पौड़ी: डीएम डॉ. आशीष चौहान ने विकास कार्यों की सुस्त चाल पर नाराजगी जाहिर की है. वहीं कई विभाग तो धन व्यय करने में फिसड्डी मिले. डीएम ने विकास कार्यों में गति लाने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. डीएम ने जिला योजना, राज्य सेक्टर, बीस सूत्रीय की समीक्षा बैठक में विकास कार्यों के सही आंकड़े नहीं होने पर डीएम ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई. अर्थ संख्या विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में भिन्नता पाये जाने पर डीएम ने जिला अर्थ संख्याधिकारी व कंप्यूटर ऑपरेटर के वेतन रोकने के निर्देश दिये हैं. इतना ही नहीं डीएम ने बैठक से नदारद ईओ पालिका व कार्यों में हीलाहवाली करने पर डीईओ बेसिक, मुख्य कृषि अधिकारी का जवाब तलब किया है.
डीएम डॉ. आशीष चौहान ने जिला योजना, राज्य सेक्टर, बीस सूत्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा बैठक की. बताया गया कि जिला सेक्टर, राज्य सेक्टर केंद्र पोषित और अन्य योजनाओं में अभी तक जिले ने 72 फीसदी की धनराशि की ही व्यय की है. जिस पर डीएम ने विभागों को जमकर फटकार लगाई. उन्होंने जनपद में पीएमजीएसवाई की सड़कों को एक सप्ताह में दुरुस्त करने के निर्देश दिये. इसके लिए डीएम ने खुद मॉनिटरिंग करते हुए अभियान चलाकर इन सड़कों को एक हफ्ते में डामरीकरण करने को कहा. विभागवार समीक्षा करते हुए डीएम ने कई विभागों के कार्यों और अर्थ सांख्या विभाग के आंकड़ों में भिन्नता देखने को मिली.
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जिस पर डीएम ने दोनों ही विभागों को जमकर फटकार लगाई. डीएम ने सख्त हिदायत दी कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति होने पर प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी. वहीं बैठक में हीलाहवाली बरतने पर डीएम ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, प्राथमिक शिक्षा व कृषि विभाग के अफसरों का जवाब तलब किया. साथ ही इन अधिकारियों को कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये. इस मौके पर डीएम ने विधायक निधि के कार्यों की सुस्त चाल पर ने जिला विकास अधिकारी को भी फटकार लगाई.
विकास कार्यों में ये विभाग फिसड्डी: डीएम ने जिले में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा की तो पता चला कि अधिकतर विभाग विकास कार्यों के नाम पर फिसड्डी हैं. वित्तीय वर्ष समाप्त होने को उल्टी गिनती शुरू हो गई है और ये विभाग अभी तक विकास कार्यों के नाम पर 50 फीसदी धनराशि भी खर्च नहीं कर पाये हैं. जिनमें जल संस्थान, बाल विकास, समाज कल्याण, लघु सिंचाई, मत्स्य, शिक्षा आदि विभाग शामिल हैं. जल संस्थान को आवंटित 10 करोड़ के सापेक्ष 50 फीसदी की प्रगति है. जबकि मत्स्य विभाग तो 13 लाख व प्राथमिक शिक्षा एक करोड़ में से कुछ भी व्यय नहीं कर पाया है.