पौड़ी: जिला अस्पताल पौड़ी को पीपीपी मोड में महंत इंद्रेश की ओर से संचालित किया जा रहा है. शुरूआती समय से स्वास्थ्य संस्थाओं को लेकर चर्चाओं में रहे पौड़ी अस्पताल एक बार फिर चर्चाओं में है. चर्चाएं इस बात की है कि अगर कोई व्यक्ति चोटिल हो जाता है और टांके लगाने की जरूरत पड़ती है तो हॉस्पिटल में धागा तक नहीं है. नहीं तो चोटिल व्यक्ति को श्रीनगर ले जाना पड़ सकता है.
बता दें कि, पौड़ी के गडोली गांव में 3 वर्षीय घायल बच्ची को टांके लगवाने के लिए जिला अस्पताल पौड़ी में धागा नहीं मिल पाया. जिसके बाद घायल के परिजनों द्वारा श्रीनगर के चक्कर काटने पड़े. वहीं जिला अस्पताल पौड़ी ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनके पास टांके लगाने वाला धागा नहीं है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल में अन्य सुविधाएं किस प्रकार हावी होंगी. गौर हो कि पौड़ी ने प्रदेश को अब तक 5 मुख्यमंत्री दिए हैं. बावजूद इसके आज तक जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी पर नहीं उतर पाई हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास टांके लगाने वाला धागा नहीं है या तो वह बाजार से खरीद के लाए या श्रीनगर जाकर टांके लगवा सकते हैं.
गडोली गांव के रहने वाले विनोद धनोशी ने बताया कि जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली तो वह अस्पताल पहुंचे. जहां उन्हें पता चला कि बच्ची के परिजन उसे लेकर श्रीनगर गए हैं. वहां सर्जन संक्रमित थे फिर धागा लेके परिजन पौड़ी अस्पताल आए और लंबे प्रयास के बाद बच्ची को टांके लगाए गए. उन्होंने कहा कि यह पौड़ी का दुर्भाग्य है कि पीपीपी मो में संचालित हो रहे अस्पताल में सुविधाओं के नाम पर जनता से छलावा किया जा रहा है.
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अस्पताल के इमरजेंसी इंचार्ज डॉ. मुकेश भट्ट ने इस बात को स्वीकारा है कि उनके पास मरीजों को टांका लगाने के लिए धागा उपलब्ध नहीं था. जिसके चलते बच्ची को टांका नहीं लगाया गया.