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सीएम धामी का नीति आयोग से अनुरोध, जोड़ी जाए पिंडर और कोशी नदी, 2 लाख लोगों को पेयजल मिलने की उम्मीद - WORKSHOP ON CLIMATE CHANGE

नीति आयोग के तत्वाधान में जलवायु परिवर्तन पर एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें सीएम धामी ने कम होते जल स्रोतों का मुद्दा उठाया.

WORKSHOP ON CLIMATE CHANGE
नीति आयोग के तत्वाधान में जलवायु परिवर्तन पर एक वर्कशॉप (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 17, 2025, 3:35 PM IST

Updated : Feb 17, 2025, 4:12 PM IST

देहरादून: देश दुनिया में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. जिसके चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं. देश के हिमालय क्षेत्र में मौजूद जल स्रोत सूख रहे हैं. जिसको लेकर भारत सरकार के नीति आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र और जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी, अल्मोड़ा के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया. ताकि इस कार्यशाला के जरिए जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण पर विस्तृत रूप से चर्चा की जा सके.

कार्यक्रम में शामिल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय हिमालय क्षेत्र के जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयास को बल मिलेगा. बल्कि जलवायु परिवर्तित की चुनौतियां से निपटाने को लेकर नई-नई कार्य योजनाएं भी तैयार की जा सकेंगी.

WORKSHOP ON CLIMATE CHANGE
कार्यशाला में 5500 जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने पर फोकस (SOURCE: ETV BHARAT)

5500 जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने पर फोकस
वहीं, सीएम धामी ने कहा कि ये कार्यशाला काफी महत्वपूर्ण है जो भारत सरकार के नीति आयोग और जीबी पंत संस्थान की ओर आयोजित की गई है. जिसमें लोगों ने जलवायु परिवर्तन और हिमालयन क्षेत्र की तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए इस कार्यशाला में अपने-अपने विचार रखे. जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या और चुनौती बनी हुई है. क्योंकि प्रदेश के जल स्रोत सूखते जा रहे हैं, जिसको देखते हुए राज्य सरकार इन सभी जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण को लेकर सारा (स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन एजेंसी) के जरिए प्रयास कर रही है. वर्तमान समय में 5,500 स्रोतों को पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है.

पिंडर और कोशी नदी जोड़ने की योजना पर हुआ विचार (SOURCE: ETV BHARAT)

पिंडर नदी को कोशी से जोड़ने की योजना: सीएम ने कहा कि ऐसे में कार्यशाला के दौरान जो तमाम बिंदु सामने आएंगे वो न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य हिमालय राज्यों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होंगे. साथ ही कहा कि पिंडर नदी और कोशी नदी से जोड़ देंगे, तो इससे करीब 2 लाख लोगों को पेयजल के साथ ही सिंचाई के साधन की मिल सकेंगे.

WORKSHOP ON CLIMATE CHANGE
पिंडर नदी को कोशी से जोड़ने की योजना पर होगा काम (SOURCE: ETV BHARAT)

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग से इस बात पर पहले भी अनुरोध किया जा चुका है कि जिन नदियों में पहले सदाबहार जाल का प्रवाह होता था वो नदियां अब धीरे-धीरे बरसाती नदियों जैसी हो गई है. साथ ही कहा कि देश के अंदर नदियों को जोड़ने का जो अभियान चल रहा है उसको देखते हुए पिंडर नदी और कोशी नदी को जोड़ने के लिए नीति आयोग से अनुरोध किया गया है. ताकि नदियों में सदाबहार जल का प्रवाह होता रहे है.

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में साल दर साल बदल रहा मानसून पैटर्न, बारिश और बर्फबारी की टेढ़ी चाल बनी 'आफत'

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में संस्कृत के छात्रों को मिल रही छात्रवृत्ति, सीएम धामी ने मेधावियों को किया सम्मानित

ये भी पढ़ें-7 जिलों में फॉरेस्ट फायर रोकने के लिए मॉक ड्रिल, दून में सीएम धामी रहे मौजूद, अफसरों को सख्त निर्देश

देहरादून: देश दुनिया में जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. जिसके चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं. देश के हिमालय क्षेत्र में मौजूद जल स्रोत सूख रहे हैं. जिसको लेकर भारत सरकार के नीति आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र और जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान कोसी, अल्मोड़ा के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया. ताकि इस कार्यशाला के जरिए जलवायु परिवर्तन और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण पर विस्तृत रूप से चर्चा की जा सके.

कार्यक्रम में शामिल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि भारतीय हिमालय क्षेत्र के जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयास को बल मिलेगा. बल्कि जलवायु परिवर्तित की चुनौतियां से निपटाने को लेकर नई-नई कार्य योजनाएं भी तैयार की जा सकेंगी.

WORKSHOP ON CLIMATE CHANGE
कार्यशाला में 5500 जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने पर फोकस (SOURCE: ETV BHARAT)

5500 जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने पर फोकस
वहीं, सीएम धामी ने कहा कि ये कार्यशाला काफी महत्वपूर्ण है जो भारत सरकार के नीति आयोग और जीबी पंत संस्थान की ओर आयोजित की गई है. जिसमें लोगों ने जलवायु परिवर्तन और हिमालयन क्षेत्र की तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए इस कार्यशाला में अपने-अपने विचार रखे. जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या और चुनौती बनी हुई है. क्योंकि प्रदेश के जल स्रोत सूखते जा रहे हैं, जिसको देखते हुए राज्य सरकार इन सभी जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण को लेकर सारा (स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन एजेंसी) के जरिए प्रयास कर रही है. वर्तमान समय में 5,500 स्रोतों को पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है.

पिंडर और कोशी नदी जोड़ने की योजना पर हुआ विचार (SOURCE: ETV BHARAT)

पिंडर नदी को कोशी से जोड़ने की योजना: सीएम ने कहा कि ऐसे में कार्यशाला के दौरान जो तमाम बिंदु सामने आएंगे वो न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि अन्य हिमालय राज्यों के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होंगे. साथ ही कहा कि पिंडर नदी और कोशी नदी से जोड़ देंगे, तो इससे करीब 2 लाख लोगों को पेयजल के साथ ही सिंचाई के साधन की मिल सकेंगे.

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पिंडर नदी को कोशी से जोड़ने की योजना पर होगा काम (SOURCE: ETV BHARAT)

मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति आयोग से इस बात पर पहले भी अनुरोध किया जा चुका है कि जिन नदियों में पहले सदाबहार जाल का प्रवाह होता था वो नदियां अब धीरे-धीरे बरसाती नदियों जैसी हो गई है. साथ ही कहा कि देश के अंदर नदियों को जोड़ने का जो अभियान चल रहा है उसको देखते हुए पिंडर नदी और कोशी नदी को जोड़ने के लिए नीति आयोग से अनुरोध किया गया है. ताकि नदियों में सदाबहार जल का प्रवाह होता रहे है.

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Last Updated : Feb 17, 2025, 4:12 PM IST
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