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गजबः ग्रामीणों ने श्रमदान कर बनाई सड़क और जिला पंचायत पौड़ी ने डकार लिए 70 लाख रुपए

कल्जीखाल ब्लाक के साकनी बड़ी, साकनी छोटी और नैथाण तक चार किलोमीटर जनशक्ति सड़क को ग्रामाणों ने आपसी सहयोग से बनाया. ग्रामीणों ने चंदा जमाकर श्रमदान कर 28 दिनों में सड़क का निर्माण पूरा किया था. सड़क निर्माण में सरकार की ओर से किसी भी तरह की कोई मदद नहीं दी गई थी.

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Published : Feb 10, 2020, 5:51 PM IST

पौड़ी: कल्जीखाल ब्लाक के जनशक्ति सड़क को बनाने की सरकार से लंबे समय से मांग करने के बावजूद सड़क का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया. जिसके चलते ग्रामीणों ने श्रमदान करके इस कच्ची सड़क का निर्माण किया. जिसका उद्घाटन 2016 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. लेकिन अब जिला पंचायत पौड़ी ने श्रमदान से बने सड़क को खुद के निर्माण कार्य में जोड़कर 70 लाख का भ्रष्टाचार किया है. अब जिला पंचायत अध्यक्ष जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

बता दें कि, कल्जीखाल ब्लाक के साकनी बड़ी, साकनी छोटी और नैथाण तक चार किलोमीटर इस जनशक्ति सड़क मार्ग को बिना सरकार की मदद के ग्रामाणों ने आपसी सहयोग से बनाया था. इस दौरान ग्रामीणों ने चंदा जमाकर श्रमदान से कच्ची सड़क का निर्माण 28 दिनों में पूरा किया था. तब से आज तक इस सड़क का देखरेख ग्रामीण ही करते आ रहे हैं.

श्रमदान से बनी सड़क.

ये भी पढ़ें: मसूरी: ढाई सौ साल पुरानी तस्वीरों को संजोए हुए हैं गोपाल भारद्वाज, सरकार से की संग्रालय बनाने की मांग

आरटीआई से हुए खुलासे के बाद जिला पंचायत द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की असलियत सामने आई है. वहीं, जिला पंचायत ने कई निर्माण कार्य ऐसे दिखाए जो कभी नहीं किए गए. वहीं, जिला पंचायत की सिलसिलेवार घोटालों और फर्जीवाड़ों की परतें दरअसल काफी गहरी और लंबी हैं. घोटालेबाजों के दुस्साहस का परिणाम है कि सिंचाई गूल निर्माणकार्य और हैडपंप लगाने जैसे कार्य जो जिला पंचायत नहीं करती उन्हें भी जिला पंचायत ने करवाकर सरकारी धन को हड़पा है.

पौड़ी: कल्जीखाल ब्लाक के जनशक्ति सड़क को बनाने की सरकार से लंबे समय से मांग करने के बावजूद सड़क का निर्माण कार्य नहीं करवाया गया. जिसके चलते ग्रामीणों ने श्रमदान करके इस कच्ची सड़क का निर्माण किया. जिसका उद्घाटन 2016 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. लेकिन अब जिला पंचायत पौड़ी ने श्रमदान से बने सड़क को खुद के निर्माण कार्य में जोड़कर 70 लाख का भ्रष्टाचार किया है. अब जिला पंचायत अध्यक्ष जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे हैं.

बता दें कि, कल्जीखाल ब्लाक के साकनी बड़ी, साकनी छोटी और नैथाण तक चार किलोमीटर इस जनशक्ति सड़क मार्ग को बिना सरकार की मदद के ग्रामाणों ने आपसी सहयोग से बनाया था. इस दौरान ग्रामीणों ने चंदा जमाकर श्रमदान से कच्ची सड़क का निर्माण 28 दिनों में पूरा किया था. तब से आज तक इस सड़क का देखरेख ग्रामीण ही करते आ रहे हैं.

श्रमदान से बनी सड़क.

