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पौड़ी: सूखते जल स्रोतों पर विशेषज्ञ चिंतित, अधिकारियों के साथ किया मंथन

पौड़ी जनपद में लगातार सूखते जल स्रोतों और घटते जलस्तर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय चिंतित है. मंत्रालय की पहल पर वर्षा जल को एकत्रित करने को लेकर जिला मुख्यालय पौड़ी में विशेषज्ञों की टीम ने विभिन्न रेखीय विभागों के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग (rain water harvesting) पर मंथन किया.

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Published : Jun 14, 2022, 7:46 PM IST

पौड़ी: जनपद में लगातार सूखते जल स्रोतों और घटते जल स्तर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय (Union Ministry of Jal Shakti) चिंतित है. मंत्रालय की पहल पर वर्षा जल को एकत्रित करने को लेकर जिला मुख्यालय पौड़ी में विशेषज्ञों ने विभिन्न रेखीय विभागों के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर मंथन किया. इस्पात मंत्रालय के निदेशक और केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार व अश्वनी और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की (National Institute of Hydrology Roorkee) के वैज्ञानिक अरविंद रानाडे के नेतृत्व में जल शक्ति अभियान 'कैच द रेन' (Jal Shakti Abhiyan Catch the Rain) कार्यों का निरीक्षण भी किया.

केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन व मनुष्यों द्वारा जल के अवैज्ञानिक दोहन के चलते अब जल संकट चरम पर पहुंच चुका है. कहा कि शीघ्र ही ठोस उपाय नहीं हुए तो लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ सकता है. उन्होंने सभी विभागों को एकजुट होकर वर्षा जल संग्रहण के क्षेत्र में अभी से कार्यों में जुटने को कहा.

सूखते जल स्रोतों पर विशेषज्ञ चिंतित.

जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में डीएम डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने जिले में जल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन की ओर से किये जा रहे कार्यों की जानकारियां विशेषज्ञों को दी. डीएम ने बताया कि जल शक्ति अभियान, अमृत सरोवर योजना, जल स्त्रोत पुनर्जीवन, वर्षा जल संरक्षण, चाल-खाल, नौले, वाटर पौन्ड, माइक्रो डैम आदि योजनाओं को लेकर कार्य किये जा रहे हैं.
पढ़ें- रुद्रप्रयाग के ग्रामीण इलाकों में पेयजल की किल्लत, 25 प्राकृतिक जल स्त्रोत सूखे

इस दौरान सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, जल संस्थान, पेयजल निगम, ग्राम्य विकास, कृषि विभाग आदि विभागों ने जल शक्ति अभियान के कार्यों के साथ पर्यावरण संरक्षण, मृदा संरक्षण और वनीकरण के कार्यों की अभिनव पहल और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी अवगत कराया. उन्होंने कहा कि इस साल 125 गांवों में 121 हेक्टेयर भूमि पर 20 लाख पौधों को लगाया जाएगा.

पौड़ी: जनपद में लगातार सूखते जल स्रोतों और घटते जल स्तर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय (Union Ministry of Jal Shakti) चिंतित है. मंत्रालय की पहल पर वर्षा जल को एकत्रित करने को लेकर जिला मुख्यालय पौड़ी में विशेषज्ञों ने विभिन्न रेखीय विभागों के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर मंथन किया. इस्पात मंत्रालय के निदेशक और केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार व अश्वनी और राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की (National Institute of Hydrology Roorkee) के वैज्ञानिक अरविंद रानाडे के नेतृत्व में जल शक्ति अभियान 'कैच द रेन' (Jal Shakti Abhiyan Catch the Rain) कार्यों का निरीक्षण भी किया.

केंद्रीय नोडल अधिकारी अरुण कुमार ने कहा कि जलवायु परिवर्तन व मनुष्यों द्वारा जल के अवैज्ञानिक दोहन के चलते अब जल संकट चरम पर पहुंच चुका है. कहा कि शीघ्र ही ठोस उपाय नहीं हुए तो लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ सकता है. उन्होंने सभी विभागों को एकजुट होकर वर्षा जल संग्रहण के क्षेत्र में अभी से कार्यों में जुटने को कहा.

सूखते जल स्रोतों पर विशेषज्ञ चिंतित.

जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में डीएम डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने जिले में जल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन की ओर से किये जा रहे कार्यों की जानकारियां विशेषज्ञों को दी. डीएम ने बताया कि जल शक्ति अभियान, अमृत सरोवर योजना, जल स्त्रोत पुनर्जीवन, वर्षा जल संरक्षण, चाल-खाल, नौले, वाटर पौन्ड, माइक्रो डैम आदि योजनाओं को लेकर कार्य किये जा रहे हैं.
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इस दौरान सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, जल संस्थान, पेयजल निगम, ग्राम्य विकास, कृषि विभाग आदि विभागों ने जल शक्ति अभियान के कार्यों के साथ पर्यावरण संरक्षण, मृदा संरक्षण और वनीकरण के कार्यों की अभिनव पहल और भविष्य की कार्ययोजना के बारे में भी अवगत कराया. उन्होंने कहा कि इस साल 125 गांवों में 121 हेक्टेयर भूमि पर 20 लाख पौधों को लगाया जाएगा.

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