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2013 के बाद पौड़ी के 'घोस्ट विलेज' में आई रौनक, तीन भाइयों का परिवार लौटा घर

पौड़ी से 40 किलोमीटर दूर चौंडली गांव एक बार फिर से लोगों की चहल-पहल से आबाद नजर आ रहा है. 2013 में आखिरी परिवार इस गांव को सूना छोड़कर चला गया था. अब रिटायरमेंट के बाद तीन भाइयों का परिवार अपने गांव लौटा है.

तीन भाइयों के परिवार पर फिर से गांव बसाने की जिम्मेदारी
तीन भाइयों के परिवार पर फिर से गांव बसाने की जिम्मेदारी
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Published : May 31, 2021, 2:08 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में तेजी से हो रहे पलायन की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है. हालांकि, कोरोना के चलते कुछ लोग अपने गांव वापस जरूर लौट रहे हैं लेकिन यह लोग बीमारी के सामान्य होने के बाद एक बार फिर वापस शहरों की तरफ लौट जाएंगे. लेकिन कल्जीखाल ब्लॉक के चौंडली गांव का एक परिवार ऐसा है जो अब गांव में हमेशा के लिए बसना चाहते हैं. ये न केवल खुद बल्कि ये भी चाहते हैं कि इनके बच्चे गांव को करीब से जानें और पहचानें.

तीन भाइयों से 3 किलोमीटर पैदल चलकर मिले डीएम

इन तीन भाइयों ने बीते वर्ष गांव में पक्का मकान बनाने का कार्य शुरू किया था, जो बनकर तैयार हो गया है. ये लोग अपने परिवार के साथ गांव में ही रहना चाहते हैं. इस सूचना के बाद स्वयं पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे उनसे मिलने पहुंचे. सड़क से करीब 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने उनसे मुलाकात की और उन्हें सरकार द्वारा चलाए जा रही योजना से जोड़कर स्वरोजगार की शुरुआत का आश्वासन दिया.

2013 से सूने पड़े गांव को फिर से बसाने की कवायद

2013 में सूना हो गया था गांव

कल्जीखाल ब्लाक की थनुल ग्रामसभा का चौंडली गांव, पौड़ी शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. साल 2013 में यह गांव उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब यहां रहने वाले एक दंपति गांव छोड़कर शहर चले गए थे. उनके जाने के बाद यह गांव पूरी तरह से खाली हो गया था. लेकिन अब एक ही परिवार के तीन भाइयों ने सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में ही रहने का मन बना लिया है.

पौड़ी के जिलाधिकारी ने दिया मदद का भरोसा
पौड़ी के जिलाधिकारी ने दिया मदद का भरोसा

पढ़ें: खेत में काम कर रही थी महिला, गुलदार ने हमला करके किया घायल

तीनों भाई गांव में रहकर कृषि, बागवानी आदि से जुड़ना चाहते हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि गांव तक आने वाली जो सड़क है उसका सुधार किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवन, अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधा की मांग की है, जिससे लोग यहां रहने के लिए प्रेरित हों.

3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात
3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात

ईटीवी भारत से की खास बातचीत

मनमोहन सिंह और सरोजनी देवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि तीनों भाइयों- जगमोहन, मनमोहन और जगदीश ने मन बना लिया था कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने गांव में रहेंगे. इसके लिए उन्होंने पक्का मकान भी बना लिया है. हालांकि, गांव में इंटरनेट की कमी के चलते उनके बच्चे अपने ऑनलाइन कार्यों को गांव से नहीं कर पाए, जिसके बाद उन्हें वापस शहर जाना पड़ा.

3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात
तीन भाइयों का परिवार लौटा चौंडली गांव

पढ़ें: बादल फटने से पौड़ी-श्रीनगर मोटर मार्ग बाधित, मलबे में दबे वाहन

उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि गांव तक सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, दूरसंचार आदि सुविधा अगर बेहतर होगी तो कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर नहीं जाएगा. ग्राम प्रधान नरेंद्र सिंह नेगी की ओर से बताया गया है कि उनके गांव में जो परिवार आया है, उससे गांव में काफी खुशहाली लौट चुकी है. स्वयं पौड़ी के डीएम भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे. इस मौके पर डीएम ने होम आइसोलेशन किट, दवाइयां, मास्क, हैंड सेनिटाइजर आदि भी बांटे.

