कोटद्वार: कालागढ़-रामनगर वन मार्ग पर जीएमओयू की बसों के संचालन पर बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, जिसका ठीकरा पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने वन मंत्री हरक सिंह रावत व त्रिवेंद्र सरकार पर फोड़ा है. पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार और वन मंत्री अगर सही तरीके से न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखते तो सर्वोच्च न्यायालय इस मार्ग पर यात्री बसों के संचालन पर रोक नहीं लगाती.
गढ़वाल और कुमाऊं मंडल को जोड़ने वाली कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर वन मोटर मार्ग पर चलने वाली बसों का संचालन साल 2017 में विधानसभा चुनाव के बाद से बंद था. 25 दिसंबर साल 2020 को वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मार्ग पर जीएमओयू की बसों के एक बार फिर से संचालन के लिए हरी झंडी दिखाई थी. 18 फरवरी 2020 को सर्वोच्च न्यायालय ने कालागढ़-रामनगर वन मोटर मार्ग पर यात्री बसों के संचालन पर रोक लगा दी. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने इसका ठीकरा प्रदेश के वन मंत्री, स्थानीय विधायक और त्रिवेंद्र सरकार पर फोड़ा है.
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बता दें कि एक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की थी कि कॉर्बेट के कोर जोन से यात्री बसों का संचालन किए जाने पर वन्य जीवों के जीवन को खतरा हो सकता है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्टे लगाते हुए अग्रिम सुनवाई तक बसों के संचालन पर रोक लगाई है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि सरकार और वन मंत्री जनता की समस्या को सही तरीके से न्यायालय के समक्ष नहीं रख पाई. अगर सही तरह से रखती तो न्यायालय इस मार्ग पर यात्री बसों के संचालन पर रोक नहीं लगाती.
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वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि ये दो मंडलों को जोड़ने वाला यह मार्ग था. उस पर सुप्रीम कोर्ट ने यात्री बसों के संचालन पर रोक लगा दी है. इसमें सीधे-सीधे राज्य सरकार की लापरवाही है और वन मंत्री दोषी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अगर अपने स्तर से और सही तरीके से इसकी पैरवी न्यायालय में करती तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में रोक ना लगाती.