श्रीनगर: मलेथा में आज से वीर माधो सिंह भंडारी की याद में होने वाले मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले का उद्घाटन स्थानीय विधायक विनोद कंडारी (MLA Vinod Kandari) द्वारा किया जाएगा. मेले में कीर्तिनगर नगर पंचायत की अध्यक्ष कैलाशी जाखी भी मौजूद रहेंगी. इस मेले को लेकर माधो सिंह भंडारी के पैतृक गांव में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. आज स्टेज में बच्चों ने रिहर्सल कर मेले में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को फाइनल टच दिया.
ग्राम प्रधान मलेथा अंकित कुमार ने बताया पांच दिनों तक होने वाले मेले की शुरुआत आज से होगी. इस दिन आसपास के सभी विद्यालयों के छात्र-छात्राएं मेले में हिस्सा लेंगे. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी मौजूद रहेंगे. पांच दिनों तक तक चलने वाले इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. साथ ही माधो सिंह भंडारी को याद करते हुए नृत्य नाटिका का भी आयोजन किया जाएगा.
कौन थे माधो सिंह भंडारी: माधो सिंह भंडारी (Madho Singh Bhandari) को 'माधो सिंह मलेथा' के नाम से भी जाना जाता है. माधो सिंह भंडारी गढ़वाल के महान योद्धा, सेनापति और कुशल इंजीनियर थे. आज से लगभग 400 साल पहले पहाड़ का सीना चीरकर नदी का पानी अपने गांव लेकर आये थे. गांव में नहर लाने के उनके प्रयास की यह कहानी भी काफी हद तक दशरथ मांझी से मिलती जुलती है.
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माधो सिंह भंडारी (Madho Singh Bhandari) का जन्म सन 1595 के आसपास उत्तराखंड राज्य (Uttarakhand state) के टिहरी जनपद के मलेथा गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था, जो वीरता के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भेंट की. माधो सिंह भी अपने पिता की तरह वीर एवं स्वाभिमानी थे.
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माधो सिंह भंडारी (Madho Singh Bhandari) कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार की सेना में भर्ती हो गये. अपनी वीरता और युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गये. वह राजा महिपति शाह (1629-1646) की सेना के सेनाध्यक्ष थे. जहां उन्होने कई नई क्षेत्रों में राजा के राज्य को बढ़ाया. कई किले बनवाने में भी उन्होंने मदद की. जब वे तिब्बत युद्ध जीत कर वापस आए, तब से पूरे गढ़वाल में बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है.