कोटद्वार: वन मंत्री के द्वारा कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरों से टाइगर सफारी के शिलान्यास कार्यक्रम पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा इसका फायदा गढ़वालवासियों को न मिलकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले को मिलेगा. सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा टाइगर सफारी का केंद्र कोटद्वार से बनने की सहमति काफी लंबे समय से बनी हुई थी. इसे किसी का ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं कहा जा सकता है.
17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के सीटीआर के बफर जोन में प्रदेश की पहली टाइगर सफारी बनाने की आधारशिला रखी थी. जिस पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा टाइगर सफारी के प्रोजेक्ट को सहमति कांग्रेस शासनकाल में ही मिल गई थी. इसलिए इसे किसी का ड्रीम प्रोजेक्ट नहीं कहा जा सकता. वन मंत्री ने बिना सोचे समझे इसका शिलान्यास कर इसका केंद्र पाखरौ बनाया. जिसका सीधा फायदा कोटद्वार को न मिलकर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले को मिलेगा.
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उन्होंने कहा कॉर्बेट नेशनल पार्क का 75% भू-भाग पौड़ी जिले में है, मगर पौड़ी जिले और कोटद्वार को इसका कोई लाभ नहीं मिलता. 2015 में टाइगर सफारी को सैद्धांतिक सहमति की मंजूरी मिली थी. तब टाइगर सफारी का प्रवेश द्वार पाखरौ के बजाय कोटड़ीढांग में बनाया गया था. कोटड़ीढांग हेलीपैड से नजदीक है. इसका सर्वे भी हो चुका था. उन्होंने कहा वन मंत्री ने हड़बड़ी में यह निर्णय लिया है.
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उन्होंने बताया कि दिल्ली से टाइगर सफारी के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार है. बहुत ही आसानी से दिल्ली से कोटद्वार पर्यटक टाइगर सफारी का लुफ्त उठाने के लिए पहुंच सकते थे, लेकिन वर्तमान में टाइगर सफारी का केंद्र बनाया गया है उसके लिए पर्यटकों को दिल्ली से बिजनौर-नगीना-बढ़ापुर होते हुए पाखरौ पहुंचना पड़ेगा. टाइगर सफारी के लिये कोटद्वार के रास्ते पाखरौ जाने के लिए लगभग 60 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ेगा. इससे गढ़वाल और कोटद्वार वासियों को कोई फायदा नहीं मिलेगा.