श्रीनगर गढ़वालः देश के जाने माने रसायन वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन देवप्रयाग पहुंचे. जहां पर उन्होंने देश में गंगा की वर्तमान स्थिति को ICU मरीज की तरह बताया. उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, बावजूद गंगा का पानी गंगा सागर तक पहुंचने तक आचमन लायक भी नहीं रहता है. साथ ही कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाया जाना चाहिए. जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा ना हो.
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IIS) बैंगलोर के 72 वर्षीय वरिष्ठ वैज्ञानिक गौतम राधाकृष्णन ने देवप्रयाग में कहा कि गंगा स्वच्छता को लेकर करोड़ों रुपये बहाये जा रहे हैं, लेकिन हालात में सुधार नहीं हो पा रहा है. देश में गंगा की स्थिति गंगोत्री से हरिद्वार, हरिद्वार से वाराणसी, वाराणसी से फरक्का और फरक्का से गंगासागर तक चार अलग-अलग नदियों के रूप में है. ऊपरी क्षेत्रों में प्रदूषण की समस्या नहीं है. गंगा के पानी को पी सकते हैं, लेकिन मैदानी इलाके में उतरते ही पानी पीने योग्य नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में गंगा पर अब बांध नहीं बनाने चाहिए. यहां पर सोलर और पवन ऊर्जा के विकल्प हैं.
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वहीं, उन्होंने गंगाजल के जादुई गुणों की उत्पत्ति का पता लगाने और जानने के लिए रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान और जैव रसायन में उच्च श्रेणी के शोध की आवश्यकता बताई. बता दें कि गौतम राधाकृष्णन देश के प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिकों में से एक हैं. उनका नाम भारत की ओर से रसायन के क्षेत्र में हाइड्रोजन बॉण्ड के क्रिस्टलॉजी पर थ्योरी खोज के लिए चार बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुआ है. राधाकृष्णन साल 2011 से 2014 तक International Union of Crystallography के अध्यक्ष पद पर भी कार्य कर चुके हैं.