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देश में गंगा की स्थिति ICU मरीज की तरहः गौतम राधाकृष्णन - पवित्र गंगा नदी

गंगा स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये बहाये जा रहे हैं, लेकिन हालात में सुधार नहीं हो पा रहा है. ऊपरी क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या नहीं है. गंगा के पानी को पी सकते हैं, लेकिन मैदानी इलाके में उतरते ही पानी पीने योग्य नहीं रहता है.

गंगा में प्रदूषण.
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Published : May 18, 2019, 5:52 PM IST

श्रीनगर गढ़वालः देश के जाने माने रसायन वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन देवप्रयाग पहुंचे. जहां पर उन्होंने देश में गंगा की वर्तमान स्थिति को ICU मरीज की तरह बताया. उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, बावजूद गंगा का पानी गंगा सागर तक पहुंचने तक आचमन लायक भी नहीं रहता है. साथ ही कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाया जाना चाहिए. जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा ना हो.

गंगा स्थिति को लेकर जानकारी देते इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) बैंगलोर के वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन.


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) बैंगलोर के 72 वर्षीय वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन ने देवप्रयाग में कहा कि गंगा स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये बहाये जा रहे हैं, लेकिन हालात में सुधार नहीं हो पा रहा है. देश में गंगा की स्थिति गंगोत्री से हरिद्वार, हरिद्वार से वाराणसी, वाराणसी से फरक्का और फरक्का से गंगासागर तक चार अलग-अलग नदियों के रूप में है. ऊपरी क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या नहीं है. गंगा के पानी को पी सकते हैं, लेकिन मैदानी इलाके में उतरते ही पानी पीने योग्य नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाने चाहिए. यहां पर सोलर और पवन ऊर्जा के विकल्प हैं.

ganga river polluted
गंगा में प्रदूषण.

ये भी पढ़ेंः केदारनाथः सेफ हाऊस में आराम कर रहे पीएम मोदी, गुफा में करेंगे रात्रि विश्राम


वहीं, उन्होंने गंगाजल के जादुई गुणों की उत्पत्ति का पता लगाने और जानने के लिए रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव रसायन में उच्च श्रेणी के शोध की आवश्यकता बताई. बता दें कि गौतम राधाकृष्णन देश के प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिकों में से एक हैं. उनका नाम भारत की ओर से रसायन के क्षेत्र में हाइड्रोजन बॉण्ड के क्रिस्टलॉजी पर थ्योरी खोज के लिए चार बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुआ है. राधाकृष्णन साल 2011 से 2014 तक International Union of Crystallography के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं.

श्रीनगर गढ़वालः देश के जाने माने रसायन वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन देवप्रयाग पहुंचे. जहां पर उन्होंने देश में गंगा की वर्तमान स्थिति को ICU मरीज की तरह बताया. उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, बावजूद गंगा का पानी गंगा सागर तक पहुंचने तक आचमन लायक भी नहीं रहता है. साथ ही कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाया जाना चाहिए. जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा ना हो.

गंगा स्थिति को लेकर जानकारी देते इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) बैंगलोर के वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन.


इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) बैंगलोर के 72 वर्षीय वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन ने देवप्रयाग में कहा कि गंगा स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये बहाये जा रहे हैं, लेकिन हालात में सुधार नहीं हो पा रहा है. देश में गंगा की स्थिति गंगोत्री से हरिद्वार, हरिद्वार से वाराणसी, वाराणसी से फरक्का और फरक्का से गंगासागर तक चार अलग-अलग नदियों के रूप में है. ऊपरी क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या नहीं है. गंगा के पानी को पी सकते हैं, लेकिन मैदानी इलाके में उतरते ही पानी पीने योग्य नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाने चाहिए. यहां पर सोलर और पवन ऊर्जा के विकल्प हैं.

ganga river polluted
गंगा में प्रदूषण.

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वहीं, उन्होंने गंगाजल के जादुई गुणों की उत्पत्ति का पता लगाने और जानने के लिए रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव रसायन में उच्च श्रेणी के शोध की आवश्यकता बताई. बता दें कि गौतम राधाकृष्णन देश के प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिकों में से एक हैं. उनका नाम भारत की ओर से रसायन के क्षेत्र में हाइड्रोजन बॉण्ड के क्रिस्टलॉजी पर थ्योरी खोज के लिए चार बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुआ है. राधाकृष्णन साल 2011 से 2014 तक International Union of Crystallography के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं.

Intro:Body:स्टोरी नाम- रसायन वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन
Riport- mohan kumar
Srinagar garhwal
Mob- 9634275063

एंकर विजुअल बाइट- देवप्रयाग पहुंचे देश के जाने माने रसायन वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन ने देश में गंगा की वर्तमान स्थिति आईसीयू पेसेन्ट की तरह बताई । । 72 वर्षीय इण्डियन इन्सिट्यिूट आफ सांइस बैगलुरू के वरिष्ट वैज्ञानिक गोतम राधाकृष्णन ने कहा कि गंगा पर करोड़ों का बजट खर्च होने के बावजूद गंगा का पानी गंगा सागर तक पहुंचते पहुंचते आचमन के लायक नही रहता है। उन्होने बताया कि देश में गंगा की स्थिति गंगोत्री से हरिद्वार, हरिद्वार से वाराणसी, वाराणसी से फरक्का और अंत में फरक्का से गंगासागर तक चार अलग अलग नदियों के रूप में है, ऊपरी क्षेत्रांे में प्रदूषण समस्या नहीं है और गंगा का पानी जैसा है वैसा पी सकते थे लेकिन नीचे जाते जाते यह पीने लायक नही रहता है। उन्होनें ये भी कहा कि उतराखंड में गंगा पर अब बांध नही बनने चाहिए क्योंकि आज सोलर व पवन उर्जा हमारे पास उर्जा के विकल्प है। वहीं उन्होने गंगाजल के जादुई गुणों की उत्पत्ति का पता लगाने और जानने के लिए रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव रसायन में उच्च श्रेणी के शोध की आवश्यकता बताई। आपको बता दें कि गौतम राधाकृष्णन देश के प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिकों में से एक हैं जिनका नाम भारत की तरफ से रसायन के क्षेत्र में हाइड्रोजन बाॅण्ड के क्रिस्टलाॅजी पर थ्योरी खोज के लिए 4 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुआ है। वहीं ये 2011 से 2014 तक International Union of Crystallography के अध्यक्ष पर पर भी कार्य कर चुके हैं।

बाइट-1- Gautam Radhakrishna Desiraju रसायन वैज्ञानिक भारतीय विज्ञान संस्थान बेगलरूConclusion:
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