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आरटीआई से हुए खुलासे के बाद जिला पंचायत द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की असलियत सामने आई है. वहीं, जिला पंचायत ने कई निर्माण कार्य ऐसे दिखाए जो कभी नहीं किए गए. वहीं, जिला पंचायत की सिलसिलेवार घोटालों और फर्जीवाड़ों की परतें दरअसल काफी गहरी और लंबी हैं. घोटालेबाजों के दुस्साहस का परिणाम है कि सिंचाई गूल निर्माणकार्य और हैडपंप लगाने जैसे कार्य जो जिला पंचायत नहीं करती उन्हें भी जिला पंचायत ने करवाकर सरकारी धन को हड़पा है.

Intro:पौड़ी जिला पंचायत पौड़ी में लगातार आ रहे मामलों से यह विभाग लंबे समय से सुर्ख़ियों में है इस बार जिला पंचायत पौड़ी अपने संविदा कर्मचारी और भ्रष्टाचार के मामलों के लिए एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है दरअसल कल्जीखाल ब्लाक के साकनी बड़ी,साकनी छोटी एवं नैथाण तक 4 किलोमीटर इस जनशक्ति सड़क मार्ग को बिना किसी सरकारी मदद के आपसी सहयोग से बनाया था। सरकार से निराश होकर इस कच्ची सड़क का निर्माण अपना पसीना बहाके किया था इसके लिए ग्रामीणों ने चंदा जमाकर श्रमदान से 28 दिनों में किया था। ग्रामीणों ने 2016 में जिस सड़क का निर्माण श्रमदान से कर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से उद्घाटन करवाया गया था उसी सड़क को जिला पंचायत ने गुपचुप खुद के निर्माण के नाम पर 70 लाख रूपये डकार लिये।Body:कल्जीखाल ब्लाक में साल 2016 में साकनी बड़ी,साकनी छोटी एवं नैथाण तक 4 किलोमीटर इस जनशक्ति सड़क मार्ग को बिना किसी सरकारी मदद के आपसी सहयोग से बनाया था। ग्रामीण सरकार से लंबे समय से मांग करने के बावजूद इसके सड़क का निर्माण कार्य नही करवाया गया तो ग्रामीणों ने सरकार से निराश होकर श्रमदान व अपना पसीना बहाके से इस कच्ची सड़क का निर्माण किया था। तब से आज तक इस सड़क का रखरखाव ग्रामीण ही करते आ रहे हैं, ताज्जुब इस बात तो यह है कि ग्रामीणों के श्रमदान से बनी इस सड़क को जिला पंचायत ने खुद की ओर से 70 लाख रूपये का निर्माण बताकर लाखों रूपये की रकम डकार ली। खास बात यह है कि वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्रसिंह रावत ने ही तब इस सड़क का उद्घाटन किया था। आरटीआई से हुए खुलासे के बाद जिला पंचायत द्वारा किये गए फर्जीवाड़े की असलियत सामने आयी खास बात यह है कि जब श्रमदान से सड़क निर्माण पूरा हुआ तो ग्रामीणों ने जमकर जश्न भी मनाया था और जमकर लोकगीतों पर झूमे भी लेकिन उनकी इस खुशी और मेहनत का ईनाम जिला पंचायत ने लाखों से फर्जीवाड़े से दिया। इस रकम में लाखों के पुश्तों का निर्माण भी जिला पंचायत ने दिखाए जो मौके पर कहीं नही है। अब इस बारे में जिला पंचायत अध्यक्ष जांच कर कार्रवाई की बात कह रही हैं।Conclusion:निर्माणकार्यों में लगातार खुलती जिला पंचायत की सिलसिलेवार घोटालों और फर्जीवाड़ों की परतें दरअसल काफी गहरी और लम्बी हैं। बेखौफ हो चुके घोटालेबाजों के दुस्साहस का परिणाम है कि सिंचाई गूल निर्माणकार्य और हैडपम्प लगाने जैसे कार्य जो जिला पंचायत नहीं करती उन्हें भी जिला पंचायत ने करवाकर न केवल मिसाल कायम की बल्कि जमकर सरकारी धन को चूना भी लगाया है अब बड़ा सवाल यही बनता है कि क्या इन घोटालेबाजों के खिलाफ निष्पक्ष जांच होकर उनपर कार्रवाई हो सकेगी।
बाईट-करन रावत(आरटीआई कार्यकर्ता)
बाईट-सुरजीत पंवार(ग्रामीण)
बाईट-शांति देवी(जिला पंचायत अध्यक्ष)
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