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MBBS छात्रों को सिखाई जा रही गढ़वाली कुमाऊंनी बोली, मरीजों से संवाद करने के लिए शॉर्ट टर्म कोर्स

गढ़वाल-कुमाऊं मंडल में राजकीय मेडिकल कॉलेजों (Garhwal Kumaon Medical College) में पढ़ने वाले छात्रों को अब मेडिकल की पढ़ाई के साथ-साथ स्थानीय बोली से भी रूबरू करवाया (MBBS student Uttarakhand local language) जाएगा. जिसके लिए कुमाऊं मंडल में कुमाउंनी बोली ओर गढ़वाल में गढ़वाली बोली के बारे में शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.

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Published : Dec 7, 2022, 12:07 PM IST

श्रीनगर: गढ़वाल-कुमाऊं मंडल में राजकीय मेडिकल कॉलेजों (Garhwal Kumaon Medical College) में पढ़ने वाले छात्रों को अब मेडिकल की पढ़ाई के साथ-साथ स्थानीय बोली से भी रूबरू करवाया (MBBS student Uttarakhand local language) जाएगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेजों ने 20 घंटों का एक शॉर्ट टर्म कोर्स बनाया है. जिसके द्वारा एमबीबीएस छात्रों को गढ़वाली कुमाऊंनी बोली के बारे में बारीकी से जानकारी दी जाएगी.

अमूमन अस्पतालों में देखने को मिल जाता है कि दूर दराज ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीज अपनी स्थानीय बोली में अपनी दिक्कतों को बताते हैं. कई बार डॉक्टर मरीजों की परेशानियों को समझ नहीं पाते हैं. लेकिन कई बार बोली समझ में ना आने के कारण डॉक्टर और मरीज के बीच कम्युनिकेशन गैप हो जाता है. इसी कम्युनिकेशन गैप (communication gap) को समाप्त करने के लिए डॉक्टरों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली के बारे में पढ़ाया जा रहा है. ये कोर्स एक माह तक संचालित किया जाएगा.
पढ़ें-निशंक को गुजरात और हिमाचल चुनाव जीतने का भरोसा, दिल्ली नगर निगम चुनाव पर ये कहा

मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (Medical College Srinagar) में प्रिंसिपल डॉक्टर सीएमएस रावत ने बताया कि एनएमसी की गाइडलाइन के तहत ये कोर्स संचालित किया जा रहा है. इसके पीछे की वजह मरीज और डॉक्टर ले बीच अच्छा संबंध स्थापित करना है, जिससे किसी तरह का भी कम्युनिकेशन गैप मरीज और डॉक्टर के बीच ना रहे. उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में कुमाउंनी बोली ओर गढ़वाल में गढ़वाली बोली के बारे में शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.

श्रीनगर: गढ़वाल-कुमाऊं मंडल में राजकीय मेडिकल कॉलेजों (Garhwal Kumaon Medical College) में पढ़ने वाले छात्रों को अब मेडिकल की पढ़ाई के साथ-साथ स्थानीय बोली से भी रूबरू करवाया (MBBS student Uttarakhand local language) जाएगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेजों ने 20 घंटों का एक शॉर्ट टर्म कोर्स बनाया है. जिसके द्वारा एमबीबीएस छात्रों को गढ़वाली कुमाऊंनी बोली के बारे में बारीकी से जानकारी दी जाएगी.

अमूमन अस्पतालों में देखने को मिल जाता है कि दूर दराज ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीज अपनी स्थानीय बोली में अपनी दिक्कतों को बताते हैं. कई बार डॉक्टर मरीजों की परेशानियों को समझ नहीं पाते हैं. लेकिन कई बार बोली समझ में ना आने के कारण डॉक्टर और मरीज के बीच कम्युनिकेशन गैप हो जाता है. इसी कम्युनिकेशन गैप (communication gap) को समाप्त करने के लिए डॉक्टरों को गढ़वाली और कुमाऊंनी बोली के बारे में पढ़ाया जा रहा है. ये कोर्स एक माह तक संचालित किया जाएगा.
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मेडिकल कॉलेज श्रीनगर (Medical College Srinagar) में प्रिंसिपल डॉक्टर सीएमएस रावत ने बताया कि एनएमसी की गाइडलाइन के तहत ये कोर्स संचालित किया जा रहा है. इसके पीछे की वजह मरीज और डॉक्टर ले बीच अच्छा संबंध स्थापित करना है, जिससे किसी तरह का भी कम्युनिकेशन गैप मरीज और डॉक्टर के बीच ना रहे. उन्होंने बताया कि कुमाऊं मंडल में कुमाउंनी बोली ओर गढ़वाल में गढ़वाली बोली के बारे में शॉर्ट टर्म कोर्स संचालित किए जा रहे हैं.

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