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गढ़वाल विवि महिलाओं को मांगल गीतों में कर रहा ट्रेंड, संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा

उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अनोखी पहल शुरू की है. विवि का लोक कला निष्पादन केंद्र महिलाओं का शादी और शुभ कार्यों में गाये जाने वाले मांगल गीतों की ट्रेनिंग दे रहा है. जिससे विवाह और मांगलिक कार्यों में ये महिलायें मांगल गीत गाकर धन अर्जित कर पाएंगी.

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गढवाल विवि महिलाओं कर रहा मांगल गीतों में ट्रेंड
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Published : Dec 3, 2022, 3:54 PM IST

Updated : Dec 3, 2022, 4:19 PM IST

श्रीनगर: उत्तराखंड अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. इसी को लेकर अब गढ़वाल केंद्रीय विवि (Garhwal Central University) में पहाड़ की महिलाओं को रोजगार (employment to mountain women) से जोड़ने की अनूठी पहल कर रहा है. विवि का लोक कला निष्पादन केंद्र महिलाओं को मांगल गीत में ट्रेंड (Women trend in Mangal Geet) कर, उन्हें रोजगार से जोड़ रहा है. वहीं पहाड़ी समारोहों में कॉकटेल परंपरा (Cocktail tradition at hillbilly celebrations) को खत्म करना भी इसका एक उद्देश्य है.

उत्तराखंड की संस्कृति में मांगल गीत (Mangal Geet in Uttarakhand culture) रचा बसा हुआ है. पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की हर शादी एवं मांगलिक कार्यों में इन गीतों को गाया जाता है, लेकिन अब ये परंपराएं अब कुछ बुजुर्ग लोगों और दूर दराज के गावों तक ही सिमट कर रह गयी है. अब उत्तराखंड की शादी समारोहों में डीजे और बैंड बाजों ने ले ली है. ऐसे में अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए गढ़वाल विवि आगे आया है.

गढ़वाल विवि महिलाओं को मांगल गीतों में कर रहा ट्रेंड

अब गढ़वाल केंद्रीय विवि का लोक कला निष्पादन केंद्र इस मांगल परंपरा को जीवित कर रहा है. केंद्र श्रीनगर उसके आस पास की महिलाओं को मांगल गीतों में ट्रेंड कर, उन्हें रोजगार से जोड़ रहा है. मांगल गीत परंपरा में ट्रेंड होकर अब ये महिलाएं शहरों की शादियों में इन गीतों को गाकर, जहां उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का कार्य करेंगी. इसके साथ-साथ रोजगार भी पाएगी.
ये भी पढ़ें: हेलीकॉप्टर से दुल्हनिया लेकर रुड़की पहुंचा दूल्हा, देखने वालों की जुटी भीड़

गढवाल विवि के लोक कला निष्पादन केंद्र (Folk Art Performance Center of Garhwal University) के वरिष्ठ फैकल्टी संजय पांडेय ने कहा कि उन्होंने प्रथम चरण में 50 महिलाओं को मांगल गीत की ट्रेनिंग (Mangal song training to 50 women) दी है. इन गीतों के साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं की गई है, लेकिन उन्हें हल्का सा ट्विस्ट देकर थोड़ा आसान बनाया गया है. इन महिलाओं ने आज अपनी पहली परफॉर्मेंस दी है, जो लोगों को पसंद भी आया है. अब लोग अपने मांगलिक कार्यों में इन महिलाओं को बुला भी रहे हैं. जिससे इनकी आय पर बड़ा असर पड़ेगा.

इन महिलाओं को ट्रेंड जीजीआईसी श्रीनगर की अध्यापिका लता तिवाड़ी ने किया है. लता ने बताया कि इन महिलाओं को केदारखंड, चमोली, पौड़ी के मांगल गीत में ट्रेंड किया गया है. इसके साथ-साथ सभी महिलाएं गंडेश पूजा, शगुन, आह्वान, बांध, दुल्हन के नहाने तक के मांगल गीतों को गाती हैं. उन्हें खूब पसंद किया जा रहा है.