पौड़ी के जिलाधिकारी ने दिया हरसंभव मदद का भरोसा

पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे की ओर से बताया गया है कि चौंडली गांव का रहने वाला यह परिवार अपने गांव वापस लौट चुका है. वापस लौटे प्रवासियों को जिला प्रशासन पौड़ी द्वारा कृषि, बागवानी, पशुपालन और पर्यटन संबंधित योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि इन योजनाओं से जुड़कर घर पर ही स्वरोजगार की शुरुआत की जा सके. इससे अन्य लोग भी गांव में रहने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

पौड़ी: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में तेजी से हो रहे पलायन की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है. हालांकि, कोरोना के चलते कुछ लोग अपने गांव वापस जरूर लौट रहे हैं लेकिन यह लोग बीमारी के सामान्य होने के बाद एक बार फिर वापस शहरों की तरफ लौट जाएंगे. लेकिन कल्जीखाल ब्लॉक के चौंडली गांव का एक परिवार ऐसा है जो अब गांव में हमेशा के लिए बसना चाहते हैं. ये न केवल खुद बल्कि ये भी चाहते हैं कि इनके बच्चे गांव को करीब से जानें और पहचानें.

तीन भाइयों से 3 किलोमीटर पैदल चलकर मिले डीएम

इन तीन भाइयों ने बीते वर्ष गांव में पक्का मकान बनाने का कार्य शुरू किया था, जो बनकर तैयार हो गया है. ये लोग अपने परिवार के साथ गांव में ही रहना चाहते हैं. इस सूचना के बाद स्वयं पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे उनसे मिलने पहुंचे. सड़क से करीब 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने उनसे मुलाकात की और उन्हें सरकार द्वारा चलाए जा रही योजना से जोड़कर स्वरोजगार की शुरुआत का आश्वासन दिया.

2013 से सूने पड़े गांव को फिर से बसाने की कवायद

2013 में सूना हो गया था गांव

कल्जीखाल ब्लाक की थनुल ग्रामसभा का चौंडली गांव, पौड़ी शहर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. साल 2013 में यह गांव उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब यहां रहने वाले एक दंपति गांव छोड़कर शहर चले गए थे. उनके जाने के बाद यह गांव पूरी तरह से खाली हो गया था. लेकिन अब एक ही परिवार के तीन भाइयों ने सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में ही रहने का मन बना लिया है.

पौड़ी के जिलाधिकारी ने दिया मदद का भरोसा
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तीनों भाई गांव में रहकर कृषि, बागवानी आदि से जुड़ना चाहते हैं. उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि गांव तक आने वाली जो सड़क है उसका सुधार किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने गांव में आंगनबाड़ी केंद्र, पंचायत भवन, अस्पताल जैसी मूलभूत सुविधा की मांग की है, जिससे लोग यहां रहने के लिए प्रेरित हों.

3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात
3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात

ईटीवी भारत से की खास बातचीत

मनमोहन सिंह और सरोजनी देवी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि तीनों भाइयों- जगमोहन, मनमोहन और जगदीश ने मन बना लिया था कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने गांव में रहेंगे. इसके लिए उन्होंने पक्का मकान भी बना लिया है. हालांकि, गांव में इंटरनेट की कमी के चलते उनके बच्चे अपने ऑनलाइन कार्यों को गांव से नहीं कर पाए, जिसके बाद उन्हें वापस शहर जाना पड़ा.

3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर डीएम ने की परिवार से मुलाकात
तीन भाइयों का परिवार लौटा चौंडली गांव

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उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि गांव तक सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, दूरसंचार आदि सुविधा अगर बेहतर होगी तो कोई भी व्यक्ति गांव से बाहर नहीं जाएगा. ग्राम प्रधान नरेंद्र सिंह नेगी की ओर से बताया गया है कि उनके गांव में जो परिवार आया है, उससे गांव में काफी खुशहाली लौट चुकी है. स्वयं पौड़ी के डीएम भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे. इस मौके पर डीएम ने होम आइसोलेशन किट, दवाइयां, मास्क, हैंड सेनिटाइजर आदि भी बांटे.

पौड़ी के जिलाधिकारी ने दिया हरसंभव मदद का भरोसा

पौड़ी के जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे की ओर से बताया गया है कि चौंडली गांव का रहने वाला यह परिवार अपने गांव वापस लौट चुका है. वापस लौटे प्रवासियों को जिला प्रशासन पौड़ी द्वारा कृषि, बागवानी, पशुपालन और पर्यटन संबंधित योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि इन योजनाओं से जुड़कर घर पर ही स्वरोजगार की शुरुआत की जा सके. इससे अन्य लोग भी गांव में रहने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

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