिक छटा और बांज, बुरांस की जड़ों से निकलने वाले शीतल पानी के लिए पहचाने जाने वाले पहाड़ों में अब पानी की किल्लत होने लगी है. ऐसे में पेयजल का एक मात्र साधन प्राकृतिक जल स्रोत होते हैं, लेकिन बढ़ती गर्मी और जंगलों की आग ने प्राकृतिक पेयजल स्रोतों को भी नहीं छोड़ा. आलम यह है कि अब पहाड़ों में दिन-ब-दिन पीने के पानी की समस्या और अधिक गहराने लगी है.

पहाड़ी क्षेत्रों के कई गांवों में पेयजल की समस्या सालभर बनी रहती है. इस समस्या के निस्तारण के लिए जल महकमे के माध्यम से हैंडपम्प लगवाए लेकिन खड़ी पहाड़ी ढलानों पर हैंडपंप कारगर नहीं हो पाए और बंद हो गए. ऐसे बंद हैंडपंपों को रिचार्ज करने की योजना एमिटी विश्वविद्यालय व जल महकमे ने बनाई है. विभागीय अफसरों की मानें तो इस योजना को पौड़ी जिले से पायलेट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है.

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके रॉय ने बताया कि पौड़ी के पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग पर बंद पड़े हैंडपपों का रिचार्ज किया जा रहा है. बताया कि पायलेट प्रोजेक्ट के तहत पौड़ी के घुडदौड़ी क्षेत्र में 13 हैंडपंपों को रिचार्ज करने के लिए कार्य किया जाना है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी ढलानों पर पानी का ढहराव नहीं होता है, जिससे हैंडपंपों के लिए जरूरी पानी निकलकर और निचले स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे हैंडपंप सूख जाते हैं.

कैसे रिचार्ज होंगे हैंडपंप: एसके रॉय ने बताया कि हैंडपंप के रिचार्ज करने के लिए एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा (Amity University Noida) द्वारा शोध भी किया जा रहा है. वाटर साइंटिस्टों ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग की तकनीक को आजमाने की रणनीति बनाई है. इसमें हैंडपंप के चारों ओर एक से दो मीटर चौड़ा व इतना ही गहरा गड्ढा तैयार किया जाएगा. गड्ढे में तीन स्तरीय लेयर तैयार की जाएगी. लेयर के सबसे नीचे रेत व बालू, बीच में चारकोल व मोटे कंक्रीट और सबसे ऊपर व सतह पर नदियों में पाये जाने वाले छोटे-छोटे पत्थरों की लेयर तैयार की जाएगी, जिससे कि बरसाती पानी को हैंडपंप के त्रिस्तरीय लेयर से गुजारा जाएगा.
पढ़ें- उत्तराखंड में तेलंगाना की तर्ज पर बनेगा जेल डेवलपमेंट बोर्ड, कैदियों के कौशल से बढ़ेगा राजस्व

एक हैंडपंप पर इतना पानी होगा जमा: वाटर साइंटिस्टों के अनुसार हैंडपंप के रिचार्ज करने के लिए सामान्य घरों की 100 वर्ग मीटर की छत से करीब 1.8 लाख लीटर पानी जमा किया जा सकता है. इसके अनुसार पौड़ी देवप्रयाग मोटर मार्ग के 13 हैंडपंपों से करीब 23.4 लाख लीटर पानी एकत्रित किये जाने की संभावना है. इससे न केवल हैंडपंप रिचार्ज होंगे बल्कि निचले स्तर पर बसे गांवों के पेयजल स्रोत भी रिचार्ज होंगे. उन्होंने बताया कि एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 11 लाख का बजट अनुमोदित किया है.

पौड़ी: जिला मुख्यालय पौड़ी में अब हैंडपंपों की स्थिति में सुधार लाए जाने की कवायद शुरू होने जा रही है. योजना को फिलहाल पायलेट प्रोजेक्ट के तहत रखा गया है लेकिन आने वाले दिनों में इन हैंडपंपों पर पूरे साल पानी रहेगा. इसमें स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी जौलीग्रांट व एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा समेत वन विभाग के कई विषेशज्ञ हैंडपंपों को रिचार्ज करने में जुटे हुए हैं.