वही, प्रदीप मल ने अपनी बेटी की शादी में इन महिलाओं को मांगल गीत गाने के लिए बुलाया है. प्रदीप मल बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी पर गाए गए इन मांगल गीतों ने विवाह को यादगार बना दिया है. इस परंपरा से जहां संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य होगा. वही, कॉकटेल पार्टी का भी प्रचलन भी समाज में कम होगा.

श्रीनगर: उत्तराखंड अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. इसी को लेकर अब गढ़वाल केंद्रीय विवि (Garhwal Central University) में पहाड़ की महिलाओं को रोजगार (employment to mountain women) से जोड़ने की अनूठी पहल कर रहा है. विवि का लोक कला निष्पादन केंद्र महिलाओं को मांगल गीत में ट्रेंड (Women trend in Mangal Geet) कर, उन्हें रोजगार से जोड़ रहा है. वहीं पहाड़ी समारोहों में कॉकटेल परंपरा (Cocktail tradition at hillbilly celebrations) को खत्म करना भी इसका एक उद्देश्य है.

उत्तराखंड की संस्कृति में मांगल गीत (Mangal Geet in Uttarakhand culture) रचा बसा हुआ है. पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की हर शादी एवं मांगलिक कार्यों में इन गीतों को गाया जाता है, लेकिन अब ये परंपराएं अब कुछ बुजुर्ग लोगों और दूर दराज के गावों तक ही सिमट कर रह गयी है. अब उत्तराखंड की शादी समारोहों में डीजे और बैंड बाजों ने ले ली है. ऐसे में अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए गढ़वाल विवि आगे आया है.

गढ़वाल विवि महिलाओं को मांगल गीतों में कर रहा ट्रेंड

अब गढ़वाल केंद्रीय विवि का लोक कला निष्पादन केंद्र इस मांगल परंपरा को जीवित कर रहा है. केंद्र श्रीनगर उसके आस पास की महिलाओं को मांगल गीतों में ट्रेंड कर, उन्हें रोजगार से जोड़ रहा है. मांगल गीत परंपरा में ट्रेंड होकर अब ये महिलाएं शहरों की शादियों में इन गीतों को गाकर, जहां उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने का कार्य करेंगी. इसके साथ-साथ रोजगार भी पाएगी.
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गढवाल विवि के लोक कला निष्पादन केंद्र (Folk Art Performance Center of Garhwal University) के वरिष्ठ फैकल्टी संजय पांडेय ने कहा कि उन्होंने प्रथम चरण में 50 महिलाओं को मांगल गीत की ट्रेनिंग (Mangal song training to 50 women) दी है. इन गीतों के साथ कोई छेड़ छाड़ नहीं की गई है, लेकिन उन्हें हल्का सा ट्विस्ट देकर थोड़ा आसान बनाया गया है. इन महिलाओं ने आज अपनी पहली परफॉर्मेंस दी है, जो लोगों को पसंद भी आया है. अब लोग अपने मांगलिक कार्यों में इन महिलाओं को बुला भी रहे हैं. जिससे इनकी आय पर बड़ा असर पड़ेगा.

इन महिलाओं को ट्रेंड जीजीआईसी श्रीनगर की अध्यापिका लता तिवाड़ी ने किया है. लता ने बताया कि इन महिलाओं को केदारखंड, चमोली, पौड़ी के मांगल गीत में ट्रेंड किया गया है. इसके साथ-साथ सभी महिलाएं गंडेश पूजा, शगुन, आह्वान, बांध, दुल्हन के नहाने तक के मांगल गीतों को गाती हैं. उन्हें खूब पसंद किया जा रहा है.

वही, प्रदीप मल ने अपनी बेटी की शादी में इन महिलाओं को मांगल गीत गाने के लिए बुलाया है. प्रदीप मल बताते हैं कि उनकी बेटी की शादी पर गाए गए इन मांगल गीतों ने विवाह को यादगार बना दिया है. इस परंपरा से जहां संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य होगा. वही, कॉकटेल पार्टी का भी प्रचलन भी समाज में कम होगा.

Last Updated : Dec 3, 2022, 4:19 PM IST
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