पौड़ी: प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में पलायन गंभीर समस्या बनी हुई है. पलायन से कई गांव आज विरान हो गए हैं. पृथक राज्य बनने के बाद पहाड़ के लोगों ने यह उम्मीद लगाई थी कि एक अलग राज्य के निर्माण के बाद पहाड़ों का विकास होगा लेकिन उत्तराखंड बनने के बाद सर्वाधिक नुकसान पर्वतीय क्षेत्रों को ही हुआ है. जिससे लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में तेजी से पलायन कर रहे हैं. वहीं, कई युवाओं को पहाड़ का ये दर्द अपने गांव खींच ला रहा है.
पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के न होने से तेजी से शहरों की ओर पलायन हुआ है. गांव के गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं और आज सरकार उन्हीं गांव को दोबारा से संवारने का प्रयास कर रही हैं. खाली होते गांव और पलायन जैसे मुख्य मुद्दे पर गढ़वाल कमिश्नर ने पलायन पर काम कर रहे हैं विशेषज्ञों और अपने गांव में ही कृषि और बागवानी के क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को भी आमंत्रित कर पलायन को रोकने के लिए उनके विचार और सुझावों को सुना. जिससे पलायन कर रहे लोगों की पीड़ा को गंभीरता से लिया जाए.
पौड़ी के जयहरीखाल में होमस्टे में काम कर रहे विक्की रावत ने बताया कि उन्होंने अपने पढ़ाई विदेश में की और 2 सालों तक वहां पर अच्छी तनख्वाह में काम भी किया लेकिन पहाड़ की पीड़ा उन्हें अपने घर वापस ले आयी. उन्होंने होमस्टे का काम शुरू कर अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. विक्की बताते हैं कि पहाड़ों से पलायन का मुख्य कारण रोजगार का न होना है. रोजगार की तलाश में युवा शहरों की तरफ जा रहे हैं, यदि सरकार उसे घर के आस-पास ही रोजगार मुहैया करवाए तो कोई भी युवा अपना घर गांव छोड़कर कभी भी शहरों की ओर नहीं जाएगा. गोष्ठी में पहाड़ों से हो रहे पलायन पर आज विशेषज्ञों और जानकारों ने अपने अपने विचार रखें.
विशेषज्ञों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार पहाड़ का युवा रोजगार की तलाश में शहरों की ओर रुख कर रहे हैं इसके साथ ही अच्छी सैलरी पाने वाला व्यक्ति अच्छी शिक्षा अच्छी स्वास्थ्य की तलाश में गांव छोड़ शहरों की ओर रुख कर रहा है. पलायन करने के अलग अलग कारण देखने को मिले लेकिन पहाड़ों से सर्वाधिक पलायन रोजगार के न होने से हुआ है. वहीं, गढ़वाल कमिश्नर डॉक्टर बीबीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि आज पलायन होने के सभी बिंदुओं पर चर्चा की गई और विशेषज्ञों की ओर से दी गयी जानकारियों और उनके विचारों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा. साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि पहाड़ से हो रहे पलायन पर अंकुश लगाने के लिए सकारात्मक परिणाम निकलकर आएंगे.