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श्रीनगरः कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल पूजा एक फरवरी को, तैयारियां जोरों पर - कमलेश्वर महादेव मंदिर श्रीनगर

कमलेश्वर महादेव मंदिर में घृत कमल पूजा की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. एक फरवरी को बड़ी संख्या में भक्त महादेव के दरबार में शीष नवाएंगे.

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घृत कमल पूजा एक फरवरी को
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Published : Jan 28, 2020, 12:28 PM IST

श्रीनगरः प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर में होने वाली घृत कमल पूजा की तैयारियां तेज हो गयी हैं. माघ शुक्ल सप्तमी को आयोजित होने वाली यह अनूठी पूजा इस वर्ष एक फरवरी को आयोजित की जाएगी, जिसमें मंदिर के महंत दिगम्बर अवस्था में भगवान शिव के शिवलिंग की लौट परिक्रमा कर भगवान शिव को 52 प्रकार का भोग अर्पित कर शिवलिंग पर घी का लेप करेंगे. पूजा में स्थानीय ही नहीं दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

घृत कमल पूजा एक फरवरी को.

इस घृत कमल की पूजा में शामिल होने के लिए दूर दराज से लोग मंदिर में आते हैं. पुराणों के अनुसार जब मां उमा के सती होने से क्षुब्ध होकर भगवान शिव ने बैराग्य धारण कर लिया और तपस्या में लीन हो उठे. जिस पर पर तारकासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ने लगा.

तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र के हाथ मारा जाएगा, लेकिन मां सती के सती होने के बाद उस उस राक्षस का आतंक बढ़ने लगा और फिर मां सती गौरा के रूप में हिमालय पुत्री के रूप में जन्मी, लेकिन शिव का वैराग्य खत्म न हुआ. जिस पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करनी चाही, लेकिन शिव के क्रोध ने कामदेव को भस्म कर दिया, तब सारे देवताओं ने भगवान शिव की आराधना प्रारंभ की और भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ.

यह भी पढ़ेंः इस खास दिन घोषित होगी बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि

बाद में भोलेनाथ कमलेश्वर मंदिर के लिंग में प्रतिष्ठित हो गए. तब से इस शिव धाम में भगवान को मनाने के लिए पूजा की जाती है, जो अतीत से चली आ रही है. पूजा में सम्मिलित होने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि इस वर्ष ये पूजा 1 फरवरी को आयोजित की जाएगी जिसकी तैयारियां की जा रही हैं. श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन कर रहा है.

श्रीनगरः प्राचीन कमलेश्वर महादेव मंदिर में होने वाली घृत कमल पूजा की तैयारियां तेज हो गयी हैं. माघ शुक्ल सप्तमी को आयोजित होने वाली यह अनूठी पूजा इस वर्ष एक फरवरी को आयोजित की जाएगी, जिसमें मंदिर के महंत दिगम्बर अवस्था में भगवान शिव के शिवलिंग की लौट परिक्रमा कर भगवान शिव को 52 प्रकार का भोग अर्पित कर शिवलिंग पर घी का लेप करेंगे. पूजा में स्थानीय ही नहीं दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

घृत कमल पूजा एक फरवरी को.

इस घृत कमल की पूजा में शामिल होने के लिए दूर दराज से लोग मंदिर में आते हैं. पुराणों के अनुसार जब मां उमा के सती होने से क्षुब्ध होकर भगवान शिव ने बैराग्य धारण कर लिया और तपस्या में लीन हो उठे. जिस पर पर तारकासुर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ने लगा.

तारकासुर को वरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र के हाथ मारा जाएगा, लेकिन मां सती के सती होने के बाद उस उस राक्षस का आतंक बढ़ने लगा और फिर मां सती गौरा के रूप में हिमालय पुत्री के रूप में जन्मी, लेकिन शिव का वैराग्य खत्म न हुआ. जिस पर कामदेव ने शिव की तपस्या भंग करनी चाही, लेकिन शिव के क्रोध ने कामदेव को भस्म कर दिया, तब सारे देवताओं ने भगवान शिव की आराधना प्रारंभ की और भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ.

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बाद में भोलेनाथ कमलेश्वर मंदिर के लिंग में प्रतिष्ठित हो गए. तब से इस शिव धाम में भगवान को मनाने के लिए पूजा की जाती है, जो अतीत से चली आ रही है. पूजा में सम्मिलित होने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने बताया कि इस वर्ष ये पूजा 1 फरवरी को आयोजित की जाएगी जिसकी तैयारियां की जा रही हैं. श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रशासन कर रहा है.

Intro:प्राचीन कमलेस्वर महादेव मंदिर में होने वाली घृत कमल पूजा की तैयारियां तेज हो गयी है माघ षुक्ल सप्तमी को आयोजित होने वाली यह अनूठी पूजा इस वर्ष 1 फरवरी को आयोजित की जाएगी।जिसमें मंदिर के महंत दिगम्बर अवस्था मे भगवान शिव के शिवलिंग की लौट प्रक्रिमा कर भगवान शिव को 52 प्रकार का भोग अर्पित कर शिव लिंग पर घी का लेप करेगे।इस घृत कमल की पूजा में शामिल होने के लिए दूर दराज से लोग मंदिर में आते है।Body:पुराणों के अनुसार जब मा सती सती हो गयी थी तो इस बात से छुब्द होकर भगवान शिव ने बेराग धारण कर लिया और तपस्या में लीन हो उठे जिसपर पर तारकसूर नाम के राक्षस का आतंक बढ़ने लगा तारकसूर को बरदान था कि वो भगवान शिव के पुत्र के हाथ मारा जाएगा ।लेकिन मा सती के सती होने के बाद उस उस राक्षस का आतंक बढ़ने लगा ओर फिर मा सती गौरा के रूप में हिमालय पुत्री के रूप में जन्मी लेकिन शिव का बेराग खत्म नॉ हुआ जिसपर काम देव ने शिव की तपस्या भग करनी चाही लेकिन शिव का क्रोध में काम देव को भस्म कर दिया ।तब सारे देवताओ ने भगवान शिव की आराधना प्रारंभ की ।ओर भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ।बाद में शिव कमलेस्वर मंदिर के लिंग में समाए तब से शिव को मनाने के लिए ये पूजा कमलेस्वर मंदिर में की जाती है जो आज तक कि जा रही है इस पूजा में समलित होने के लिए श्रद्धालु दूर दराज से मंदिर में पहुचते है।Conclusion:मंदिर में महन्त आसुतोष पूरी ने बताया कि इस वर्ष ये पूजा 1 फरवरी को आयोजित की जाएगी जिसकी तैयारियां की जा रही है श्रद्धालुओ के रुकने की व्यवस्था मंदिर प्रसासन कर रहा है।

बाइट-आसुतोष पूरी मेहनत कमलेस्वर महादेव
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