अपनी प्राकृतिक छटा और बांज, बुरांस की जड़ों से निकलने वाले शीतल पानी के लिए पहचाने जाने वाले पहाड़ों में अब पानी की किल्लत होने लगी है. ऐसे में पेयजल का एक मात्र साधन प्राकृतिक जल स्रोत होते हैं, लेकिन बढ़ती गर्मी और जंगलों की आग ने प्राकृतिक पेयजल स्रोतों को भी नहीं छोड़ा. आलम यह है कि अब पहाड़ों में दिन-ब-दिन पीने के पानी की समस्या और अधिक गहराने लगी है.

पहाड़ी क्षेत्रों के कई गांवों में पेयजल की समस्या सालभर बनी रहती है. इस समस्या के निस्तारण के लिए जल महकमे के माध्यम से हैंडपम्प लगवाए लेकिन खड़ी पहाड़ी ढलानों पर हैंडपंप कारगर नहीं हो पाए और बंद हो गए. ऐसे बंद हैंडपंपों को रिचार्ज करने की योजना एमिटी विश्वविद्यालय व जल महकमे ने बनाई है. विभागीय अफसरों की मानें तो इस योजना को पौड़ी जिले से पायलेट प्रोजेक्ट के तहत शुरू किया जा रहा है.

जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके रॉय ने बताया कि पौड़ी के पौड़ी-देवप्रयाग मोटर मार्ग पर बंद पड़े हैंडपपों का रिचार्ज किया जा रहा है. बताया कि पायलेट प्रोजेक्ट के तहत पौड़ी के घुडदौड़ी क्षेत्र में 13 हैंडपंपों को रिचार्ज करने के लिए कार्य किया जाना है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी ढलानों पर पानी का ढहराव नहीं होता है, जिससे हैंडपंपों के लिए जरूरी पानी निकलकर और निचले स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे हैंडपंप सूख जाते हैं.

कैसे रिचार्ज होंगे हैंडपंप: एसके रॉय ने बताया कि हैंडपंप के रिचार्ज करने के लिए एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा (Amity University Noida) द्वारा शोध भी किया जा रहा है. वाटर साइंटिस्टों ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग की तकनीक को आजमाने की रणनीति बनाई है. इसमें हैंडपंप के चारों ओर एक से दो मीटर चौड़ा व इतना ही गहरा गड्ढा तैयार किया जाएगा. गड्ढे में तीन स्तरीय लेयर तैयार की जाएगी. लेयर के सबसे नीचे रेत व बालू, बीच में चारकोल व मोटे कंक्रीट और सबसे ऊपर व सतह पर नदियों में पाये जाने वाले छोटे-छोटे पत्थरों की लेयर तैयार की जाएगी, जिससे कि बरसाती पानी को हैंडपंप के त्रिस्तरीय लेयर से गुजारा जाएगा.
पढ़ें- उत्तराखंड में तेलंगाना की तर्ज पर बनेगा जेल डेवलपमेंट बोर्ड, कैदियों के कौशल से बढ़ेगा राजस्व

एक हैंडपंप पर इतना पानी होगा जमा: वाटर साइंटिस्टों के अनुसार हैंडपंप के रिचार्ज करने के लिए सामान्य घरों की 100 वर्ग मीटर की छत से करीब 1.8 लाख लीटर पानी जमा किया जा सकता है. इसके अनुसार पौड़ी देवप्रयाग मोटर मार्ग के 13 हैंडपंपों से करीब 23.4 लाख लीटर पानी एकत्रित किये जाने की संभावना है. इससे न केवल हैंडपंप रिचार्ज होंगे बल्कि निचले स्तर पर बसे गांवों के पेयजल स्रोत भी रिचार्ज होंगे. उन्होंने बताया कि एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 11 लाख का बजट अनुमोदित किया है.

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