पौड़ी: पहाड़ की आवाज, उत्तराखंड की संस्कृति को देश दुनिया तक पहुंचाने वाले गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं. जीवन के इन 71 सालों में नरेंद्र सिंह ने पहाड़ की नारी की चिंता, बुजुर्गों का दर्द, पलायन और लोकजीवन के तमाम अनछुए पहलुओं को धुनों में पिरोकर समाज के सामने रखा. इसके अलावा वे अनवरत युवा पीढ़ी को भी उत्तराखंडी संस्कृति से जोड़ने का काम करते रहे. आज नरेंद्र सिंह नेगी के जन्मदिन के मौके पर ईटीवी भारत ने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी से खास बातचीत की. जिसमें हमने उनके अनछुए पहलुओं को जानने की कोशिश की.
ईटीवी भारत से बात करते हुए नरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि आज उनके परिवार ने गढ़वाली पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उनका जन्मदिन मनाया. उन्होंने बताया जन्मदिन के मौके पर पूजा अर्चना की. इसके बाद पहाड़ी पकवान जैसे स्वाले, तिल के पकोड़े, पूरी जैसे पकवान बनाये.
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जन्मदिन के मौके पर लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने पहाड़ के युवाओं के उज्जवल भविष्य की कामना की. उन्होंने कहा जो भी युवा पहाड़ की क्षेत्रीय और गढ़वाली भाषाओं को बचाने का काम कर रहे हैं वो काफी सराहनीय है. उन्होंने कहा आज के युवाओं के कंधों पर उत्तराखंड की संस्कृति के प्रचार-प्रसार का जिम्मा है, जिसे उन्हें बड़ी ही जिम्मेदारी से निर्वहन करना होगा. उन्होंने कहा युवाओं को आम लोगों से जुड़ते हुए लोकभाषाओं को आगे बढ़ानी चाहिए.
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आज के दौर के गीतों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले और अब के गीतों में काफी बदलाव आ गया है. पहले के दौर में वे उत्तराखंड की हकीकत को गीतों के जरिये लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करते थे. मगर आज के युवा उन्हीं पुराने गीतों को नया रूप देकर पेश कर रहे हैं. युवा आज की परिस्थिति के अनुसार नए गीतों की रचना नहीं कर रहे हैं. उन्हें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.
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नरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि उन्होंने अपने गानों के माध्यम से हमेशा ही समाज के रूप को सामने रखने का काम किया है. इसके अलावा पहाड़ के दु:ख दर्द पर बात करते हुए नेगी जी ने बताया कि आज भी पहाड़ों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा आज के युवाओं को लोकभाषा और समाज से जुड़कर उनके प्रतिबिंब के तौर पर काम करना चाहिए. जिससे समाज की समस्याओं, परेशानियों को आवाज दे सके.